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कोरोना वायरस से जंग के लिए कितनी तैयार है राजधानी, प्रशासन के दावों और आंकड़ों पर एक नजर...

भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों के बढ़ते आंकड़े और अस्पतालों में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं पर एक रिपोर्ट....

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राजधानी में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं
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Published : May 11, 2020, 5:55 PM IST

भोपाल। झीलों की नगरी कही जाने वाली प्रदेश की राजधानी की हवाओं में कोरोना का जहर घुलता जा रहा है. लिहाजा शहर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. पहले एक फिर दो मरीजों से शुरू हुआ ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. राजधानी में अब तक करीब 743 मरीज कोरोना की चपेट में आए थे. जिसमें 30 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 393 मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं. कोरोना पीड़ितों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखकर जिला प्रशासन का भी दम फूलने लगा है. शहर में पीड़ितों के मामले काबू से बाहर निकले, तो प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाएगी. हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि उनकी तैयारी पूरी है.लेकिन जब एक नजर राजधानी के अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर डाले तो आंकड़े कुछ और ही हकीकत बयां करते हैं....

राजधानी में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं

तीन अस्पतालों में हो रहा इलाज

राजधानी के 3 बड़े अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों का इलाज चल रहा है. जिसमें जीएमसी का हमीदिया अस्पताल, चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और एम्स शामिल हैं. अगर इन अस्पतालों में व्यवस्थाओं की बात की जाए तो तीनों अस्पतालों के प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक चिरायु अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सबसे ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. चिरायु अस्पताल में इस समय 800 मरीजों के इलाज की व्यवस्था है. साथ ही यहां 50 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. अभी यहां करीब 330 के आस-पास मरीज इलाजरत हैं. जिनमें मरीजों के ठीक होकर डिस्चार्ज होने का सिलसिला जारी है.

इसी तरह एम्स भोपाल में 186 बेड और 30 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. अभी यहां करीब 28 मरीज इलाजरत हैं. वहीं हमीदिया अस्पताल में 20 आईसीयू बेड, 65 साधारण बेड और 43 वेंटिलेटर, कोविड-19 के इलाज के लिए उपलब्ध हैं.

इस तरह अगर देखा जाए तो भोपाल में कुल 123 वेंटिलेटर और 1071 बेड कोरोना वायरस के मरीजों लिए उपलब्ध हैं. फिलहाल की स्थिति के हिसाब से तो ये व्यवस्थाएं पर्याप्त लगती हैं. क्योंकि इस समय राजधानी में एक्टिव केसों करीब 350 के आस-पास है. लेकिन भविष्य में हालात बिगड़ते हैं तो इन व्यवस्थाओं के साथ भोपाल की स्थिति संभालने में बहुत मुश्किल आ सकती है. यहां ना केवल शहर के बल्कि आस-पास के छोटे जिलों इटारसी, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़, होशंगाबाद के भी कोरोना संक्रमित मरीजों को भी इलाज के लिए लाया जाता है. जिससे आंकड़ों में बढ़ोत्तरी होने की आंशका बनी रहती है.

प्रशासन का दावा

हालांकि कलेक्टर तरुण पिथोड़े का इस बारे में कहना है कि राजधानी में केसों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन साथ ही रिकवरी रेट भी अच्छी है. बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो भी रहे हैं. शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ती है तो हमने पर्याप्त व्यवस्थाएं कर ली हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने पर हमारे पास पर्याप्त बेड हैं. जो जरूरत के समय उपलब्ध होंगे.

आसान नहीं आगे की राह

प्रशासन भले की लाख दावा करे लेकिन मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं पर नजर डालें तो ये नाकाफी सी ही दिखाई पड़ती हैं. क्योकि भोपाल जिले की जनसंख्या करीब 23 लाख 70 हजार है और आस-पास के जिलों को मिलाकर देखा जाए तो आंकड़ा और बढ़ जाएगा. इस जनसंख्या पर स्वास्थ्य सुविधाओं का आंकलन किया जाए तो स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के पास वर्तमान में कुल जनसंख्या के 1 फीसदी लोगों के लिए भी स्वास्थ्य सुविधाओ का इंतजाम नहीं है. अगर आने वाले दिनों में एक्टिव केसों की संख्या बढ़ने पर प्रशासन को बहुत से इंतजाम करने पड़ेंगे.

भोपाल। झीलों की नगरी कही जाने वाली प्रदेश की राजधानी की हवाओं में कोरोना का जहर घुलता जा रहा है. लिहाजा शहर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. पहले एक फिर दो मरीजों से शुरू हुआ ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. राजधानी में अब तक करीब 743 मरीज कोरोना की चपेट में आए थे. जिसमें 30 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 393 मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं. कोरोना पीड़ितों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखकर जिला प्रशासन का भी दम फूलने लगा है. शहर में पीड़ितों के मामले काबू से बाहर निकले, तो प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाएगी. हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि उनकी तैयारी पूरी है.लेकिन जब एक नजर राजधानी के अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर डाले तो आंकड़े कुछ और ही हकीकत बयां करते हैं....

राजधानी में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं

तीन अस्पतालों में हो रहा इलाज

राजधानी के 3 बड़े अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों का इलाज चल रहा है. जिसमें जीएमसी का हमीदिया अस्पताल, चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और एम्स शामिल हैं. अगर इन अस्पतालों में व्यवस्थाओं की बात की जाए तो तीनों अस्पतालों के प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक चिरायु अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सबसे ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. चिरायु अस्पताल में इस समय 800 मरीजों के इलाज की व्यवस्था है. साथ ही यहां 50 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. अभी यहां करीब 330 के आस-पास मरीज इलाजरत हैं. जिनमें मरीजों के ठीक होकर डिस्चार्ज होने का सिलसिला जारी है.

इसी तरह एम्स भोपाल में 186 बेड और 30 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. अभी यहां करीब 28 मरीज इलाजरत हैं. वहीं हमीदिया अस्पताल में 20 आईसीयू बेड, 65 साधारण बेड और 43 वेंटिलेटर, कोविड-19 के इलाज के लिए उपलब्ध हैं.

इस तरह अगर देखा जाए तो भोपाल में कुल 123 वेंटिलेटर और 1071 बेड कोरोना वायरस के मरीजों लिए उपलब्ध हैं. फिलहाल की स्थिति के हिसाब से तो ये व्यवस्थाएं पर्याप्त लगती हैं. क्योंकि इस समय राजधानी में एक्टिव केसों करीब 350 के आस-पास है. लेकिन भविष्य में हालात बिगड़ते हैं तो इन व्यवस्थाओं के साथ भोपाल की स्थिति संभालने में बहुत मुश्किल आ सकती है. यहां ना केवल शहर के बल्कि आस-पास के छोटे जिलों इटारसी, विदिशा, रायसेन, सीहोर, राजगढ़, होशंगाबाद के भी कोरोना संक्रमित मरीजों को भी इलाज के लिए लाया जाता है. जिससे आंकड़ों में बढ़ोत्तरी होने की आंशका बनी रहती है.

प्रशासन का दावा

हालांकि कलेक्टर तरुण पिथोड़े का इस बारे में कहना है कि राजधानी में केसों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन साथ ही रिकवरी रेट भी अच्छी है. बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो भी रहे हैं. शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ती है तो हमने पर्याप्त व्यवस्थाएं कर ली हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने पर हमारे पास पर्याप्त बेड हैं. जो जरूरत के समय उपलब्ध होंगे.

आसान नहीं आगे की राह

प्रशासन भले की लाख दावा करे लेकिन मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं पर नजर डालें तो ये नाकाफी सी ही दिखाई पड़ती हैं. क्योकि भोपाल जिले की जनसंख्या करीब 23 लाख 70 हजार है और आस-पास के जिलों को मिलाकर देखा जाए तो आंकड़ा और बढ़ जाएगा. इस जनसंख्या पर स्वास्थ्य सुविधाओं का आंकलन किया जाए तो स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के पास वर्तमान में कुल जनसंख्या के 1 फीसदी लोगों के लिए भी स्वास्थ्य सुविधाओ का इंतजाम नहीं है. अगर आने वाले दिनों में एक्टिव केसों की संख्या बढ़ने पर प्रशासन को बहुत से इंतजाम करने पड़ेंगे.

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