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किल कोरोना अभियान के तहत गैस पीड़ित बस्तियों का हो रहा सघन सर्वे - 50 teams will survey for 2 days

किल कोरोना अभियान के तहत करीब 36 गैस प्रभावित बस्तियों में गैस राहत विभाग की लगभग 50 टीमें 2 दिन तक सर्वे करेंगी.

Kill Corona campaign
किल कोरोना अभियान
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Published : Jul 5, 2020, 12:45 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक जुलाई से पूरे प्रदेश में शुरू किए गए किल कोरोना अभियान के तहत राजधानी भोपाल में भी बड़े पैमाने पर सर्वे किया जा रहा है. चूंकि राजधानी भोपाल में करीब 35 साल पहले हुए गैस हादसे के पीड़ितों को कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है. इसलिए अब इस अभियान के तहत शहर की गैस पीड़ित बस्तियों में सघन सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं, जोकि दो दिन तक चलेगा.

50 teams will survey for 2 days
50 टीमें 2 दिन तक सर्वे करेंगी

किल कोरोना अभियान के तहत करीब 36 गैस पीड़ित प्रभावित बस्तियों में गैस राहत विभाग की लगभग 50 टीमें 2 दिन तक सर्वे करेंगी. इनमें कोरोना के अलावा डेंगू, मलेरिया और दूसरे बुखार से पीड़ित मरीजों की भी स्क्रीनिंग और सैंपलिंग की जा रही है. गैस राहत विभाग की 50 टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं.

Gas affected settlements are being surveyed
गैस पीड़ित बस्तियों का हो रहा सर्वे

गैस पीड़ितों में कोरोना वायरस के संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों की सैंपलिंग भी की जा रही है. साथ ही मलेरिया वाले लक्षणों के व्यक्तियों की रैपिड किट से टेस्टिंग भी हो रही है. यदि गैस पीड़ितों में दूसरी बीमारियां पाई जाती हैं तो उनकी भी इलाज की व्यवस्था की गयी है. इस कैंपेन में गैस राहत विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं के साथ डॉक्टर भी मौजूद हैं.

Kill Corona campaign
किल कोरोना अभियान

राजधानी भोपाल में कोरोना वायरस के शुरुआती दौर से ही सबसे ज्यादा असर गैस पीड़ितों पर हुआ था. भोपाल में हुई मौतों में भी ये बात देखने को मिली है कि लगभग 60 प्रतिशत मृतक ऐसे हैं, जोकि गैस पीड़ित थे और किसी न किसी बीमारी से पहले से ही जूझ रहे थे. इस बात को लेकर राजधानी भोपाल में गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता भी कई बार गैस पीड़ितों पर ध्यान देने के लिए सरकार को पत्र लिख चुके हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक जुलाई से पूरे प्रदेश में शुरू किए गए किल कोरोना अभियान के तहत राजधानी भोपाल में भी बड़े पैमाने पर सर्वे किया जा रहा है. चूंकि राजधानी भोपाल में करीब 35 साल पहले हुए गैस हादसे के पीड़ितों को कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है. इसलिए अब इस अभियान के तहत शहर की गैस पीड़ित बस्तियों में सघन सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं, जोकि दो दिन तक चलेगा.

50 teams will survey for 2 days
50 टीमें 2 दिन तक सर्वे करेंगी

किल कोरोना अभियान के तहत करीब 36 गैस पीड़ित प्रभावित बस्तियों में गैस राहत विभाग की लगभग 50 टीमें 2 दिन तक सर्वे करेंगी. इनमें कोरोना के अलावा डेंगू, मलेरिया और दूसरे बुखार से पीड़ित मरीजों की भी स्क्रीनिंग और सैंपलिंग की जा रही है. गैस राहत विभाग की 50 टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं.

Gas affected settlements are being surveyed
गैस पीड़ित बस्तियों का हो रहा सर्वे

गैस पीड़ितों में कोरोना वायरस के संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों की सैंपलिंग भी की जा रही है. साथ ही मलेरिया वाले लक्षणों के व्यक्तियों की रैपिड किट से टेस्टिंग भी हो रही है. यदि गैस पीड़ितों में दूसरी बीमारियां पाई जाती हैं तो उनकी भी इलाज की व्यवस्था की गयी है. इस कैंपेन में गैस राहत विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं के साथ डॉक्टर भी मौजूद हैं.

Kill Corona campaign
किल कोरोना अभियान

राजधानी भोपाल में कोरोना वायरस के शुरुआती दौर से ही सबसे ज्यादा असर गैस पीड़ितों पर हुआ था. भोपाल में हुई मौतों में भी ये बात देखने को मिली है कि लगभग 60 प्रतिशत मृतक ऐसे हैं, जोकि गैस पीड़ित थे और किसी न किसी बीमारी से पहले से ही जूझ रहे थे. इस बात को लेकर राजधानी भोपाल में गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता भी कई बार गैस पीड़ितों पर ध्यान देने के लिए सरकार को पत्र लिख चुके हैं.

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