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पूर्व सीएम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, पलायन कर रहे मजदूरों और छात्रों के लिए कही ये बात - एमपी में कोरोना

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस से चल रही लड़ाई में हर कदम पर उनके साथ खड़े हुए हैं. कमलनाथ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सुझाव भी देते हुए कहा है कि इस आपात स्थिति के लिए देश तैयार नहीं था. इसलिए इन मजदूरों और छात्रों को हम बेसहारा नहीं छोड़ सकते हैं.

पूर्व सीएम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
Former CM wrote to PM Modi
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Published : Mar 31, 2020, 4:39 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस से चल रही लड़ाई में हर कदम पर उनके साथ खड़े हुए हैं. वहीं उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों से अपने घर की ओर पलायन कर रहे गरीब मजदूरों और छात्रों की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाते हुए कमलनाथ ने कहा कि सभी राज्यों से समन्वय करके इन मजदूरों और छात्रों के रहने खाने और सकुशल वापसी का इंतजाम किया जाए।

पूर्व सीएम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सुझाव भी देते हुए कहा है कि इस आपात स्थिति के लिए देश तैयार नहीं था. इसलिए इन मजदूरों और छात्रों को हम बेसहारा नहीं छोड़ सकते हैं. इसलिए इनकी मदद के लिए आगे आना होगा. पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में हम आपके साथ हैं तथा अपनी पूरी क्षमताओं के साथ इस लड़ाई के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही कहा कि इस वक्त मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में पलायन करने वाले मजदूरों एवं छात्रों के सामने भीषण संकट खड़ा हुआ है, वे जहां रहते हैं या काम करते हैं, वहां उन्हें जीवन यापन की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और ना ही कोई उन्हें भरोसा दिलाने वाला है. उनके मन में स्वाभाविक भय है,वे भी मानते हैं कि अपने गांव और अपने घर पहुंच कर सुरक्षित हो जाएंगे. यही कारण है कि लाखों मजदूर और छात्र अपने घरों तक सैकड़ों मील पैदल चलकर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को पांच सुझाव भी दिए हैं. इनमें कहा है कि...

1- केंद्र सरकार तत्काल राज्य सरकारों से समन्वय स्थापित करके देश के सभी हिस्सों में प्रवासी मजदूरों और छात्रों को पहले तो भरोसा दिलाए कि वे जहां हैं उन्हें वहां उस शहर या राज्य में रहने में कोई तकलीफ नहीं होगी, उनके रहने खाने-पीने का इंतजाम किया जाएगा.

2- राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके सोशल डिस्टेंसिंग के साथ उनके रहने और खाने के लिए स्कूलों और धर्मशालाओं का प्रबंध किया जाए इस काम में जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओं की मदद ली जाए

3- सभी जगहों पर छात्रों और मजदूर परिवारों का स्वास्थ्य लक्षणों की स्क्रीनिंग की जाए जिन्हें कोई बीमारी नहीं है उन्हें अपने-अपने घर तक पहुंचने में मदद की जाए और परिवहन के लिए निजी बसों को अधिकृत किया जाए या विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जाए और उनके व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य केंद्र शासन द्वारा मिलकर की जाए.

4- अपने घर जाने वाले लोगों के लिए 3 महीने का राशन और 7500 रुपए प्रति माह के हिसाब से 2 माह के पैसे दिए जाएं, इस पहल को आधार बीपीएल कार्ड या किसी श्रमिक पंजीयन से ना जोड़ा जाए.

5 - एक सक्रिय नियंत्रण कक्ष हर राज्य में खाद्य असुरक्षा, भुखमरी और पलायन के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाए.

लिहाजा इस प्रकार से कमलनाथ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सुझाव दिए हैं, और साथ ही ये भी कहा है कि, इस आपात स्थिति के लिए देश तैयार नहीं था. इसलिए इन मजदूरों और छात्रों को बेसहारा नहीं छोड़ सकते हैं. हर हाल में उनकी मदद के लिए तत्परता से आगे आना होगा.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया है कि कोरोना वायरस से चल रही लड़ाई में हर कदम पर उनके साथ खड़े हुए हैं. वहीं उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों से अपने घर की ओर पलायन कर रहे गरीब मजदूरों और छात्रों की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाते हुए कमलनाथ ने कहा कि सभी राज्यों से समन्वय करके इन मजदूरों और छात्रों के रहने खाने और सकुशल वापसी का इंतजाम किया जाए।

पूर्व सीएम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सुझाव भी देते हुए कहा है कि इस आपात स्थिति के लिए देश तैयार नहीं था. इसलिए इन मजदूरों और छात्रों को हम बेसहारा नहीं छोड़ सकते हैं. इसलिए इनकी मदद के लिए आगे आना होगा. पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में हम आपके साथ हैं तथा अपनी पूरी क्षमताओं के साथ इस लड़ाई के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही कहा कि इस वक्त मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में पलायन करने वाले मजदूरों एवं छात्रों के सामने भीषण संकट खड़ा हुआ है, वे जहां रहते हैं या काम करते हैं, वहां उन्हें जीवन यापन की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और ना ही कोई उन्हें भरोसा दिलाने वाला है. उनके मन में स्वाभाविक भय है,वे भी मानते हैं कि अपने गांव और अपने घर पहुंच कर सुरक्षित हो जाएंगे. यही कारण है कि लाखों मजदूर और छात्र अपने घरों तक सैकड़ों मील पैदल चलकर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को पांच सुझाव भी दिए हैं. इनमें कहा है कि...

1- केंद्र सरकार तत्काल राज्य सरकारों से समन्वय स्थापित करके देश के सभी हिस्सों में प्रवासी मजदूरों और छात्रों को पहले तो भरोसा दिलाए कि वे जहां हैं उन्हें वहां उस शहर या राज्य में रहने में कोई तकलीफ नहीं होगी, उनके रहने खाने-पीने का इंतजाम किया जाएगा.

2- राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके सोशल डिस्टेंसिंग के साथ उनके रहने और खाने के लिए स्कूलों और धर्मशालाओं का प्रबंध किया जाए इस काम में जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओं की मदद ली जाए

3- सभी जगहों पर छात्रों और मजदूर परिवारों का स्वास्थ्य लक्षणों की स्क्रीनिंग की जाए जिन्हें कोई बीमारी नहीं है उन्हें अपने-अपने घर तक पहुंचने में मदद की जाए और परिवहन के लिए निजी बसों को अधिकृत किया जाए या विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जाए और उनके व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य केंद्र शासन द्वारा मिलकर की जाए.

4- अपने घर जाने वाले लोगों के लिए 3 महीने का राशन और 7500 रुपए प्रति माह के हिसाब से 2 माह के पैसे दिए जाएं, इस पहल को आधार बीपीएल कार्ड या किसी श्रमिक पंजीयन से ना जोड़ा जाए.

5 - एक सक्रिय नियंत्रण कक्ष हर राज्य में खाद्य असुरक्षा, भुखमरी और पलायन के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाए.

लिहाजा इस प्रकार से कमलनाथ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 सुझाव दिए हैं, और साथ ही ये भी कहा है कि, इस आपात स्थिति के लिए देश तैयार नहीं था. इसलिए इन मजदूरों और छात्रों को बेसहारा नहीं छोड़ सकते हैं. हर हाल में उनकी मदद के लिए तत्परता से आगे आना होगा.

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