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RTI एक्टिविस्ट 'ब्लैकमेलर' कैसे? पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पूछा

हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जज ने 'ब्लैकमेलर' शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका एक वीडियो भी सामने आया है. केंद्रीय आरटीआई कमिश्नर ने यह पत्र चीफ जस्टिस को भेजने के साथ ही ट्विटर पर भी शेयर किया है.

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RTI एक्टिविस्ट 'ब्लैकमेलर' कैसे?
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Published : Aug 6, 2021, 6:36 PM IST

जबलपुर। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने चीफ जस्टिस से पूछा है कि RTI के तहत जानकारी मांगने वालों को एक माननीय जज आखिर ब्लैकमेलर कैसे कह सकते हैं. आपको बता दें कि हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जज ने 'ब्लैकमेलर' शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका एक वीडियो भी सामने आया है. केंद्रीय आरटीआई कमिश्नर ने यह पत्र चीफ जस्टिस को भेजने के साथ ही ट्विटर पर भी शेयर किया है.

RTI एक्टिविस्ट 'ब्लैकमेलर' कैसे?

30 जुलाई का है मामला
30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हुई एक सुनवाई के दौरान माननीय जज ने आरटीआई एक्टिविस्ट को ब्लैकमेलर कहा था. इस मामले में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की टिवटर वॉल पर की गई पोस्ट का हवाला दिया है. जिसमें उन्होंने लिखा है की मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के एक माननीय जज ने स्पष्ट तौर पर सुनवाई के दौरान यह कहा जा रहा है कि अधिकतर आरटीआई एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर होते हैं. वीडियो क्लिप में माननीय जज को ब्लैकमेलर शब्द कहते सुना जा रहा है. शिवानंद ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा है कि आरटीआई एक्टिविस्ट को ब्लैकमेलर कहे जाने का कोई बौद्धिक और तर्कसंगत आधार नही है. माननीय जज का यह कहना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा कहना आम नागरिक अनुच्छेद 19(1)(ए)का सीधा-सीधा उल्लंघन है.

'आम नागरिक सरकार का मालिक है'
पूर्व RTI कमिश्नर शैलेश गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि सूचना के अधिकार का उपयोग करते समय एक भारतीय नागरिक लोकतंत्र के वादे को साकार कर रहा है. लोकतंत्र में आम नागरिक सरकार का मालिक है. अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने पर वरिष्ठ जज द्वारा इस तरह की निंदा करना उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा.

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RTI एक्टिविस्ट 'ब्लैकमेलर' कैसे?
'कोई ब्लैकमेल कर रहा है तो कानून उसे दंडित करे'पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा है कि न्यायपालिका लगातार नागरिकों के मौलिक अधिकार के दायरे का विस्तार कर रही है, उन्होंने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति आरटीआई की आड़ में ब्लैकमेल का सहारा ले रहा है तो कानून को उसे दंडित करे. आरटीआई का उपयोग कर नागरिक केवल वही जानकारी प्राप्त कर सकता है जो सरकारी रिकॉर्ड में है.धारा 4 के तहत सार्वजनिक की जाए जानकारी पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने अपील की है कि माननीय हाईकोर्ट सभी सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे कि वे आरटीआई के सवाल और जवाब वेबसाइट पर अपलोड कर उन्हें सार्वजिनक करें. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार सूचना के अधिकार की धारा 4 का पालन नही कर रही है. जिसको लेकर मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपील की गई है.

जबलपुर। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने चीफ जस्टिस से पूछा है कि RTI के तहत जानकारी मांगने वालों को एक माननीय जज आखिर ब्लैकमेलर कैसे कह सकते हैं. आपको बता दें कि हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जज ने 'ब्लैकमेलर' शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका एक वीडियो भी सामने आया है. केंद्रीय आरटीआई कमिश्नर ने यह पत्र चीफ जस्टिस को भेजने के साथ ही ट्विटर पर भी शेयर किया है.

RTI एक्टिविस्ट 'ब्लैकमेलर' कैसे?

30 जुलाई का है मामला
30 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हुई एक सुनवाई के दौरान माननीय जज ने आरटीआई एक्टिविस्ट को ब्लैकमेलर कहा था. इस मामले में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की टिवटर वॉल पर की गई पोस्ट का हवाला दिया है. जिसमें उन्होंने लिखा है की मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के एक माननीय जज ने स्पष्ट तौर पर सुनवाई के दौरान यह कहा जा रहा है कि अधिकतर आरटीआई एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर होते हैं. वीडियो क्लिप में माननीय जज को ब्लैकमेलर शब्द कहते सुना जा रहा है. शिवानंद ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा है कि आरटीआई एक्टिविस्ट को ब्लैकमेलर कहे जाने का कोई बौद्धिक और तर्कसंगत आधार नही है. माननीय जज का यह कहना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा कहना आम नागरिक अनुच्छेद 19(1)(ए)का सीधा-सीधा उल्लंघन है.

'आम नागरिक सरकार का मालिक है'
पूर्व RTI कमिश्नर शैलेश गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि सूचना के अधिकार का उपयोग करते समय एक भारतीय नागरिक लोकतंत्र के वादे को साकार कर रहा है. लोकतंत्र में आम नागरिक सरकार का मालिक है. अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने पर वरिष्ठ जज द्वारा इस तरह की निंदा करना उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा.

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'कोई ब्लैकमेल कर रहा है तो कानून उसे दंडित करे'पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा है कि न्यायपालिका लगातार नागरिकों के मौलिक अधिकार के दायरे का विस्तार कर रही है, उन्होंने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति आरटीआई की आड़ में ब्लैकमेल का सहारा ले रहा है तो कानून को उसे दंडित करे. आरटीआई का उपयोग कर नागरिक केवल वही जानकारी प्राप्त कर सकता है जो सरकारी रिकॉर्ड में है.धारा 4 के तहत सार्वजनिक की जाए जानकारी पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने अपील की है कि माननीय हाईकोर्ट सभी सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे कि वे आरटीआई के सवाल और जवाब वेबसाइट पर अपलोड कर उन्हें सार्वजिनक करें. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार सूचना के अधिकार की धारा 4 का पालन नही कर रही है. जिसको लेकर मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपील की गई है.
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