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खासगी ट्रस्ट संपत्ति घोटाले में मेरी कोई गलती नहीं:बीपी सिंह - खासगी मामला सुप्रीम कोर्ट

ETV भारत से फोन पर बातचीत करते हुए पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह ने खासगी ट्रस्ट मामले में सफाई दी है. उन्होंने कहा कि उनकी कोई गलती नहीं है. जानिए क्या है पूरा मामला

Khasgi Trust scam
खासगी ट्रस्ट
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Published : Oct 9, 2020, 12:25 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 4:07 PM IST

भोपाल। खासगी ट्रस्ट की जमीन बेचने को लेकर अब EOW की टीम लगातार जांच में जुटी हुई है. इस मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं. जिनमें सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का नाम शामिल है. इसके अलावा इस सूची में भारत सरकार के प्रतिनिधि बीके हिरजी और PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है. ये सभी अधिकारी खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. इसी मीटिंग में जमीन बेचने पर आपसी सहमति दी गई थी. हालांकि ETV भारत से फोन पर हुई बातचीत में बीपी सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में उनकी कोई गलती नहीं है.

Former Chief Secretary BP Singh
पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह

पढ़ें पूरा इंटरव्यू-

  • सवाल- एग्रीमेंट में आपके साइन भी थे?

जवाब- 'इस सवाल के जवाब में पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि हां मैं बैठक में शामिल था. अगर आपके पास वो कागज है तो उसमें आपको ये भी दिख रहा होगा कि वो किस संबंध में हैं, और किस संबंध में मैंने हस्ताक्षर किया है. जिस दस्तावेज पर मेरे हस्ताक्षर है वो दुकान बेचने के संबंध में थे'.

  • सवाल- क्या संपत्ति से जुड़े दस्तावेज नहीं थे वो?

जवाब- नहीं, सिर्फ कुछ दुकानों के संबंध में वे दस्तावेज थे. एक समाचार पत्र में एक ट्रस्टी का इंटरव्यू भी छपा है, उसमें में भी उन्होंने चार दुकानों को ही बेचने की बात कही है.

  • सवाल- अगर वाहन संबंधी बैठक हुई तो जमीन का मामला क्यों?

जवाब- 'बात करीब 12 साल पुरानी है. उस बैठक के बाद मैनें कई मीटिंग अटेंड की है. पहली मीटिंग में वाहन संबंधी दस्तावेज थे. जिसके बाद अगली मीटिंग में पूरे दस्तावेज रखे जाने थे, जिसमें संपत्ति को बेचे जाने के लिए सहमति देनी थी. लेकिन जहां तक मुझे याद है मैंने उन दस्तावेजों में हस्ताक्षर नहीं किया है यानि कंर्फमेशन नहीं दिया है. बता दूं, मेरे पास दस्तावेज आने से पहले ही सेल एग्रीमेंट तय हो चुका था. जो आखिरी मीटिंग होती है उसमें एग्रीमेंट कंफर्म होता है. तभी वह फाइनल मान जाता है. मैंने अभी दस्तावेज नहीं देखे हैं'.

  • सवाल- क्या आपसे मुलाकात हो सकती है?

जवाब- 'फिलहाल अवॉयड करिए मुलाकात क्योंकि अब ये मामला हाईकोर्ट में जा रहा है. कोर्ट के मामलों में कभी ज्यादा बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. इसलिए मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूं कि मेरी कोई गलती नहीं है. बोर्ड ने मेरे सामने जो जानकारी लाई हमने सिर्फ उसमें अनुमति दी'.

  • सवाल- क्या पहले से हो चुका था सेल एग्रीमेंट?

जवाब- 'हां, जो सेल एग्रीमेंट था वो मेरे इंदौर आने से पहले ही बोर्ड मीटिंग में स्वीकृत हो गया था. और मेरे सामने यही जानकारी लाई गई थी कि ये अप्रूव्ड है जो पैसे बचे हैं वो राशि दी जाए. सिर्फ इस बात के लिए ये दस्तावेज मेरे सामने आए थे. और ऐसे में राशि स्वीकृत करने के लिए ज्यादा ध्यान नहीं देना होता है. इसके बाद अगली मीटिंग में कंफर्म कर सभी औपचारिकता पूरी की जाती है. मैं पूरी तरह से तो नहीं कह सकता है, लेकिन जहां तक मुझे याद है इस मामले में मैंने कोई कंफर्मेशन नहीं दिया है'.

letter
सामने आया दस्तावेज

प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची घोटाले की आंच

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को बेचे जाने के मामले में EOW की जांच में बड़े शासकीय अधिकारियों की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये मामला जांच के लिए EOW को सौंप दिया है. EOW ने इस मामले को प्राथमिक जांच में लेकर इंदौर स्थित दफ्तर पर दबिश भी दी है.

खाद्य ट्रस्ट की हरिद्वार की कुशावर्त घाट की अहिल्या हवेली सहित अन्य संपत्तियों को बेचे जाने के मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बीपी सिंह का नाम भी सामने आ रहा है. दरअसल इंदौर कमिश्नर रहते बीपी सिंह शासकीय प्रतिनिधि के रूप में खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. बैठक में जब इन संपत्तियों को बेचे जाने का मामला आया तो बीपी सिंह ने जमीन बेचे जाने पर अपनी सहमति भी दी थी. जिसके बाद ही ट्रस्ट के सदस्यों की अनुमति से ये संपत्ति बेची गई थी.

ये भी पढ़ें- बेरोजगारी ने उच्च शिक्षित युवाओं को बनाया आत्मनिर्भर, शुरू किया रूफटॉप रेस्टोरेंट

कई लोग शक के घेरे में

पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह के अलावा खासगी ट्रस्ट की बैठक में PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन सिंह भी मौजूद थे. ट्रस्ट मेंबर भी थे, जिन्होंने इन संपत्तियों को बेचे जाने पर सहमति दी थी. वहीं भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में बीके विरदी ने भी इसी बैठक में अपनी सहमति देते हुए हस्ताक्षर किए थे. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद और प्रदेश सरकार के इस मामले की जांच EOW को सौंपे जाने के बाद ट्रस्ट के तमाम सदस्य जिन्होंने संपत्तियां बेचे जाने की अनुमति दी थी. उन सभी पर शिकंजा कस सकता है.

दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाईः सीएम शिवराज

हरिद्वार स्थित कुशावर्त घाट की अकेले हवेली और अन्य संपत्ति केवल 50 लाख में बेच दी गई थी, जबकि इसकी वास्तविक कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद EOW तो जांच कर ही रहा है, साथ ही राजस्व विभाग में भी एक अलग से समिति गठित की जाएगी. जो इन संपत्तियों का रखरखाव एवं निगरानी करेगी. सीएम शिवराज सिंह ने स्पष्ट किया है कि ट्रस्ट की संपत्ति बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन संपत्तियों को वापस लेने की भी सरकार पूरी कोशिश कर.

भोपाल। खासगी ट्रस्ट की जमीन बेचने को लेकर अब EOW की टीम लगातार जांच में जुटी हुई है. इस मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं. जिनमें सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का नाम शामिल है. इसके अलावा इस सूची में भारत सरकार के प्रतिनिधि बीके हिरजी और PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है. ये सभी अधिकारी खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. इसी मीटिंग में जमीन बेचने पर आपसी सहमति दी गई थी. हालांकि ETV भारत से फोन पर हुई बातचीत में बीपी सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में उनकी कोई गलती नहीं है.

Former Chief Secretary BP Singh
पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह

पढ़ें पूरा इंटरव्यू-

  • सवाल- एग्रीमेंट में आपके साइन भी थे?

जवाब- 'इस सवाल के जवाब में पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि हां मैं बैठक में शामिल था. अगर आपके पास वो कागज है तो उसमें आपको ये भी दिख रहा होगा कि वो किस संबंध में हैं, और किस संबंध में मैंने हस्ताक्षर किया है. जिस दस्तावेज पर मेरे हस्ताक्षर है वो दुकान बेचने के संबंध में थे'.

  • सवाल- क्या संपत्ति से जुड़े दस्तावेज नहीं थे वो?

जवाब- नहीं, सिर्फ कुछ दुकानों के संबंध में वे दस्तावेज थे. एक समाचार पत्र में एक ट्रस्टी का इंटरव्यू भी छपा है, उसमें में भी उन्होंने चार दुकानों को ही बेचने की बात कही है.

  • सवाल- अगर वाहन संबंधी बैठक हुई तो जमीन का मामला क्यों?

जवाब- 'बात करीब 12 साल पुरानी है. उस बैठक के बाद मैनें कई मीटिंग अटेंड की है. पहली मीटिंग में वाहन संबंधी दस्तावेज थे. जिसके बाद अगली मीटिंग में पूरे दस्तावेज रखे जाने थे, जिसमें संपत्ति को बेचे जाने के लिए सहमति देनी थी. लेकिन जहां तक मुझे याद है मैंने उन दस्तावेजों में हस्ताक्षर नहीं किया है यानि कंर्फमेशन नहीं दिया है. बता दूं, मेरे पास दस्तावेज आने से पहले ही सेल एग्रीमेंट तय हो चुका था. जो आखिरी मीटिंग होती है उसमें एग्रीमेंट कंफर्म होता है. तभी वह फाइनल मान जाता है. मैंने अभी दस्तावेज नहीं देखे हैं'.

  • सवाल- क्या आपसे मुलाकात हो सकती है?

जवाब- 'फिलहाल अवॉयड करिए मुलाकात क्योंकि अब ये मामला हाईकोर्ट में जा रहा है. कोर्ट के मामलों में कभी ज्यादा बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. इसलिए मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूं कि मेरी कोई गलती नहीं है. बोर्ड ने मेरे सामने जो जानकारी लाई हमने सिर्फ उसमें अनुमति दी'.

  • सवाल- क्या पहले से हो चुका था सेल एग्रीमेंट?

जवाब- 'हां, जो सेल एग्रीमेंट था वो मेरे इंदौर आने से पहले ही बोर्ड मीटिंग में स्वीकृत हो गया था. और मेरे सामने यही जानकारी लाई गई थी कि ये अप्रूव्ड है जो पैसे बचे हैं वो राशि दी जाए. सिर्फ इस बात के लिए ये दस्तावेज मेरे सामने आए थे. और ऐसे में राशि स्वीकृत करने के लिए ज्यादा ध्यान नहीं देना होता है. इसके बाद अगली मीटिंग में कंफर्म कर सभी औपचारिकता पूरी की जाती है. मैं पूरी तरह से तो नहीं कह सकता है, लेकिन जहां तक मुझे याद है इस मामले में मैंने कोई कंफर्मेशन नहीं दिया है'.

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सामने आया दस्तावेज

प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची घोटाले की आंच

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को बेचे जाने के मामले में EOW की जांच में बड़े शासकीय अधिकारियों की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये मामला जांच के लिए EOW को सौंप दिया है. EOW ने इस मामले को प्राथमिक जांच में लेकर इंदौर स्थित दफ्तर पर दबिश भी दी है.

खाद्य ट्रस्ट की हरिद्वार की कुशावर्त घाट की अहिल्या हवेली सहित अन्य संपत्तियों को बेचे जाने के मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बीपी सिंह का नाम भी सामने आ रहा है. दरअसल इंदौर कमिश्नर रहते बीपी सिंह शासकीय प्रतिनिधि के रूप में खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. बैठक में जब इन संपत्तियों को बेचे जाने का मामला आया तो बीपी सिंह ने जमीन बेचे जाने पर अपनी सहमति भी दी थी. जिसके बाद ही ट्रस्ट के सदस्यों की अनुमति से ये संपत्ति बेची गई थी.

ये भी पढ़ें- बेरोजगारी ने उच्च शिक्षित युवाओं को बनाया आत्मनिर्भर, शुरू किया रूफटॉप रेस्टोरेंट

कई लोग शक के घेरे में

पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह के अलावा खासगी ट्रस्ट की बैठक में PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन सिंह भी मौजूद थे. ट्रस्ट मेंबर भी थे, जिन्होंने इन संपत्तियों को बेचे जाने पर सहमति दी थी. वहीं भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में बीके विरदी ने भी इसी बैठक में अपनी सहमति देते हुए हस्ताक्षर किए थे. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद और प्रदेश सरकार के इस मामले की जांच EOW को सौंपे जाने के बाद ट्रस्ट के तमाम सदस्य जिन्होंने संपत्तियां बेचे जाने की अनुमति दी थी. उन सभी पर शिकंजा कस सकता है.

दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाईः सीएम शिवराज

हरिद्वार स्थित कुशावर्त घाट की अकेले हवेली और अन्य संपत्ति केवल 50 लाख में बेच दी गई थी, जबकि इसकी वास्तविक कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद EOW तो जांच कर ही रहा है, साथ ही राजस्व विभाग में भी एक अलग से समिति गठित की जाएगी. जो इन संपत्तियों का रखरखाव एवं निगरानी करेगी. सीएम शिवराज सिंह ने स्पष्ट किया है कि ट्रस्ट की संपत्ति बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उन संपत्तियों को वापस लेने की भी सरकार पूरी कोशिश कर.

Last Updated : Oct 9, 2020, 4:07 PM IST
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