भोपाल। शराब दुकानें खोलने को लेकर आबकारी विभाग ने अपनी तैयारी कर ली हैं लेकिन हाईकोर्ट की ओर से ठेकेदारों को दी गई सोमवार तक की समय सीमा को देखते हुए मामले को थोड़ा विराम दिया गया है. विभाग ने आरक्षक प्रभारी निरीक्षक और प्रभारी सहायक जिला आबकारी अधिकारियों की ड्यूटी अलग-अलग दुकानों पर लगा दी है. लेकिन सोमवार को ही इस पर अंतिम मुहर लगेगी इंदौर भोपाल उज्जैन समेत समस्त बड़े शहरों के शराब ठेकेदारों द्वारा 70 प्रतिशत दुकानें सरेंडर करने के बाद सरकार 9 जून से अब इन्हें खुद चलाने का विचार बना चुकी है. आबकारी विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज भी दिया है.
![For the first time, the government will run 70 percent liquor shops in the state](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7510640_1021_7510640_1591499239862.png)
देर रात आबकारी विभाग के द्वारा कई पुरुष और महिला निरीक्षकों की लिस्ट जारी की गई है जिनकी ड्यूटी अब शराब बेचने में लगाई गई है यह सभी बंद पड़ी अलग-अलग क्षेत्रों की शराब की दुकानों का जिम्मा संभालेंगे.
कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इस बात को लेकर साफ कर चुके हैं कि सरकार शराब ठेकेदारों के सामने झुकने वाली नहीं है और वह नए विकल्पों पर विचार कर रही है. इस टकराव का मुख्य कारण यह भी है कि सरकार और शराब ठेकेदारों के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन किसी भी प्रकार का सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है. क्योंकि जो डिमांड शराब ठेकेदार कर रहे हैं सरकार उसे मानने को तैयार नहीं है यही वजह है कि शराब ठेकेदारों ने न्याय की उम्मीद में हाई कोर्ट में अपील की है.
सोमवार तक इन सभी दुकानों को खोलने का फैसला हो जाएगा वहीं दूसरी ओर शराब ठेकेदार अपनी शर्तों पर अभी भी डटे हुए हैं. उनका साफ तौर पर यही कहना है कि सरकार को ऐसी विषम परिस्थितियों में ड्यूटी कम करनी चाहिए क्योंकि सरकार ज्यादा ड्यूटी वसूल रही है जबकि ऐसी विषम परिस्थितियों में शराब ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है पर सरकार रियायत देना नहीं चाहती है.
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद शुक्रवार को भोपाल इंदौर ग्वालियर समेत 16 जिलों की शराब ठेकेदारों ने दुकानों को छोड़ दिया है. शासन ने आबकारी नीति पर तत्काल निर्णय लेने के लिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्री समूह का गठन भी कर दिया है.