भोपाल| मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज मालवा के श्रद्धा पर्व 'संजा' की प्रस्तुति का प्रसारण संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर हुआ.
कुआंरी कन्यायों ने भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पर्व के अवसर पर मनाये जाने वाले इस लोककला कर्म में लगभग सभी भित्ति अलंकरण कला के साथ-साथ गीत-संगीत आदि का सुन्दर समावेश देखने को मिलता है.
इस पर्व में गीत-संगीत के साथ पहले दिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा को पूनम का पाटला, आश्विन प्रतिपदा को पंखे, दूसरे दिन बिजौरा, तृतीया को घेवर, चतुर्थी को चौपड़, पंचमी को पांच कुंवारा-कुवांरी, सष्ठ्मी को छेबड़ी, सप्तमी को सांतिया, अष्टमी को आठ पंखड़ियों का फूल या आठ भाइयों की फौज, नवमी को डोकरा-डोकरी, दसमी को दीपक, एकादशी को केले का पेड़ या पालकी, द्वादशी को खजूर का पेड़ या मोर-मोरनी और त्रियोदशी से अमावस्या तक किलाकोट की तैयारी की जाती है.
किलाकोट संजा लोककला की समग्र प्रस्तुति है, जहां प्रस्तुति में संजा का दरबार, चंपो झूली रहो म्हारे द्वार, संजा तो मांगे हरो-हरो गोबर, जाओ संजा माई सासरिये आदि गीतों का समावेश प्रस्तुत किया गया.