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MP: 64वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर 'गजल सम्राट' ने बांधा गजलों का समा - गजल संध्या भोपाल

मध्यप्रदेश के 64वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में गजल गायक तलत अजीज ने अपनी गजल से लोगों का दिल जीत लिया.

गजल गायकी का किया गया आयोजन
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Published : Nov 1, 2019, 10:23 AM IST

Updated : Nov 1, 2019, 11:44 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के 64वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मुक्ताकाश प्रागंण में गजल गायक तलत अजीज ने अपनी गजलों से समां बांधा. महफिल में अजीज ने मौसीकी (गायकी) के कई रंग घोले. संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने तलत अजीज का स्वागत किया. संस्कृति विभाग ने भारत भवन में गजल संध्या का आयोजन किया था, जिसमें गायक तलत अजीज की मौसीकी सुनने बड़ी तादाद में लोग पहुंचे. तलत ने संस्कृति विभाग प्रदेश सरकार के आमंत्रण के लिए शुक्रिया अदा किया.

गजल संध्या का आयोजन

'कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद' से शुरू कर तलत अजीज ने कई लोकप्रिय गजलें सुनाई. वहीं उन्होंने मशहूर गायिका नूरजहां का गाया हुआ 'मैंने एक आशियाना बनाया था अब भी शायद वो जल रहा होगा' को भी गजल गायक अजीज ने अपने ही अंदाज में सुनाकर सभी का दिल जीत लिया.

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम को सुनने के लिए भारत भवन के मुक्ताकाश बहिरंग में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी पहुंचे. श्रोताओं से रूबरू होते हुए तलत अजीज ने कहा कि यहां का माहौल देखकर दिल बाग-बाग हो गया. जब भी यहां आते हैं तो तरोताजा हो जाते हैं.

भोपाल। मध्यप्रदेश के 64वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मुक्ताकाश प्रागंण में गजल गायक तलत अजीज ने अपनी गजलों से समां बांधा. महफिल में अजीज ने मौसीकी (गायकी) के कई रंग घोले. संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने तलत अजीज का स्वागत किया. संस्कृति विभाग ने भारत भवन में गजल संध्या का आयोजन किया था, जिसमें गायक तलत अजीज की मौसीकी सुनने बड़ी तादाद में लोग पहुंचे. तलत ने संस्कृति विभाग प्रदेश सरकार के आमंत्रण के लिए शुक्रिया अदा किया.

गजल संध्या का आयोजन

'कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद' से शुरू कर तलत अजीज ने कई लोकप्रिय गजलें सुनाई. वहीं उन्होंने मशहूर गायिका नूरजहां का गाया हुआ 'मैंने एक आशियाना बनाया था अब भी शायद वो जल रहा होगा' को भी गजल गायक अजीज ने अपने ही अंदाज में सुनाकर सभी का दिल जीत लिया.

मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम को सुनने के लिए भारत भवन के मुक्ताकाश बहिरंग में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी पहुंचे. श्रोताओं से रूबरू होते हुए तलत अजीज ने कहा कि यहां का माहौल देखकर दिल बाग-बाग हो गया. जब भी यहां आते हैं तो तरोताजा हो जाते हैं.

Intro:मध्य प्रदेश स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर ग़ज़ल गायक तलत अजीज ने अपनी गायकी से बांधा शमा, देर रात तक जमे रहे श्रोता


भोपाल | मध्य प्रदेश के 64 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर भारत भवन के मुक्ताकाश प्रांगण में गजल गायक तलत अजीज की गजलों को सुनने का मौका ग़ज़ल को रसिको मिला बड़ी झील का किनारा खूबसूरत शाम हल्की सर्द हवाएं और ग़ज़ल की महफिल मैं स्वयं ग़ज़ल गायक तलत अजीज सामने बैठे हो तो फिर हर महफ़िल में चार चांद लग जाते हैं महफिल में मौसिकी के रंग घोले तलत अजीज ने जब उन्होंने एक से बढ़कर एक गजलें श्रोताओं को सुनाई .






Body:संस्कृति विभाग द्वारा भारत भवन में आयोजित मशहूर ग़ज़ल गायक तलत अजीज के ग़ज़ल कार्यक्रम को सुनने बड़ी तादाद में लोग पहुंचे बड़ी झील के किनारे खुले मंच पर उनका स्वागत संस्कृति मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने पुष्प-गुच्छ से किया। मंत्री साधौ ने तलत के साथी कलाकारों का भी स्वागत किया। तलत ने संस्कृति विभाग, म.प्र. शासन के आमंत्रण के लिए शुक्रिया अदा किया।

कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद... से शुरू कर तलत अजीज ने अनेक लोकप्रिय गजलें सुनाई। मप्र की स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम को सुनने भारत भवन के मुक्ताकाश बहिरंग में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी पहुंचे।



कार्यक्रम में मशहूर गायिका नूरजहां का गाया हुआ ... 'मैंने एक आशियाना बनाया था.. अब भी शायद वो जल रहा होगा...' को भी गजल गायक तलत अजीज ने अपने ही अंदाज में मैं सुना कर सभी का दिल जीत लिया .

इसके अलावा 'आज जाने की जिद न करो...' और 'आईना मेरी पहले सी सूरत मांगे..' जैसी मशहूर गजलें भी पेश कीं।मशहूर ग़ज़ल गायक तलत अजीज के इस कार्यक्रम में वैसे तो उनके द्वारा पेश की गई सभी गजलें सभी को पसंद आईं, पर फिल्म उमराव जान (1981) की ग़ज़ल 'जिंदगी...जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें....'को बहुत सराहा गया।इसके साथ ही उन्होंने बशीर बद्र जी को याद करते हुए उनके सेहतमंद होने की कामना की। तलत जी ने बद्र साहब की रचना 'सरे राह मुझे कुछ भी कहा नहीं...कभी उसके घर में गया नहीं..' भी सुनाई। इसके बाद 'फिर छिड़ी रात,बात फूलों की,रात है या बारात फूलों की..' से तलत जी ने समा बांध दिया।Conclusion:गजल गायकी का जुनून इस कदर श्रोताओं पर हावी था कि उसे संस्कृति मंत्री विजय लक्ष्मी साधो और प्रमुख सचिव पंकज राज भी नहीं रोक पाए उन्होंने भी कार्यक्रम के दौरान ग़ज़ल गायक तलत अजीज से अपनी फरमाइश गाने की गुजारिश कर दी मंत्री की वर्मा इसके बाद आए हुए श्रोताओं ने भी अपनी पसंद का गजल सुनने के लिए ग़ज़ल गायक से गुजारिश की जिसे तलत अजीज ने अपनी गायकी के माध्यम से पूरा किया देर शाम शुरू हुई यह ग़ज़ल गायकी की शाम देर रात तक यूं ही चलती रही .


श्रोताओं से रूबरू होते हुए तलत अजीज ने कहा कि यहां का माहौल देखकर दिल बाग-बाग हो गया जब मैं यहां आता हूं तो तरोताजा हो जाता हूं भोपाल का माहौल बहुत ही खूबसूरत है यहां पर आकर श्रोताओं के बीच ग़ज़ल गाना एक नई ऊर्जा का काम करता है .
Last Updated : Nov 1, 2019, 11:44 AM IST
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