भोपाल। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन के मामले में ईओडब्ल्यू के जांच के घेरे में सबसे पहले तीनों आईपीएस अफसर और एक राज्य सेवा पुलिस के अफसर है. माना जा रहा है कि ईओडब्ल्यू की जांच शुरू होते ही सबसे पहले इन्ही पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी और आयकर विभाग की सूची में हुए 25-25 लाख की राशि के खुलासे को लेकर सवाल जवाब किए जाएंगे. 3 आईपीएस अफसरों में सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधुकुमार शामिल है. तो वहीं राज्य पुलिस सेवा के अरुण मिश्रा का नाम भी इसमें शामिल हैं.
सरकारी विभागों की भी होगी जांच
आयकर विभाग की रिपोर्ट में 3 आईपीएस अधिकारियों के साथ साथ कई सरकारी विभागों के भी नाम शामिल हैं. जिनमें परिवहन खनिज और आबकारी समेत पीएचई विभाग का नाम है. इन विभागों के साथ-साथ कुछ और भी विभागों के नाम आयकर विभाग की लिस्ट में शामिल है और अलग-अलग विभागों के सामने अलग-अलग राशियां लिखी गई है, जो करोड़ों में है. इन विभागों ने भी कलेक्शन कर करोड़ों रुपए की राशि दिल्ली भेजी है. साथ ही कई नेता मंत्रियों और विधायकों को भी यह राशि वितरित की गई है. इसके अलावा बसपा के संजीव सिंह और रामबाई को भी लाखों रुपये दिए जाने का जिक्र इस रिपोर्ट में है. पढ़ें :आईटी दस्तावेजों में
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क्या है मामला?
पोल कैश मामले में सोमवार देर शाम या फिर मंगलवार तक ईओडब्ल्यू प्राथमिकी जांच दर्ज कर सकता है. माना जा रहा है कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद जल्द ही इस मामले में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई तेज होती दिखाई देगी. बता दें कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने भोपाल समेत 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़ आरके मिगलानी और भांजे रतुल पुरी समेत कारोबारी अश्विनी शर्मा शामिल थे. इन 52 ठिकानों से आयकर विभाग की टीम ने कई दस्तावेज और फाइलें जब्त की थी जिनकी बारीकी से जांच कर सीबीडीटी ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट भेजी है और इस रिपोर्ट के आधार पर पोल कैश मामले में एफ आई आर दर्ज कर जांच करने की बात कही है.
आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई. इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.
मामले में कांग्रेस व अन्य के नाम
अजय सिंह, कंप्यूटर बाबा, शाद अहमदाबाद, योगेश राठौर, रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह, अभिषेक मिश्रा, फुंदेलाल मार्को, विजय राघवेंद्र सिंह, ओमकार सिंह मरकाम, नारायण पट्टा, योगेंद्र बाबा, डॉ. असोक मर्सकोले, अर्जुन काकोदिया, संजय उइके, ब्रह्मा भलावी, भूपेंद्र मरावी, सज्जन सिंह, बाबू जंडेल, बैजनाथ कुशवाहा, प्रवीण पाठक, घनश्याम सिंह, गोपाल सिंह चौहान, तनवर लोधी, नीरज दीक्षित, विक्रम सिंह नातीराजा, शिवदयाल बागरी, सिद्धार्थ कुशवाहा, संजय यादव, शशांक भार्गव, आरिफ मसूद, गोवर्धन सिंह दांगी, बापू सिंह तोमर, महेश परमार, राजेश कुमार (सपा), राणा विक्रम सिंह, देवेंद्र पटेल, रामलाल मालवीय, मुरली मोरवाल, झूमा सोलंकी, सचिन बिड़ला, रवि रमेशचंद्र जोशी, केदार चिड़ाभाई डावर, ग्यारसीलाल रावत, चंद्रभागा किराड़े, मुकेश रावत पटेल, कलावती भूरिया, वीरसिंह भूरिया, वाल सिंह मेढ़ा, प्रताप ग्रेवाल, पांचीलाल मेढ़ा, हर्ष विजय सिंह गेहलोत, आरकेएम, मीनाक्षी नटराजन, कमल मरावी, प्रमिला सिंह, मधु भगत, देवाशीष जरारिया, शशि कर्णावत, शैलेंद्र सिंह दीवान, कविता नातीराजा, मुकेश श्रीवास्तव, ब्रजेश पटेल, बिरला लोधा आदि.
सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश कैडर के 3 IPS और 1 राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. जिन पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान काला धन ले जाने के आरोप लगे थे. आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वीमधु कुमार इसमें शामिल हैं. वहीं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर भी आरोप लगे हैं और उन पर भी मामला दर्ज होगा.