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G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन, प्रॉडक्ट भी खरीदे

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Published : Jan 17, 2023, 7:10 PM IST

मध्यप्रदेश में आयोजित जी 20 समिट (G20 Summit) में विदेशी मेहमानों के सामने आदिवासियों की व्यंजन सामग्री परोसी गई. जिसे सभी ने बड़े मन से स्वाद लिया और तारीफ की. इसके साथ ही आदिवासियों द्वारा बनाई गई सामग्रियों को भी विदेशी मेहमानों के सामने प्रदर्शित किया गया. विदेशी मेहमानों ने भारत में लगातार हो रहे विकास कार्यों से प्रभावित होकर कहा कि यहां हो रहे नवाचार पूरी दुनिया के अनुकरणीय हैं.

G20 Summit foreign guests liked tribal dishes
G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

भोपाल। मोदी सरकार इस वक्त आदिवासियों पर फोकस कर रही है तो ऐसे में भला सीएम शिवराज कैसे पीछे रह सकते हैं. कहने को तो मध्यप्रदेश में जी 20 देशों के प्रतिनिधि आए. लेकिन शिवराज सरकार ने आदिवासियों के बनाए जा रहे उत्पादों की खूब ब्रांडिंग की. मेहमानों को आदिवासियों द्वारा कोदो कुटकी, बाजरा, ज्वार के अलग-अलग तरह के व्यंजन रखे गए. मेहमानों को जो व्यंजन परोसे गए, वे भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के ज्यादा रहे और उनको बनाने के लिए भी महिलाओं की टीम लाई गई. 20 देशों से आए लोगो ने भी जमकर इन व्यंजनों का आनंद लिया.

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G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

बाजरे की खिचड़ी, ज्वार रोटी : दो दिन चले आयोजन में खासतौर से बाजरे की खिचड़ी और साथ में आदिवासी व्यंजन परोसा गया. विदेशी मेहमानों को ज्वार, बाजरा के साथ बाजरे की खिचड़ी भी बहुत पसंद आई. विदेशियों को आदिवासी कला भी खूब पसंद आई और उन्होंने आदिवासी कला से जुड़ी चित्रकारी जिसे गोंड और भील बनाते हैं, उसकी खरीदारी भी की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 4 बाय 4 की पेंटिंग 45 हजार से लेकर 70 हजार रुपए में खरीदी गई. आदिवासी उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए लगाए गए स्टॉल मोदी सरकार की सोच के मुताबिक रहे. आदिवासियों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कुशाभाऊ ठाकरे बिल्डिंग के मैदान में कई स्टॉल लगाए गए. जिसमें मोटे अनाज से बने प्रोडक्ट्स के साथ आदिवासियों की बनाई चीजों पर पूरा फोकस रहा.

G20 Summit foreign guests liked tribal dishes
G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

आदिवासियों के प्रॉडक्ट की सराहना : खासतौर से आदिवासियों द्वारा बनाए गए कप, प्लेट और अन्य मिट्टी के बर्तनों की उनको परिष्कृत कर अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की गई. सूती साड़ी के लिए लगाए गए स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहे. बताया गया कि चरखा और पुरानी तरीके से कैसे साड़ियां बनती थीं. उन मशीनों को भी लाया गया और सामने बताया गया कि कैसे हाथ और मशीन से साड़ी बनती है और इसकी कीमत इतनी क्यों बढ़ जाती है. विदेशी मेहमानों ने भी साड़ियों के साथ अन्य उत्पाद भी यहां से खरीदे. G 20 डेलीगेट्स ने भारत की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. कोविड महामारी, यूक्रेन संकट के समाधान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

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G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

भारत का मॉडल ऐतिहासिक : विदेशी मेहमानों ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भारत का मॉडल ऐतिहासिक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूगांडा में वर्ष 2018 में स्थानीय क्षमता को अधिक से अधिक बढ़ाने पर जोर दिया था. सतत विकास के 2030 एजेंडे को पूरा करने की दिशा में भारत तेज गति से बढ़ रहा है. विदेशों से आए प्रतिनिधियों ने भारत की जमकर तारीफ की और कहा कि भारत वैश्विक नवाचार कार्यक्रम पर तेज गति से कार्य कर रहा है. भारत और फ्रांस के सहयोग से कई राष्ट्रीय उद्यानों का संधारण किया जा रहा है.

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भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था : विदेशी मेहमानों ने कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भारत में कई प्रयोग किए जा रहे हैं. होटलों से निकलने वाले फूड वेस्ट को बायोगैस में बदला जा रहा है. जर्मनी की वक्ता ऊवे गैहलैल ने कहा कि त्रिकोणीय सहकार में भारत और जर्मनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. डिजिटलाइजेशन में भारत में जो कार्य हुआ है, वो पूरे विश्व में अद्वितीय है. इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड इकोनामिक रिसर्च ब्राजील के डॉ. आंद्रे डिसूजा ने कहा कि सरकारों के साथ विभिन्न निजी संस्थाओं की जी-20 के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका है. ड्यूसबर्ग यूनिवर्सिटी जर्मिनी के गैरारडो ब्राचो ने कहा कि स्वामित्व की स्थानीय अवधारणा की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए.

भोपाल। मोदी सरकार इस वक्त आदिवासियों पर फोकस कर रही है तो ऐसे में भला सीएम शिवराज कैसे पीछे रह सकते हैं. कहने को तो मध्यप्रदेश में जी 20 देशों के प्रतिनिधि आए. लेकिन शिवराज सरकार ने आदिवासियों के बनाए जा रहे उत्पादों की खूब ब्रांडिंग की. मेहमानों को आदिवासियों द्वारा कोदो कुटकी, बाजरा, ज्वार के अलग-अलग तरह के व्यंजन रखे गए. मेहमानों को जो व्यंजन परोसे गए, वे भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के ज्यादा रहे और उनको बनाने के लिए भी महिलाओं की टीम लाई गई. 20 देशों से आए लोगो ने भी जमकर इन व्यंजनों का आनंद लिया.

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G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

बाजरे की खिचड़ी, ज्वार रोटी : दो दिन चले आयोजन में खासतौर से बाजरे की खिचड़ी और साथ में आदिवासी व्यंजन परोसा गया. विदेशी मेहमानों को ज्वार, बाजरा के साथ बाजरे की खिचड़ी भी बहुत पसंद आई. विदेशियों को आदिवासी कला भी खूब पसंद आई और उन्होंने आदिवासी कला से जुड़ी चित्रकारी जिसे गोंड और भील बनाते हैं, उसकी खरीदारी भी की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 4 बाय 4 की पेंटिंग 45 हजार से लेकर 70 हजार रुपए में खरीदी गई. आदिवासी उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए लगाए गए स्टॉल मोदी सरकार की सोच के मुताबिक रहे. आदिवासियों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कुशाभाऊ ठाकरे बिल्डिंग के मैदान में कई स्टॉल लगाए गए. जिसमें मोटे अनाज से बने प्रोडक्ट्स के साथ आदिवासियों की बनाई चीजों पर पूरा फोकस रहा.

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G20 Summit विदेशी मेहमानों को भाए आदिवासियों के व्यंजन

आदिवासियों के प्रॉडक्ट की सराहना : खासतौर से आदिवासियों द्वारा बनाए गए कप, प्लेट और अन्य मिट्टी के बर्तनों की उनको परिष्कृत कर अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की गई. सूती साड़ी के लिए लगाए गए स्टॉल आकर्षण का केंद्र रहे. बताया गया कि चरखा और पुरानी तरीके से कैसे साड़ियां बनती थीं. उन मशीनों को भी लाया गया और सामने बताया गया कि कैसे हाथ और मशीन से साड़ी बनती है और इसकी कीमत इतनी क्यों बढ़ जाती है. विदेशी मेहमानों ने भी साड़ियों के साथ अन्य उत्पाद भी यहां से खरीदे. G 20 डेलीगेट्स ने भारत की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. कोविड महामारी, यूक्रेन संकट के समाधान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

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भारत का मॉडल ऐतिहासिक : विदेशी मेहमानों ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भारत का मॉडल ऐतिहासिक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूगांडा में वर्ष 2018 में स्थानीय क्षमता को अधिक से अधिक बढ़ाने पर जोर दिया था. सतत विकास के 2030 एजेंडे को पूरा करने की दिशा में भारत तेज गति से बढ़ रहा है. विदेशों से आए प्रतिनिधियों ने भारत की जमकर तारीफ की और कहा कि भारत वैश्विक नवाचार कार्यक्रम पर तेज गति से कार्य कर रहा है. भारत और फ्रांस के सहयोग से कई राष्ट्रीय उद्यानों का संधारण किया जा रहा है.

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भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था : विदेशी मेहमानों ने कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भारत में कई प्रयोग किए जा रहे हैं. होटलों से निकलने वाले फूड वेस्ट को बायोगैस में बदला जा रहा है. जर्मनी की वक्ता ऊवे गैहलैल ने कहा कि त्रिकोणीय सहकार में भारत और जर्मनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. डिजिटलाइजेशन में भारत में जो कार्य हुआ है, वो पूरे विश्व में अद्वितीय है. इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड इकोनामिक रिसर्च ब्राजील के डॉ. आंद्रे डिसूजा ने कहा कि सरकारों के साथ विभिन्न निजी संस्थाओं की जी-20 के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका है. ड्यूसबर्ग यूनिवर्सिटी जर्मिनी के गैरारडो ब्राचो ने कहा कि स्वामित्व की स्थानीय अवधारणा की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए.

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