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MP उपचुनाव: प्रत्याशी वही पार्टी नई, अजब चुनाव की गजब कहानी ! - के एल अग्रवाल

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव की अजब और गजब कहानी देखने को मिल रही है, ऐसा पहली बार है, जब 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, इस चुनाव में एक और खास बात है कि प्रत्याशी पुराने हैं, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में थे लेकिन उनकी पार्टियां बदल गईं. प्रदेश की पांच सीटें ऐसी हैं, जहां समीकरण कुछ ऐसा ही है, जानें कौन-कौन सी हैं वो सीटें, जहां प्रत्याशी वही हैं लेकिन पार्टी नई हैं. पढ़ें पूरी खबर...

mp by poll
प्रत्याशी वही पार्टी नई
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Published : Oct 27, 2020, 12:16 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो इन दिनों और भी रोचक हो गए हैं. इस चुनावी दंगल में सबसे ज्यादा रोचक स्थिति उन विधानसभा सीटों पर है, जहां नेताओं ने दूसरी पार्टी का दामन थामा और अब एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टियां बदल गई हैं. वहीं कुछ सीटों पर पुराने प्रतिद्वंदी चुनाव मैदान में हैं. ग्वालियर पूर्व, सुरखी, बमोरी, सुमावली और डबरा विधानसभा सीट पर पार्टियां बदलकर पुराने उम्मीदवार चुनावी किस्मत आजमाने जनता की अदालत में हैं. जाहिर है कहानी भले ही नई हो, लेकिन बीजेपी उम्मीदवारों के सामने पुरानी पारी कायम रखने की चुनौती एक बार फिर है.

Candidates from Gwalior East
ग्वालियर पूर्व से प्रत्याशी

बीजेपी के गढ़ में कमल खिलाने की चुनौती

बीजेपी का गढ़ रही ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर दल बदलकर आए मुन्नालाल गोयल के लिए इस सीट पर कमल खिलाना बड़ी चुनौती है. 2018 के चुनाव में मुन्नालाल गोयल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन इस बार बीजेपी के झंडे तले चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी से चुनौती देने वाले सतीश सिंह सिकरवार इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार वही हैं, लेकिन चुनाव चिन्ह बदल गए हैं. मुन्नालाल गोयल 2013 और 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनावी हार गए थे.

जानें पूरी प्रोफाइल-ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

एंदल सिंह और अजब सिंह फिर आमने-सामने

सुमावली विधानसभा सीट पर इस बार उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टी बदल गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे एंदल सिंह कंषाना उपचुनाव में फिर चुनाव लड़ रहे हैं. सिंधिया के साथ बीजेपी में पहुंचे एंदल सिंह कंषाना को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं दल बदल से नाराज बीजेपी नेता और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. अजब सिंह कुशवाह पहले बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं. 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बसपा से लड़ा था, लेकिन हार गए थे. उप चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजब का राजनीति भविष्य जनता के हाथ में है.

जानें पूरी प्रोफाइल- सुमावली विधानसभाः इस सीट पर किसी एक दल का नहीं रहा प्रभाव, बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण

डबरा में समधी-समधन के बीच मुकाबला
डबरा विधानसभा सीट पर इस बार समधी और समधन के बीच मुकाबल है. सबसे रोचक बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार पार्टी बदलकर इस बार आमने-सामने हैं. शिवराज सरकार में मंत्री इमरती देवी इस बार बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस बार सुरेश राजे को टिकट दिया है. सुरेश राजे 2013 से बीजेपी के टिकट पर उतरे थे, लेकिन इमरती देवी से चुनाव हार गए थे. 2018 के चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर सुरेश राजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कभी बीजेपी का झंडा बुलंद करने वाले सुरेश राजे की चुनौती कांग्रेस की खोई जमीन पाने की है.

जानें पूरी प्रोफाइल- डबरा विधानसभाः समधी-समधन के बीच मुकाबला, कमलनाथ के बयान के बाद गरमायी सियासत

किन पांच सीटों पर रोचक कहानी

विधानसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी प्रत्याशी
डबरा सुरेश राजे इमरती देवी
ग्वालियर पूर्व सतीश सिंह सिकरवार मुन्नालाल गोयल
सुरखीपारूल साहूगोविंद सिंह राजपूत
सुमावली अजब सिंह कुशवाहएंदल सिंह कंषाना
बमोरी केएल अग्रवाल महेंद्र सिंह सिसोदिया

कांग्रेस के गढ़ में गोविंद की चुनौती

सुरखी विधानसभा सीट पर चुनाव की जंग दिलचस्प है. सुरखी सीट पर 2013 के बाद एक बार फिर गोविंद सिंह राजपूत और पारूल साहू के बीच मुकाबला हो रहा है. अंतर यही है कि दोनों ने पार्टियां बदल ली हैं. सिंधिया के साथ बीजेपी में आए और शिवराज मंत्रीमंडल में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इस बार बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं तो वहीं पारूल साहू कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़ रही हैं. पारूल साहू के पिता संतोश साहू क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं. गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस के टिकट पर 2003, 2008 और 2018 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1998 में बीजेपी के भूपेंद्र सिंह और 2013 में बीजेपी की पारूल साहू से वे चुनाव हार गए थे.

Candidate from sukhi
सुरखी से प्रत्याशी

जानें पूरी प्रोफाइल- सुरखी विधानसभाः यहां दल बदलकर मैदान में उतरे प्रत्याशी, दांव पर सिंधिया के सिपाही की साख

पिछले चुनाव में निर्दलीय अब कांग्रेस के साथ

बमोरी विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी ने महेंद्र सिंह सिसोदिया को चुनाव मैदान में उतारा है. महेंद्र सिंह सिसोदिया ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, बाद में दलबदल कर सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए. उनके साथ कांग्रेस ने पुराने भाजपाई के एल अग्रवाल को चुनाव में उतारा है. पूर्व में दोनों एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं.

Candidate from Bamori
बमोरी से प्रत्याशी

2018 के चुनाव में बीजेपी ने केएल अग्रवाल का टिकट काटकर बृजमोहन सिंह आजाद को चुनाव मैदान में उतारा था. इससे नाराज होकर के एल अग्रवाल निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने 28 हजार 488 वोट हासिल कर जीत दर्ज तो नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने बीजेपी का चुनावी गणित जरूर गड़बड़ा दिया. 2008 के चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद 2013 का विधानसभा चुनाव के केएल अग्रवाल सिसौदिया से हार गए थे.

जानें पूरी प्रोफाइल- अबकी बारी बमोरी की जनता किसको देगी जिम्मेदारी ? दिलचस्प उपचुनाव में प्रत्याशी वहीं, लेकिन पार्टी नई

भोपाल। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो इन दिनों और भी रोचक हो गए हैं. इस चुनावी दंगल में सबसे ज्यादा रोचक स्थिति उन विधानसभा सीटों पर है, जहां नेताओं ने दूसरी पार्टी का दामन थामा और अब एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टियां बदल गई हैं. वहीं कुछ सीटों पर पुराने प्रतिद्वंदी चुनाव मैदान में हैं. ग्वालियर पूर्व, सुरखी, बमोरी, सुमावली और डबरा विधानसभा सीट पर पार्टियां बदलकर पुराने उम्मीदवार चुनावी किस्मत आजमाने जनता की अदालत में हैं. जाहिर है कहानी भले ही नई हो, लेकिन बीजेपी उम्मीदवारों के सामने पुरानी पारी कायम रखने की चुनौती एक बार फिर है.

Candidates from Gwalior East
ग्वालियर पूर्व से प्रत्याशी

बीजेपी के गढ़ में कमल खिलाने की चुनौती

बीजेपी का गढ़ रही ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर दल बदलकर आए मुन्नालाल गोयल के लिए इस सीट पर कमल खिलाना बड़ी चुनौती है. 2018 के चुनाव में मुन्नालाल गोयल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन इस बार बीजेपी के झंडे तले चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी से चुनौती देने वाले सतीश सिंह सिकरवार इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार वही हैं, लेकिन चुनाव चिन्ह बदल गए हैं. मुन्नालाल गोयल 2013 और 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनावी हार गए थे.

जानें पूरी प्रोफाइल-ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

एंदल सिंह और अजब सिंह फिर आमने-सामने

सुमावली विधानसभा सीट पर इस बार उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टी बदल गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे एंदल सिंह कंषाना उपचुनाव में फिर चुनाव लड़ रहे हैं. सिंधिया के साथ बीजेपी में पहुंचे एंदल सिंह कंषाना को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं दल बदल से नाराज बीजेपी नेता और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. अजब सिंह कुशवाह पहले बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं. 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बसपा से लड़ा था, लेकिन हार गए थे. उप चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजब का राजनीति भविष्य जनता के हाथ में है.

जानें पूरी प्रोफाइल- सुमावली विधानसभाः इस सीट पर किसी एक दल का नहीं रहा प्रभाव, बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण

डबरा में समधी-समधन के बीच मुकाबला
डबरा विधानसभा सीट पर इस बार समधी और समधन के बीच मुकाबल है. सबसे रोचक बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार पार्टी बदलकर इस बार आमने-सामने हैं. शिवराज सरकार में मंत्री इमरती देवी इस बार बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस बार सुरेश राजे को टिकट दिया है. सुरेश राजे 2013 से बीजेपी के टिकट पर उतरे थे, लेकिन इमरती देवी से चुनाव हार गए थे. 2018 के चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर सुरेश राजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कभी बीजेपी का झंडा बुलंद करने वाले सुरेश राजे की चुनौती कांग्रेस की खोई जमीन पाने की है.

जानें पूरी प्रोफाइल- डबरा विधानसभाः समधी-समधन के बीच मुकाबला, कमलनाथ के बयान के बाद गरमायी सियासत

किन पांच सीटों पर रोचक कहानी

विधानसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी प्रत्याशी
डबरा सुरेश राजे इमरती देवी
ग्वालियर पूर्व सतीश सिंह सिकरवार मुन्नालाल गोयल
सुरखीपारूल साहूगोविंद सिंह राजपूत
सुमावली अजब सिंह कुशवाहएंदल सिंह कंषाना
बमोरी केएल अग्रवाल महेंद्र सिंह सिसोदिया

कांग्रेस के गढ़ में गोविंद की चुनौती

सुरखी विधानसभा सीट पर चुनाव की जंग दिलचस्प है. सुरखी सीट पर 2013 के बाद एक बार फिर गोविंद सिंह राजपूत और पारूल साहू के बीच मुकाबला हो रहा है. अंतर यही है कि दोनों ने पार्टियां बदल ली हैं. सिंधिया के साथ बीजेपी में आए और शिवराज मंत्रीमंडल में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इस बार बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं तो वहीं पारूल साहू कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़ रही हैं. पारूल साहू के पिता संतोश साहू क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं. गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस के टिकट पर 2003, 2008 और 2018 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1998 में बीजेपी के भूपेंद्र सिंह और 2013 में बीजेपी की पारूल साहू से वे चुनाव हार गए थे.

Candidate from sukhi
सुरखी से प्रत्याशी

जानें पूरी प्रोफाइल- सुरखी विधानसभाः यहां दल बदलकर मैदान में उतरे प्रत्याशी, दांव पर सिंधिया के सिपाही की साख

पिछले चुनाव में निर्दलीय अब कांग्रेस के साथ

बमोरी विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी ने महेंद्र सिंह सिसोदिया को चुनाव मैदान में उतारा है. महेंद्र सिंह सिसोदिया ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, बाद में दलबदल कर सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए. उनके साथ कांग्रेस ने पुराने भाजपाई के एल अग्रवाल को चुनाव में उतारा है. पूर्व में दोनों एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं.

Candidate from Bamori
बमोरी से प्रत्याशी

2018 के चुनाव में बीजेपी ने केएल अग्रवाल का टिकट काटकर बृजमोहन सिंह आजाद को चुनाव मैदान में उतारा था. इससे नाराज होकर के एल अग्रवाल निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने 28 हजार 488 वोट हासिल कर जीत दर्ज तो नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने बीजेपी का चुनावी गणित जरूर गड़बड़ा दिया. 2008 के चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद 2013 का विधानसभा चुनाव के केएल अग्रवाल सिसौदिया से हार गए थे.

जानें पूरी प्रोफाइल- अबकी बारी बमोरी की जनता किसको देगी जिम्मेदारी ? दिलचस्प उपचुनाव में प्रत्याशी वहीं, लेकिन पार्टी नई

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