भोपाल। गोस्वामी तुलसीदास का प्रसिद्ध दोहा है... चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक करें रघुवीर।।
चंदन का जितना धार्मिक महत्व है, उतना चिकित्सीय महत्व भी है. यही वजह है यह सबसे फायदेमंद फसल मानी जाती है। विषेशज्ञों की मानें तो इसकी खेती में यदि 20 साल की मेहनत और सब्र रखा जाए, तो यह आपको करोड़पति बना सकती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सीएम शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh) को प्रदेश में चंदन की खेती (Sandalwood Farming in MP) का सुझाव दिया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रदेश में चंदन की खेती को लेकर बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन इसके पहले इसकी ट्रेनिंग (Training of Sandalwood Farming) बहुत जरूरी है.
चंदन ऐसे बनाएगा करोड़पति
चंदन अपनी खुशबु के लिए जाना जाता है, लेकिन चंदन के पेड़ में यह खुशबु आने में कम से कम 20 साल का वक्त लग जाता है. खरीदार भी कम से कम 20 साल पुरानी चंदन की लकड़ी ही खरीदना पसंद करते हैं. चंदन के पेड़ में खुशबु वाले हिस्से को हार्ट बुड कहा जाता है.
इस उदाहरण से समझें कैसे बनोगे मालामाल
एक हेक्टेयर खेत में 400 चंदन के पेड़ लगाए जा सकते हैं. यदि 300 पौधे भी लगाए जाएं, तो अगले 20 साल बाद 1 चंदन के पेड़ से 25 किलो हार्ट वुड (Heart Wood Of Sandalwood) मिलता है. मार्केट में एक किलो हार्ट वुड की कीमत करीबन 5 हजार रुपए होती है. इस तरह 300 चंदन के पेड़ से 25 किलो के हिसाब से 7500 किलो हार्ट वुड निकलेगी. 5 हजार रुपए किलो के हिसाब से इसकी कीमत 3 करोड़ 75 लाख रुपए होगी.
सैप वुड भी बना देगी करोड़पति
इसी तरह हार्ट वुड को छोड़कर बाकी सैप वुड (Sap Wood of Sandalwood) भी निकलेगी, जो 100 रुपए किलो के हिसाब से बिकती है. एक पेड़ से 50 किलो सैप वुड मिलती है. इस तरह इसकी कीमत 15 लाख रुपए होगी. 300 पेड़ों से अगले 20 साल बाद 3.85 करोड़ रुपए की आय होगी. 20 साल में चंदन की खेती के दौरान मेंटीनेंस, सुरक्षा, परमिट, कटिंग, दीमक से बचाव के लिए दवाओं के छिड़काव आदि पर 75 लाख रुपए का खर्च भी मान लें, तो कम से कम 3 करोड़ रुपए की किसान को आय होगी.
चंदन की खेती में आती हैं कई मुश्किलें
वन विभाग के रिटायर्ड असिस्टेंट डायरेक्टर डाॅ. सुदेश वाघमारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मध्यप्रदेश में चंदन की खेती के सुझाव का स्वागत किया है. वे कहते हैं कि चंदन की खेती देश में सिर्फ आंध्रप्रदेश, कर्नाटक में ही होती रही हैं. चंदन की खेती में सबसे महत्वपूर्ण इसकी तकनीक है. प्रदेश में इसकी खेती के पहले इसकी तकनीक को समझना बहुत महत्वपूर्ण है. चंदन का पौधा हर जगह नहीं मिलता. इसका पौधा कलम लगाकर भी नहीं तैयार किया जा सकता. साथ ही इसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है. इसकी फसल तैयार होने में करीब 20 साल लग जाते हैं.
इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस में मिलते हैं चंदन के पौधे
कृषि विशेषज्ञ डाॅ. जेएस जरियाल कहते हैं कि चंदन के सबसे अच्छी क्वालिटी के पौधे सिर्फ बैंगलूर के इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस (Institute of Wood Science, Bangalore) में ही मिलते हैं. चंदन के खेती के पहले इसको लेकर ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी है. इसको दीमक सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. चंदन के पौधों के साथ आसपास कई और पौधे लगाने होते हैं, क्योंकि चंदन परजीवी पौधा होता है, जो अकेले सर्वाइव नहीं कर पाता. यह ग्रोथ तभी कर जाता है, जब आसपास झाड़ियां नुमा पौधे हों. चंदन की जड़ें जब इन झाड़ियों की जड़ों से मिलती हैं, तो यह ग्रोथ करता है.
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मध्यप्रदेश में लोगों ने चंदन के कई पेड़ लगाएं हैं, लेकिन इसकी कमर्शियल रूप से मध्यप्रदेश में अभी खेती कहीं नहीं हो रही. उधर, वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने पीएम के सुझाव पर कहा है कि प्रदेश में इसको लेकर अच्छी संभावनाएं हैं. इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे.
चोरों से बचाना सबसे मुश्किल काम
चंदन के पेड़ों को चोरों से बचाना सबसे मुश्किल होता है. दरअसल, शुरुआत के करीब आठ साल तक इसकी सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि यदि किसी को पेड़ों की समझ नहीं है, तो इसे पहचान नहीं सकता. 8 साल बाद यह महकना शुरू हो जाता है. इसके बाद से ही इसकी लकड़ी पकनी शुरू होती है. इस दौरान ही इसे सबसे ज्यादा सुरक्षा की जरूरत होती है.