भोपाल। मच्छरों के काटने से फैलने वाली खतरनाक बीमारी लिम्फेटिक फाइलेरिया की रोकथाम को लेकर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा नई रणनीति बनाने में जुटा हुआ है. इसमें खास तौर पर अगले महीने आयोजित होने वाले फाइलेरिया दिवस में क्या-क्या गतिविधियां होनी है. इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
कोविड 19 को ध्यान में रखते हुए विशेष तकनीक
इस साल घर-घर जाकर दवा वितरण के लिए राइस बाउल तकनीक को अपनाया जाएगा. इस तकनीक में दवा सेवक कार्यकर्ता डोर-टू-डोर दवा वितरण के समय बिना व्यक्ति के सम्पर्क में आए दवा वितरण करेंगे, इस तकनीक में घर के बाहर किसी बर्तन में दवा रख दी जाएगी. ताकि कार्यकर्ता और व्यक्ति सम्पर्क में न आएं और हितग्राही को दवा भी मिल जाए.
कोविड से बचाव के लिए प्रोटोकॉल
दरअसल अभी तक कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है. यदि स्वास्थ्य कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर काम करते हैं, तो उन्हें संक्रमण होने का खतरा बना रहेगा, जिसके चलते यह तय किया गया है कि मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए. इसके साथ ही इसके लिए जिला विकासखंड स्तर पर जरूरी प्रशिक्षण दिया जाएगा. और जरूरी चीजों और दवाइयों को उपलब्ध कराया जाएगा.
फाइलेरिया बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान
फाइलेरिया बीमारी के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजना है कि इस साल इस बीमारी के बारे में जानकारी देना, दवा सेवन गतिविधि और फाइलेरिया दिवस का प्रचार-प्रसार बड़े पैमाने पर किया जाएगा. जिसके लिए बैनर, पोस्टर,दीवार लेखन के साथ ही सोशल मीडिया पर भी प्रचार किया जाएगा.
क्या है फाइलेरिया बीमारी ?
फाइलेरिया बीमारी फ़्यूलेक्स और मैनसोनाइडिस प्रजाति के मच्छर के काटने से होती है. मच्छर व्यक्ति को काटने के दौरान एक परजीवी शरीर में छोड़ता है. यह बीमारी इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसके लक्षण 7 से 8 साल बाद दिखाई पड़ते हैं. आम तौर पर यह संक्रमण बचपन में ही होता है, लेकिन लक्षण व्यक्ति के वयस्क होने पर दिखाई देता है. जिसमें टांगों, हाथों और शरीर के अन्य अंगों में सूजन होने लगती है और कई मामलों में व्यक्ति विकलांग भी हो जाता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे 'हाथी पांव' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के हाथ-पैर में हाथी के अंगों की तरह सूजन आ जाती है.