भोपाल। राजभवन से महज 1 किलोमीटर दूर रोशनपुरा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला है. इस स्कूल में एक ही हॉल में पहली से पांचवी तक कि कक्षाएं लगाई जाती हैं. एक ही हॉल में एक हाथ के डिस्टेंस पर छात्र बैठते हैं और टीचर्स जैसे-तैसे एडजस्ट करके छात्रों की कक्षाएं लेते हैं. हालांकि कोरोना काल में मिडिल स्कूल बंद हैं, टीचर्स बच्चों को घर-घर जाकर कक्षाएं दे रहे हैं, लेकिन अनलॉक में छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसे देखते हुए विभाग नवंबर माह में स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में अगर स्कूल खुलते हैं तो इस स्कूल में 1 ही हॉल में 5 कक्षाएं लगाई जाएंगी, क्योंकि स्कूल को बजट इस साल भी नहीं मिला है. इस स्कूल में 256 बच्चे पढ़ते हैं, जो बिना टेबल, कुर्सी के जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. प्रतिवर्ष बारिश के समय बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
राजधानी के स्कूल में शौचालय नहीं
ईदगाह हिल्स स्थित शासकीय कन्या शाला में 350 करीब छात्राएं हैं. स्कूल में पिछले 4 साल से शौचालय नहीं है. छात्राओं को शौच करने सुलभ शौचालय जाना पड़ता है. स्कूल की प्राचार्य की मानें तो मंत्री-विधायक सब स्कूल का दौरा करके जा चुके हैं, लेकिन आजतक स्कूल को कोई राशि नहीं मिली. जिससे स्कूल की हालत सुधारी जा सके. छात्राएं जब शौच करने सुलभ जाती हैं तो मन में डर लगा रहता है, क्योंकि स्कूल ऐसे इलाके में है जहां आस-पास झुग्गी बस्तियां हैं, ऐसे में छात्राओं के मन में डर बना रहता है.
लाइब्रेरी और फर्नीचर तो दूर की बात
प्राचार्य ने बताया कि पिछले साल भी स्कूल को राशि देने की घोषणा हुई थी, इस वर्ष भी स्कूल का नाम है, लेकिन अब तक विभाग से कोई लेटर नहीं मिला है. जिससे ये सुनिश्चित हो कि स्कूल में शौचलाय बनेगा. स्कूल की लाइब्रेरी और फर्नीचर के बारे में प्राचार्य का कहना है. जब शौचालय नहीं है तो लाइब्रेरी और फर्नीचर का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. बच्चों को किताबों से ही पढ़ाया जाता है और जो संसाधन स्कूल अपनी तरफ से उपलब्ध करवा पाता है, वो संसाधन बच्चों को दिए जाते हैं. शासन की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद अब तक नहीं मिली है.
राजधानी के शासकीय स्कूलों की जर्जर हालत है जो कि बच्चों के बैठने लायक भी नहीं है. जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया 2.25 करोड़ रुपए की राशि स्कूलों के पास की गई है. 6 माह के भीतर 40 स्कूलों में काम होगा.