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जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने का मामला: कमलनाथ ने शिवराज सरकार को बताया आदिवासी विरोधी, की ये मांग - पूर्व सीएम कमलनाथ

वन विभाग, पुलिस और राजस्व की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए रोहिणी वन परिक्षेत्र से अतिक्रमण हटा दिया था. टीम ने यहां से करीब 40 अतिक्रमणकारियों के झोपड़े तोड़कर वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. इस कार्रवाई को अवैध बताते पूर्व सीएम कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साध है. साथ ही न्याय की मांग की है.

kamal nath and shivraj
कमलनाथ-शिवराज
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Published : Jul 22, 2021, 4:44 AM IST

भोपाल। जिले के ग्राम रोहिणी वन परिक्षेत्र में हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. साथ ही राज्य सरकार को दलित विरोधी करार दिया है. कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, 'खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है.

  • खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीक़े से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है।

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 21, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कमलनाथ ने की सरकार से न्याय की मांग
दरअसल, कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, "खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है." उन्होंने आगे लिखा,: शिवराज सरकार में आदिवासी, दलित वर्ग के उत्पीड़न, उन पर अत्याचार की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही है. चाहे नेमावर की घटना हो या अन्य घटना, शिवराज सरकार का आदिवासी, दलित वर्ग विरोधी चेहरा निरंतर सामने आ रहा है. इसके साथ ही कमलनाथ ने सरकार से पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की है.

जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन
जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन

कार्रवाई के विरोध में किया प्रदर्शन
दरअसल, करीब एक सप्ताह पहले रोहिणी वन परिक्षेत्र से वन विभाग, पुलिस और राजस्व की टीम ने संयुक्त कार्रवाई को अंजाम दिया था. टीम ने इस दौरान यहां से अतिक्रमण को हटाया था, करीब 40 अतिक्रमणकारियों के झोपड़े तोड़कर वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. इस कार्रवाई को अवैध बताते हुए अब अदिवासी अपने संगठनों के साथ मिलकर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को ये लोग दलित आदिवासी संगठन के बैनर तले इकट्ठा भी हुए थे और सरकार के सामने अपनी मांगे रखी.


आदिवासी समाज ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव
बता दें आदिवासी समाज ने बीते मंगलवार को रैली निकालकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया. करीब चार घंट तक कलेक्ट्रेट परिसर में आदिवासी धरने पर बैठे रहे. आदिवासी संगठन का आरोप है कि वन परिक्षेत्र से जो कब्जे हटाए गए हैं, वह वैधानिक तौर पर ना हटाकर प्रशासन ने जबरिया कार्रवाई कर हटा दिए हैं. ऐसे में आदिवासियों ने इस कार्रवाई में दोषी अधिकारियों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है. वहीं, जिला प्रशासन वन परिक्षेत्र से हटाए गए अतिक्रमण की कार्रवाई को वैध बता रहा है.

जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में आदिवासियों ने दिया धरना, कार्रवाई को बताया अवैध

जानें क्या है मामला
कुछ दिन पहले ग्राम रोहणी वन परिक्षेत्र क्रमांक 12 से वन, पुलिस और राजस्व विभाग की टीम ने संयूक्त कार्रवाई की थी. यहां आदिवासियों ने बेशकिमती सागौन और अन्य पेड़ों को काटकर निवाड़ बना ली थी. इस बारे में जानकारी लगने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी भारी भरकम पुलिसकर्मियों के साथ जंगल पहुंच गए. यहां उन्होंने अतिक्रम करने वालों को खदेड़ा था. इस कार्रवाई का अब आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

भोपाल। जिले के ग्राम रोहिणी वन परिक्षेत्र में हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. साथ ही राज्य सरकार को दलित विरोधी करार दिया है. कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, 'खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है.

  • खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीक़े से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है।

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 21, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कमलनाथ ने की सरकार से न्याय की मांग
दरअसल, कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा, "खंडवा के वन परिक्षेत्र रोहणी के जामन्या में जिस बर्बर तरीके से आदिवासियों के मकानो को तोड़ा गया , वो अमानवीय है और यह न्यायालय के निर्णय के विपरीत भी है." उन्होंने आगे लिखा,: शिवराज सरकार में आदिवासी, दलित वर्ग के उत्पीड़न, उन पर अत्याचार की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही है. चाहे नेमावर की घटना हो या अन्य घटना, शिवराज सरकार का आदिवासी, दलित वर्ग विरोधी चेहरा निरंतर सामने आ रहा है. इसके साथ ही कमलनाथ ने सरकार से पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की है.

जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन
जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन

कार्रवाई के विरोध में किया प्रदर्शन
दरअसल, करीब एक सप्ताह पहले रोहिणी वन परिक्षेत्र से वन विभाग, पुलिस और राजस्व की टीम ने संयुक्त कार्रवाई को अंजाम दिया था. टीम ने इस दौरान यहां से अतिक्रमण को हटाया था, करीब 40 अतिक्रमणकारियों के झोपड़े तोड़कर वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. इस कार्रवाई को अवैध बताते हुए अब अदिवासी अपने संगठनों के साथ मिलकर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को ये लोग दलित आदिवासी संगठन के बैनर तले इकट्ठा भी हुए थे और सरकार के सामने अपनी मांगे रखी.


आदिवासी समाज ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव
बता दें आदिवासी समाज ने बीते मंगलवार को रैली निकालकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया. करीब चार घंट तक कलेक्ट्रेट परिसर में आदिवासी धरने पर बैठे रहे. आदिवासी संगठन का आरोप है कि वन परिक्षेत्र से जो कब्जे हटाए गए हैं, वह वैधानिक तौर पर ना हटाकर प्रशासन ने जबरिया कार्रवाई कर हटा दिए हैं. ऐसे में आदिवासियों ने इस कार्रवाई में दोषी अधिकारियों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है. वहीं, जिला प्रशासन वन परिक्षेत्र से हटाए गए अतिक्रमण की कार्रवाई को वैध बता रहा है.

जंगल से अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में आदिवासियों ने दिया धरना, कार्रवाई को बताया अवैध

जानें क्या है मामला
कुछ दिन पहले ग्राम रोहणी वन परिक्षेत्र क्रमांक 12 से वन, पुलिस और राजस्व विभाग की टीम ने संयूक्त कार्रवाई की थी. यहां आदिवासियों ने बेशकिमती सागौन और अन्य पेड़ों को काटकर निवाड़ बना ली थी. इस बारे में जानकारी लगने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी भारी भरकम पुलिसकर्मियों के साथ जंगल पहुंच गए. यहां उन्होंने अतिक्रम करने वालों को खदेड़ा था. इस कार्रवाई का अब आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

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