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सैनेटरी पैड को लेकर चल रही योजनाओं पर मंत्री जी का झूठ, सुनिए...

महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सिस्टम की उदासनीता के चलते महिलाओं में माहवारी को लेकर जागरुकता कमी है. वहीं पैड का इस्तेमाल ना करने से उससे होने वाली गंभीर बीमारियों से भी महिलाएं अनजान है.

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उदिता योजना पर मंत्री का झूठ
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Published : Mar 2, 2020, 11:02 PM IST

भोपाल। सिस्टम और सरकार को वाहवाही सुनने की ऐसी लत लगी है कि तारीफ के सिवाय एक शब्द भी सच सुनना उन्हें गवारा नहीं...दिल्ली में मिले अवॉर्ड से गदगद महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी को अपने विभाग की पोल खुलते ही देखिए कैसे मिर्ची लगी और वो गुस्से से तमतमा गईं....इतना ही नहीं सिस्टम को दुरुस्त करने के बजाय वो हमें ही ज्ञान की घुट्टी पिलाने लगीं.

उदिता योजना पर मंत्री का झूठ

झूठ बोलता सिस्टम

सैनेटरी पैड को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में उदिता योजना शुरु की गई थी जो आज भी चल रही है.....ये अलग बात है कि न तो सरकार इसकी ओर ध्यान दे रही है.....और न ही जरूरतमंदों तक योजना का फायदा पहुंच रहा है.

चल रही है उदिता योजना

उदिता योजना' साल 2016 से चलायी जा रही है.इस योजना के तहत प्रदेश की सभी आंगनबाड़ियों,मिनी आंगनबाड़ियों में 11 से 18 साल की किशोरियों और अन्य महिलाओं को माहवारी स्वास्थ्य और समुचित माहवारी प्रबंधन के बारे में समय-समय पर आयोजन कर जागरूक किया जाता है.इसके जरिये माहवारी से जुड़े प्रश्नों और भ्रांतियों का समाधान भी किया जाता है. साथ ही पोषण और एनीमिया सम्बन्धी जागरूकता भी किशोरियों में लाई जा रही है. प्रदेश में इस योजना के बारे में प्रमुख सचिव अनुपम राजन ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की आंगनबाड़ियों में उदिता कार्नर बनाएं गए है.यहां से किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पेड उपलब्ध कराएं जाते है.

माहवारी को लेकर जागरुक नहीं महिलाएं

हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत कि रिपोर्टर नीलम गुरवे पहुंची नेहरू नगर के कोटरा सुल्तानाबाद, जहां जब हमने यहां की महिलाओं से बातचीत की तो कई महिलाओं ने बताया कि हमें सस्ते सेनेटरी पैड नहीं मिल पाते . आंगनबाड़ियों में भी इनका स्टॉक कई बार खत्म हो जाता है जिसकी वजह से इन्हें कपड़ा ही इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे जुड़ी बीमारियों के बारे में भी यहां की महिलाओं और लड़कियों को ज्यादा जानकारी नहीं है. क्योंकि इस बस्ती की ज्यादातर महिलाएं मजदूर है जो दिन भर अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में काम पर लगी रहती है ऐसी स्थिति में ना तो उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता होती रहती है ना है इससे जुड़ी अन्य बीमारियों की.

पैड के इस्तेमाल को लेकर महिलाओं की राय

माहवारी को लेकर जब हमने राजधानी भोपाल की कुछ महिलाओं से बात की तो उनका मानना है कि माहवारी कोई शर्म या छुपाने वाली बात नहीं है. झुग्गी में रहने वाली फरजाना का इस बारे में कहना है कि माहवारी को लेकर बात न करना गलत है. लड़कियों को इस बारे में खुलकर बात करना चाहिए.वहीं कविता कहती है कि माहवारी के बारे में बात करना गलत नहीं है पर शर्म के कारण महिलाएं और लड़कियां इस बारे में बात करने में हिचकिचाती है. सुनीता मानती है कि लड़कियों को उनकी मां से बात करनी चाहिए क्योंकि बहुत से बातें मां अच्छे से समझा सकती है,वहीं मां की भी जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी बेटियों को इस बारे में सही जानकारी दे और उन्हें जागरूक करें. महिलाओं का कहना है कि इस सोच को बदलने की जरूरत है.

माहवारी पर डॉक्टर की राय

वहीं जागरूकता की कमी और जानकारी के अभाव में यहां की बच्चियां और महिलाएं अपने स्वास्थ्य से समझौता करती है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की संजीवनी क्लीनिक के प्रोजेक्ट में एक महिला डॉक्टर विशेषज्ञ सप्ताह में 2 दिन उपलब्ध रहती है. पर यह सुविधा भोपाल के केवल 3 क्षेत्रों में उपलब्ध हो पाई है. इसका मतलब साफ है प्रदेश की कमलनाथ सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं है जो सिस्टम पर कई सवाल खड़े करता है .

भोपाल। सिस्टम और सरकार को वाहवाही सुनने की ऐसी लत लगी है कि तारीफ के सिवाय एक शब्द भी सच सुनना उन्हें गवारा नहीं...दिल्ली में मिले अवॉर्ड से गदगद महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी को अपने विभाग की पोल खुलते ही देखिए कैसे मिर्ची लगी और वो गुस्से से तमतमा गईं....इतना ही नहीं सिस्टम को दुरुस्त करने के बजाय वो हमें ही ज्ञान की घुट्टी पिलाने लगीं.

उदिता योजना पर मंत्री का झूठ

झूठ बोलता सिस्टम

सैनेटरी पैड को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में उदिता योजना शुरु की गई थी जो आज भी चल रही है.....ये अलग बात है कि न तो सरकार इसकी ओर ध्यान दे रही है.....और न ही जरूरतमंदों तक योजना का फायदा पहुंच रहा है.

चल रही है उदिता योजना

उदिता योजना' साल 2016 से चलायी जा रही है.इस योजना के तहत प्रदेश की सभी आंगनबाड़ियों,मिनी आंगनबाड़ियों में 11 से 18 साल की किशोरियों और अन्य महिलाओं को माहवारी स्वास्थ्य और समुचित माहवारी प्रबंधन के बारे में समय-समय पर आयोजन कर जागरूक किया जाता है.इसके जरिये माहवारी से जुड़े प्रश्नों और भ्रांतियों का समाधान भी किया जाता है. साथ ही पोषण और एनीमिया सम्बन्धी जागरूकता भी किशोरियों में लाई जा रही है. प्रदेश में इस योजना के बारे में प्रमुख सचिव अनुपम राजन ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की आंगनबाड़ियों में उदिता कार्नर बनाएं गए है.यहां से किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पेड उपलब्ध कराएं जाते है.

माहवारी को लेकर जागरुक नहीं महिलाएं

हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत कि रिपोर्टर नीलम गुरवे पहुंची नेहरू नगर के कोटरा सुल्तानाबाद, जहां जब हमने यहां की महिलाओं से बातचीत की तो कई महिलाओं ने बताया कि हमें सस्ते सेनेटरी पैड नहीं मिल पाते . आंगनबाड़ियों में भी इनका स्टॉक कई बार खत्म हो जाता है जिसकी वजह से इन्हें कपड़ा ही इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे जुड़ी बीमारियों के बारे में भी यहां की महिलाओं और लड़कियों को ज्यादा जानकारी नहीं है. क्योंकि इस बस्ती की ज्यादातर महिलाएं मजदूर है जो दिन भर अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में काम पर लगी रहती है ऐसी स्थिति में ना तो उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता होती रहती है ना है इससे जुड़ी अन्य बीमारियों की.

पैड के इस्तेमाल को लेकर महिलाओं की राय

माहवारी को लेकर जब हमने राजधानी भोपाल की कुछ महिलाओं से बात की तो उनका मानना है कि माहवारी कोई शर्म या छुपाने वाली बात नहीं है. झुग्गी में रहने वाली फरजाना का इस बारे में कहना है कि माहवारी को लेकर बात न करना गलत है. लड़कियों को इस बारे में खुलकर बात करना चाहिए.वहीं कविता कहती है कि माहवारी के बारे में बात करना गलत नहीं है पर शर्म के कारण महिलाएं और लड़कियां इस बारे में बात करने में हिचकिचाती है. सुनीता मानती है कि लड़कियों को उनकी मां से बात करनी चाहिए क्योंकि बहुत से बातें मां अच्छे से समझा सकती है,वहीं मां की भी जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी बेटियों को इस बारे में सही जानकारी दे और उन्हें जागरूक करें. महिलाओं का कहना है कि इस सोच को बदलने की जरूरत है.

माहवारी पर डॉक्टर की राय

वहीं जागरूकता की कमी और जानकारी के अभाव में यहां की बच्चियां और महिलाएं अपने स्वास्थ्य से समझौता करती है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की संजीवनी क्लीनिक के प्रोजेक्ट में एक महिला डॉक्टर विशेषज्ञ सप्ताह में 2 दिन उपलब्ध रहती है. पर यह सुविधा भोपाल के केवल 3 क्षेत्रों में उपलब्ध हो पाई है. इसका मतलब साफ है प्रदेश की कमलनाथ सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं है जो सिस्टम पर कई सवाल खड़े करता है .

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