भोपाल। चुनावी समर में किसान सियासत के केंद्र में होता है. जिनके वोट बैंक के सहारे सियासी दल सत्ता की दहलीज पर पहुंचना चाहते हैं. किसान कर्जमाफी के सहारे 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस अब किसानों के मुद्दे पर ही घिरती नजर आ रही है.
प्रदेश में गेहूं की फसल की खरीदी और समय पर भुगतान न होने से सूबे का अन्नदाता नाराज नजर आ रहा है. प्रदेश में अब तक 30 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उपार्जन हुआ है. लेकिन, फसल बेचने के लिए किसानों को मंडियों और गेहूं खरीदी केंद्रों पर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिससे किसान सरकार से नाराज है.
बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते है कि बैरसिया में एक किसान की फसल की तौल करने के इंतजार में हार्ट अटैक से मौत हो गई. ओला पाला पड़ने पर किसानों के खेत में ना तो मंत्री गए, ना मुख्यमंत्री गए और ना ही कोई कर्मचारी. सरकार कर्जमाफी का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन किसी का कर्ज माफ नहीं हुआ.
कमलनाथ कैबिनेट में शामिल मंत्री पीसी शर्मा विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते अलग ही दलील दे रहे हैं. पीसी शर्मा के मुताबिक फसल खरीदी का सारा सिस्टम कम्प्यूटराइज्ड हो गया है और साफ्टवेयर से संचालित हो रहा है. किसानों के पास कोई समस्या नहीं है.
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही खुद को किसान हितैषी बताने के अपने अपने दावे कर रहे हैं लेकिन इन सब के बीच परेशानियां झेल रहा है तो बस किसान. अगर वक्त रहते सियासदानों ने अन्नदाता की परेशानियों को खत्म नहीं किया तो चुनावी समर किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है.