भोपाल। मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर में नवंबर माह में चीता लाने की तैयारियां की जा रही हैं. चीतों के रख रखाव और इनके व्यवहार की बारीकियों को सीखने के लिए वन विभाग के अधिकारी और विषेशज्ञ अगले माह अफ्रीका जाएंगे. विषेशज्ञों का यह दल करीब 20 दिनों तक अफ्रीका में रहकर चीतों के खान-पान, उनके रहन-सहन सहित सभी बारीकियों का अध्ययन करेगा. वन मंत्री विजय शाह के मुताबिक आगामी नवंबर माह में 14 चीते मध्यप्रदेश पहुंच जाएंगे.
72 साल बाद भारत आएंगे चीते
देश में आखिरी बार चीता को 1947 में देखा गया था. यह चीता छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित जंगल में आखिर बार देखा गया था. साल 1952 में दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाले स्तनधारी इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अब करीब 72 सालों बाद चीता की फिर भारत वापसी हो रही है.
हालांकि, इतने लंबे समय तक चीता के न होने से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट को भी इसके लालन-पालन का अनुभव नहीं है. यही वजह है कि अफ्रीका में विषेशज्ञों की टीम चीतों के व्यवहार और गतिविधियों को समझेगी. नवंबर में चीतों के साथ अफ्रीका के विषेशज्ञों का दल भी मध्यप्रदेश आएगा, जो करीब तीन माह तक मध्यप्रदेश में रहेगा. दल इस बात की निगरानी करेगा कि उनके स्वभाव में कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है.
सबसे पहले बाड़े में रखे जाएंगे चीते
नवंबर माह में आ रहे चीतों को कुनो पालपुर में एक बाड़े में रखा जाएगा. बाड़ा अगले माह अगस्त तक बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा. बाड़े में छोटे-छोटे तालाब बनाए जा रहे हैं, साथ ही बाड़े में गड्ढे आदि को भरा जा रहा है. कुछ समय बाड़े में रखने के बाद एक-एक कर चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा. जंगल में छोडे़ जाने के पहले शुरुआत में इन्हें काॅलर आईडी पहनायी जाएगा.
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गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे साल 2010 में मध्यप्रदेश को सौंपते हुए केन्द्र सरकार ने नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण में चीता को पुनर्स्थापित करने को कहा था. अब कहीं जाकर यह योजना जमीन पर उतर रही है.