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वित्तीय संकट के चलते सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार कर रही है प्रदेश सरकार

वित्तीय संकट के चलते कमलनाथ सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया है, नए पदों पर भर्ती ना कर नियमित कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ा दी जाये. हालांकि इसका बेरोजगार युवाओं के द्वारा जोरदार विरोध किया जा रहा है.

Financial crisis on the state government
कमलनाथ सरकार
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Published : Feb 19, 2020, 12:07 AM IST

भोपाल। प्रदेश सरकार वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है. ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा गया है कि, नए पदों पर भर्ती ना कर नियमित कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल से बढ़ाकर 63 साल कर दी जाए. हालांकि इस प्रस्ताव पर अभी कमलनाथ सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. लेकिन प्रदेश के युवा बेरोजगार इस प्रस्ताव के विरोध में उतर आए हैं. बेरोजगार सेना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को चिट्ठी लिखकर इस प्रस्ताव पर नाराजगी जताई है.

कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने पर विचार कर रही है सरकार

मुख्यमंत्री कमलनाथ से सेवानिवृत्ति आयु 62 की जगह 58 साल करने की मांग की है. पिछले 1 साल से कई मदों में कटौती करने के बाद भी सरकार अपनी योजनाओं के संचालन के लिए पैसा नहीं जुटा पा रही है. ऐसी स्थिति में सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया है कि, नई भर्ती ना करके पहले से कार्यरत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल से बढ़ाकर 63 साल कर दी जाए. जिससे करीब 1 साल तक सरकार पर नई भर्ती करने के लिए आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. इन परिस्थितियों को लेकर बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय प्रमुख अक्षय हुंका ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है.

इस मामले में बरोजगार सेना के प्रमुख अक्षय हुंका का कहना है कि, जो सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की बात चल रही है, वो पूरी तरह गलत है. जब 2018 में यह बात आई थी और उस समय सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल कर दी गई थी. उस समय लोगों ने धरना प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से फैसले को वापस लेने की मांग की थी.

वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि, यह बात सही है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति गंभीर है. फिर भी जो सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की बात की गई है, उसे कम किए जाने की मांग करेंगे. मुख्यमंत्री से बात करेंगे कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की जगह कम की जाए, ताकि युवाओं को अवसर मिले.

भोपाल। प्रदेश सरकार वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है. ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा गया है कि, नए पदों पर भर्ती ना कर नियमित कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल से बढ़ाकर 63 साल कर दी जाए. हालांकि इस प्रस्ताव पर अभी कमलनाथ सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. लेकिन प्रदेश के युवा बेरोजगार इस प्रस्ताव के विरोध में उतर आए हैं. बेरोजगार सेना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को चिट्ठी लिखकर इस प्रस्ताव पर नाराजगी जताई है.

कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने पर विचार कर रही है सरकार

मुख्यमंत्री कमलनाथ से सेवानिवृत्ति आयु 62 की जगह 58 साल करने की मांग की है. पिछले 1 साल से कई मदों में कटौती करने के बाद भी सरकार अपनी योजनाओं के संचालन के लिए पैसा नहीं जुटा पा रही है. ऐसी स्थिति में सरकार के सामने प्रस्ताव रखा गया है कि, नई भर्ती ना करके पहले से कार्यरत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल से बढ़ाकर 63 साल कर दी जाए. जिससे करीब 1 साल तक सरकार पर नई भर्ती करने के लिए आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. इन परिस्थितियों को लेकर बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय प्रमुख अक्षय हुंका ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है.

इस मामले में बरोजगार सेना के प्रमुख अक्षय हुंका का कहना है कि, जो सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की बात चल रही है, वो पूरी तरह गलत है. जब 2018 में यह बात आई थी और उस समय सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल कर दी गई थी. उस समय लोगों ने धरना प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से फैसले को वापस लेने की मांग की थी.

वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि, यह बात सही है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति गंभीर है. फिर भी जो सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की बात की गई है, उसे कम किए जाने की मांग करेंगे. मुख्यमंत्री से बात करेंगे कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की जगह कम की जाए, ताकि युवाओं को अवसर मिले.

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