भोपाल। कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन (Corona new variant Omicron) की जांच के लिए मध्य प्रदेश में पांच जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन (Five Genome Sequencing Machines to be Installed in MP) लगाई जाएगी. इसकी ट्रेनिंग के लिए भोपाल के 3 डॉक्टर और साइंटिस्ट के नाम का पैनल केंद्र को भेजा गया है. यह तीन डॉक्टर दिल्ली में ट्रेनिंग लेने के बाद मध्य प्रदेश में डॉक्टरों को ट्रेनिंग देंगे. दिसंबर के सेकंड वीक के बाद यह सभी ट्रेनिंग लेने दिल्ली जाएंगे.
विश्वास सारंग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा पत्र
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख एल मांडविया (Union Health Minister Mansukh L Mandaviya) से मुलाकात कर मध्य प्रदेश के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन उपलब्ध (Genome Sequencing Machine Available for Madhya Pradesh) करवाने का अनुरोध किया था. मांडविया ने प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा मेडिकल कॉलेज के लिए मशीन देने की स्वीकृति प्रदान कर दी है. ऐसे में इन मशीनों को किस तरह से चलाया जाएगा और उसका संचालन कैसे होगा?
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इसकी ट्रेनिंग के लिए मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में डॉक्टर और साइंटिस्ट की ट्रेनिंग कराने की मांग की गई है. इस पत्र के माध्यम से 3 नाम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए हैं. जिसमें डॉक्टर असीम रांगनेकर (असिस्टेंट प्रोफेसर) डॉ. पी नागराज (साइंटिस्ट कैटेगरी सी) डॉ. राजीव कुमार जैन (साइंटिस्ट कैटेगरी बी) का नाम शामिल है.
लेटर में अनुरोध किया गया है कि सभी डॉक्टर्स की ट्रेनिंग दिसंबर के सेकंड वीक के अंत तक करा ली जाए. इस ट्रेनिंग में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीनों को किस तरह से संचालित करना है, ये सिखाया जाएगा. उसकी ट्रेनिंग यह तीन डॉक्टर वापस आकर अन्य डॉक्टरों को देंगे.
6 घंटे में होगी ओमीक्रॉन की पुष्टि
इन मशीनों के माध्यम से प्रदेश में ही कोरोना के किसी भी वेरिएंट (Battle with Omicron Variant in Madhya Pradesh) की जांच और पहचान हो सकेगी. यह प्रदेश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है. इस मशीन के माध्यम से 6 घंटे में कोरोना के नए वैरिएंट का पता लगाया जा सकेगा. प्रदेश में अभी तक जीनोम सिक्वेंसिंग न होने के कारण सैंपल दिल्ली भेजने पड़ते थे. जिसके कारण रिपोर्ट आने में काफी समय लगता था. अब प्रदेश में ही पांच मेडीकल कॉलेजों में मशीन होंगी, तो जांच रिपोर्ट तुरंत मिल सकेंगी.