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भोपाल: विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर लगाई गई दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी

विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर भोपाल के राज्य संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई. प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षक है भोपाल रियासत की मुद्राएं, जिसमें तत्कालीन नवाबों के समय में प्रचलित सिक्कों को रखा गया है.

दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी
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Published : May 19, 2019, 11:41 PM IST

भोपाल| विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर राजधानी के राज्य संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में देश के कई कालों में प्रचलित सिक्कों की विरासत को रखा गया है और इसके साथ ही उनसे जुड़े इतिहास के बारे में भी बताया गया है.

दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी

राज्य संग्रहालय में आहत सिक्के, कलचुरी काल, गुप्त कालीन, परमार वंश, अशोक कालीन, शक-क्षत्रप कालीन, सातवाहन सिक्के आदि के सिक्कों को प्रदर्शनी में रखा गया. इसके साथ ही मुगलकालीन मुद्राएं और ब्रिटिश-भारत के सिक्के भी यहां मौजूद हैं. प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षक है भोपाल रियासत की मुद्राएं, जिसमें तत्कालीन नवाबों के समय में प्रचलित सिक्कों को रखा गया है.

इसके अलावा पुराने समय में सिक्के गोल न होकर कई विरासतों में चौड़े, लंबे और तारनुमा होते थे इसकी भी जानकारी प्रदर्शनी में दी गयी है. हमारी पुरातात्विक धरोहर से इतिहास और उस समय के समाज के बारे में जितना पता चलता है उतना किसी और से नहीं चल पाता फिर चाहे वह पांडुलिपिया हो, मूर्तियां हो या फिर सिक्के.

भोपाल| विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर राजधानी के राज्य संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में देश के कई कालों में प्रचलित सिक्कों की विरासत को रखा गया है और इसके साथ ही उनसे जुड़े इतिहास के बारे में भी बताया गया है.

दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी

राज्य संग्रहालय में आहत सिक्के, कलचुरी काल, गुप्त कालीन, परमार वंश, अशोक कालीन, शक-क्षत्रप कालीन, सातवाहन सिक्के आदि के सिक्कों को प्रदर्शनी में रखा गया. इसके साथ ही मुगलकालीन मुद्राएं और ब्रिटिश-भारत के सिक्के भी यहां मौजूद हैं. प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षक है भोपाल रियासत की मुद्राएं, जिसमें तत्कालीन नवाबों के समय में प्रचलित सिक्कों को रखा गया है.

इसके अलावा पुराने समय में सिक्के गोल न होकर कई विरासतों में चौड़े, लंबे और तारनुमा होते थे इसकी भी जानकारी प्रदर्शनी में दी गयी है. हमारी पुरातात्विक धरोहर से इतिहास और उस समय के समाज के बारे में जितना पता चलता है उतना किसी और से नहीं चल पाता फिर चाहे वह पांडुलिपिया हो, मूर्तियां हो या फिर सिक्के.

Intro:भोपाल- हमारी पुरातात्विक धरोहर से इतिहास और उस समय के समाज के बारे में जितना पता चलता है उतना किसी और से नहीं चल पाता फिर चाहे वह पांडुलिपिया हो,मूर्तियां हो या फिर सिक्के। इतिहास से जुड़ी हर चीज़ हमारी विरासत है और इसी विरासत को सम्भाले हुए है संग्रहालय।
इसलिए विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर राजधानी के राज्य संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है।


Body:इस प्रदर्शनी में देश के कई कालों में प्रचलित सिक्कों की विरासत को रखा गया है और इसके साथ ही उनसे जुड़े इतिहास के बारे में भी बताया गया है।
यहां पर आहत सिक्के,कलचुरी काल,गुप्त कालीन,परमार वंश, अशोक कालीन, शक-क्षत्रप कालीन, सातवाहन सिक्के के सिक्कों को रखा गया।
इसके साथ ही मुगलकालीन मुद्राएं और ब्रिटिश भारत के सिक्के भी यहां मौजूद हैं।


Conclusion:प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षक है भोपाल रियासत की मुद्राएं, जिसमें तत्कालीन नवाबों के समय में प्रचलित सिक्कों को रखा गया है।
इसके अलावा पुराने समय में सिक्के गोल न होकर कई विरासतों में चौड़े, लंबे और तारनुमा होते थे इसकी भी जानकारी यहाँ दी गयी है।
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