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लोकसभा चुनाव: अन्नदाता का गुस्सा बिगाड़ सकता है लोकसभा का गणित, कहीं कांग्रेस को न पड़ जाए भारी - #bhopalelection

मध्यप्रदेश में गेहूं की फसल की खरीदी और समय पर भुगतान न होने से प्रदेश का किसान परेशान नजर आ रहा है. फसल बेचने के लिए किसानों को मंडियों और गेहूं खरीदी केंद्रों पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिससे किसान सरकार से नाराज है.

मंत्री पीसी शर्मा और बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल
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Published : Apr 12, 2019, 12:05 AM IST

भोपाल। चुनावी समर में किसान सियासत के केंद्र में होता है. जिनके वोट बैंक के सहारे सियासी दल सत्ता की दहलीज पर पहुंचना चाहते हैं. किसान कर्जमाफी के सहारे 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस अब किसानों के मुद्दे पर ही घिरती नजर आ रही है.

प्रदेश में गेहूं की फसल की खरीदी और समय पर भुगतान न होने से सूबे का अन्नदाता नाराज नजर आ रहा है. प्रदेश में अब तक 30 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उपार्जन हुआ है. लेकिन, फसल बेचने के लिए किसानों को मंडियों और गेहूं खरीदी केंद्रों पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिससे किसान सरकार से नाराज है.

किसानों का गुस्सा चुनाव में सियासी दलों को पड़ सकता है भारी।

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते है कि बैरसिया में एक किसान की फसल की तौल करने के इंतजार में हार्ट अटैक से मौत हो गई. ओला पाला पड़ने पर किसानों के खेत में ना तो मंत्री गए, ना मुख्यमंत्री गए और ना ही कोई कर्मचारी. सरकार कर्जमाफी का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन किसी का कर्ज माफ नहीं हुआ.

कमलनाथ कैबिनेट में शामिल मंत्री पीसी शर्मा विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते अलग ही दलील दे रहे हैं. पीसी शर्मा के मुताबिक फसल खरीदी का सारा सिस्टम कम्प्यूटराइज्ड हो गया है और साफ्टवेयर से संचालित हो रहा है. किसानों के पास कोई समस्या नहीं है.

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही खुद को किसान हितैषी बताने के अपने अपने दावे कर रहे हैं लेकिन इन सब के बीच परेशानियां झेल रहा है तो बस किसान. अगर वक्त रहते सियासदानों ने अन्नदाता की परेशानियों को खत्म नहीं किया तो चुनावी समर किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है.

भोपाल। चुनावी समर में किसान सियासत के केंद्र में होता है. जिनके वोट बैंक के सहारे सियासी दल सत्ता की दहलीज पर पहुंचना चाहते हैं. किसान कर्जमाफी के सहारे 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस अब किसानों के मुद्दे पर ही घिरती नजर आ रही है.

प्रदेश में गेहूं की फसल की खरीदी और समय पर भुगतान न होने से सूबे का अन्नदाता नाराज नजर आ रहा है. प्रदेश में अब तक 30 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उपार्जन हुआ है. लेकिन, फसल बेचने के लिए किसानों को मंडियों और गेहूं खरीदी केंद्रों पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिससे किसान सरकार से नाराज है.

किसानों का गुस्सा चुनाव में सियासी दलों को पड़ सकता है भारी।

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते है कि बैरसिया में एक किसान की फसल की तौल करने के इंतजार में हार्ट अटैक से मौत हो गई. ओला पाला पड़ने पर किसानों के खेत में ना तो मंत्री गए, ना मुख्यमंत्री गए और ना ही कोई कर्मचारी. सरकार कर्जमाफी का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन किसी का कर्ज माफ नहीं हुआ.

कमलनाथ कैबिनेट में शामिल मंत्री पीसी शर्मा विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते अलग ही दलील दे रहे हैं. पीसी शर्मा के मुताबिक फसल खरीदी का सारा सिस्टम कम्प्यूटराइज्ड हो गया है और साफ्टवेयर से संचालित हो रहा है. किसानों के पास कोई समस्या नहीं है.

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही खुद को किसान हितैषी बताने के अपने अपने दावे कर रहे हैं लेकिन इन सब के बीच परेशानियां झेल रहा है तो बस किसान. अगर वक्त रहते सियासदानों ने अन्नदाता की परेशानियों को खत्म नहीं किया तो चुनावी समर किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहली प्राथमिकता में खेती और किसान को रखते हुए 15 साल का वनवास समाप्त कर लिया। लेकिन जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो कांग्रेस को किसानों की उन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें वह विपक्ष में रहते हुए मुद्दा बनाकर सत्ता हासिल करने में कामयाब रही थी। दरअसल प्रदेश में गेहूं की फसल की खरीदी चल रही है। लेकिन ना तो किसान समय पर अपनी फसल बेंच पा रहा है, ना ही किसानों को समय पर फसलों का भुगतान हो रहा है। हालांकि चुनाव आचार संहिता के कारण सरकार सीधे हस्तक्षेप की स्थिति में नहीं है। लेकिन इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।


Body:दरअसल प्रदेश भर में 25 मार्च से गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हुई है। सरकार ने करीब 30 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उपार्जन भी कर लिया है। लेकिन भुगतान सरकार समय पर नहीं कर पा रही है।वहीं दूसरी तरफ भारी गर्मी में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि कांग्रेस के पास चुनाव आचार संहिता से बंधे होने का तर्क है। लेकिन परेशान किसान व्यवस्था सुचारू ना होने का कारण सरकार को दोषी मान रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसानों के बीच कांग्रेस सरकार के वचनों की नाकामी का मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है।

इस मामले में मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पिछले दिनों बैरसिया के किसान को हार्ट अटैक आ गया, क्योंकि वह अपनी फसल की तुलाई का इंतजार कर रहा था और काफी लंबे समय तक इंतजार करने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। ऐसी तमाम परेशानियों से इन दिनों किसान परेशान है। यहां किसानों के खेत में ओला- पाला पड़ा, लेकिन किसानों के खेत में ना तो मंत्री गए, ना मुख्यमंत्री गए और ना ही कोई कर्मचारी नुकसान का आकलन करने गया। कांग्रेस सरकार में आने पर भले ही कर्ज माफी का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन किसान यूरिया मांगा तो डंडे और गाली गलौज मिली। आज वही किसानों को करारा जवाब देने वाला है।क्योंकि वह कर्ज माफी के नाम पर ठगा गया है। उसने धोखा खाया है और कांग्रेसियों ने मलाई खाई है, जो 281 करोड़ के मामले से साफ उजागर हो रहा है।


Conclusion:वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ सरकार के मंत्री पी सी शर्मा का कहना है कि ये सब सिस्टम आजकल कम्प्यूटराइज्ड हो गया है और साफ्टवेयर से संचालित हो रहा है। मैंने इस मामले में प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव से बात की है।मैं समझता हूं कि एक दो दिन में सबकुछ सिस्टमाइज हो जाएगा।भुगतान और उपार्जन सुचारू रूप से होगा और अगर किसान की चार जगह जमीन है और वो एक जगह बेंचना चाहता है,तो वो भी व्यवस्था की जा रही है।ये सब नया सिस्टम बनाया जा रहा है।25 लाख किसानों का हमने कर्जा माफ कर दिया है।बाकी जो बचा है ,चुनाव के बाद हो जाएगा। मैं समझता हूं कि थोड़ी बहुत समस्या छोड़कर आज कोई बड़ी समस्या नहीं है।
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