भोपाल। प्रदेश में ट्रांसफर के लिए सांसदों-विधायकों के फर्जी पत्रों का उपयोग किया जा रहा है, उससे भी चौंकाने वाला तथ्य यह है कि यह फर्जी लेटर मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचने लगे हैं. संदेह पर जब पत्रों की जांच कराई गई तो ये पत्र फर्जी पाए गए. सीएम हाउस ने भोपाल पुलिस को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए हैं. फर्जी लेटर में भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, राजगढ़ सांसद रोडमल नागर और विधायक रामपाल सिंह के नाम से भेजे गए हैं. इन पत्रों के माध्यम से दो तहसीलदार 11 स्टाफ नर्स और 27 शिक्षकों के तबादले की सिफारिश की गई है.
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पुराना है फर्जी साइन से तबादला
यहां तक कि दवा लेने के लिए जनप्रतिनिधियों के फर्जी साइन और लेटर हेड लगाने का मामला पहले भी सामने आ चुका है. इस मामले के बाद सीएम ऑफिस में हड़कंप मचा है. सीएम ऑफिस का स्टाफ अब सांसदों-विधायकों और पूर्व नेताओं के नाम से आए पुराने अनुशंसा पत्रों की भी पड़ताल करने में जुटा है. यह भी देखा जा रहा है कि पूर्व में आए ऐसे पत्रों के माध्यम से कितने सरकारी-अधिकारी व कर्मचारियों के ट्रांसफर किए गए हैं.
क्राइम ब्रांच ने शुरू की जांच
सीएम हाउस से मिली शिकायत के बाद भोपाल डीआईजी ने जालसाजों को पकड़ने के लिए तीन टीमें बनाई है. क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़ के मुताबिक फर्जी लेटर के जरिये करीब 30 अधिकारी -कर्मचारियों के ट्रांसफर का मामला सामने आया है. इन सभी कर्मचारी-अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी, जिनसे पता किया जाएगा इन सभी ने अपने ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए किनसे बात की थी. इसकी भी जांच की जाएगी कि इन सभी ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए संबंधित व्यक्ति को पैसे तो नहीं दिए थे.
ट्रांसफर के नाम पर उगाही!
प्रदेश में ट्रांसफर पर रोक लगने के बाद से लगातार ट्रांसफर के नाम पर उगाही के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के निजी सचिवों के नाम पर उगाही का मामला सामने आया था, जालसाज विभाग के अधीन आने वाले अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने का झांसा दे रहे थे. जांच में सामने आया है कि सरकारी कर्मचारी भी इनसे ट्रांसफर के लिए संपर्क करते थे.