भोपाल। इंदौर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों के आंखों की रोशनी जाने के मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए सात सदस्यों की टीम का गठन कर दिया है, साथ ही हॉस्पिटल का लाइसेंस भी रद्द कर दिया है
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने जानकारी देते हुए बताया कि मामले की जांच के लिए लिए सात सदस्यीय टीम बना दी गई है. उन्होंने बताया कि पिड़ितों को 20- 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता रेडक्रॉस से दी गई है.
मंत्री तुलसी सिलावट ने मामले पर दुख जताते हुए कहा है कि यह घटना मन को व्यथित करने वाली है. उनका कहना है कि अब यह मेरी जिम्मेदारी है कि किसी भी तरह इन मरीजों की आंखों की रोशनी वापस आ जाए, जिसके लिए प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हम कोशिश कर रहे है कि पीड़ित मरीजों का का इलाज चेन्नई के शंकर नेत्रालय के डॉक्टर से करा सकें. अगर इसके लिए मरीजों को बाहर भेजना पड़े या फिर बाहर के डॉक्टरों को यहां बुलाने की आवश्यकता पड़ी तो मध्य प्रदेश सरकार इसका भी खर्चा उठाएगी.
बता दें कि की 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन इंदौर के नीजी अस्पताल में किया गया था. जहां इलाज के बाद की मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी.