भोपाल। कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के बाद प्रदेश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसी सिलसिले में किराना बाजार पूरी तरह से खोल दिए गए हैं. उम्मीद की जा रही थी कि अनलॉक होने के बाद खाद्यान्न सामाग्री के दामों में गिरावट आएगी, लेकिन रेट अभी भी कम नहीं हुए हैं. अनाज, दाल, सब्जी, फल सहित खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. खाद्य तेल आयात महंगा होने और डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है.
सबसे महंगा हुआ खाद्य तेल
अप्रैल 2020 में सरसों का तेल 100 रुपये था, जो अब बढ़कर 160 रुपये हो गया है. वहीं मूंगफली तेल 120 से बढ़कर 175 रुपये, सोयाबीन तेल 95 से बढ़कर 152 रुपये हो गया है. पाम आयल 80 रुपये से 137 रुपये किलो हो गया है. खाद्य तेल के साथ ही शुद्ध घी के दाम भी 450 से 500 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं.
विदेशों में भी बढ़े खाद्य तेल के दाम
खाद्य तेल के थोक कारोबारी और भोपाल चेंबर ऑफ कामर्स के कोषाध्यक्ष कृष्ण कुमार बांगड़ कहते हैं कि सभी खाद्यान्न सामग्री में पिछले साल की अपेक्षा इस साल तेजी लगातार बनी हुई है. खाद्य तेलों के भाव अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं. देश में खाद्य तेल का आयात होता है, विदेशों में खाद्य तेल के भाव बढ़े हुए हैं. इसका असर स्थानीय बाजार पर पड़ा है. आने वाले दिनों में खाद्य तेलों के रेट कम हो सकते हैं.
महंगी हुई दालें, आटा और चावल
दालों की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. वर्तमान में तुअर दाल 135-140 रुपये किलो, मसूर दाल 80 से 86 रुपये किलो, उड़द दाल 130 रुपये किलो, मूंग दाल 130 से 140 रुपये किलो और चना दाल 75 से 80 रुपये किलो बाजार में मिल रही है. आटा इस समय 24 से 30 रुपये किलो और चावल 50 से 75 रुपये किलो (वैरायटी के अनुसार) मिल रहा है. इसके साथ ही शक्कर 40 से 45 रुपये किलो मिल रही है. वहीं चायपत्ती भी 400 से 500 रुपये किलो पर पहुंच गई है.
महंगाई पर रोक लगाए सरकार
खाद्य तेलों के साथ ही अन्य खाद्यान्न सामग्री के बढ़ती कीमतों के चलते आम जनता परेशान है. लोगों का कहना है कि खाद्य तेल के रेट तो दोगुना हो गए हैं. इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी रोज बढ़ रही हैं. सरकार को इस पर काबू करना चाहिए. महंगाई के इस दौर में घर का खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
पहले कोरोना अब महंगाई का रोना, आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग
कारोबारियों का कहना है कि थोक बाजार में खाद्यान्न सामग्री के रेट तो स्थिर बने हुए हैं, लेकिन फुटकर बाजार में इनमें काफी अंतर हो जाता है. पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ती कीमतों के चलते ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो गया, जिसका असर तो रहेगा. अब सरकार को चाहिए कि वह फुटकर में बिक रही खाद्य सामग्री के दामों पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए.