भोपाल| विधानसभा का आगामी सत्र 16 मार्च से प्रारंभ होने जा रहा है. जिसे लेकर प्रदेश सरकार के द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है. इस विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश का बजट भी पेश किया जाना है. यह कमलनाथ सरकार का दूसरा बजट होगा जिसे वित्त मंत्री तरुण भनोट के द्वारा पेश किया जाएगा. यही वजह है कि वित्त विभाग के द्वारा बजट की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाना शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा वित्त मंत्री तरुण भनोट ने भी सभी मंत्रियों से 4 दिन में उन सभी योजनाओं के प्रस्ताव मांगे हैं. जिनके बजट प्रावधान किए जाने हैं.
इसके अलावा सभी विभागों को यह भी साफ कर दिया गया है कि केंद्रीय करो में 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती के कारण किसी भी विभाग को अधिक राशि देना संभव नहीं होगा. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है ताकि प्रदेश सरकार को अपने वचन पत्रों को भी पूरा करना है इसलिए सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी विभाग का अधिक भार सरकार के वित्तीय व्यवस्था ऊपर आए.
कमलनाथ सरकार की प्राथमिकता है कि केवल उन्हीं योजनाओं के लिए राशि स्वीकृत की करेगी. जो सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. बताया जा रहा है कि सरकार सामाजिक क्षेत्रों और अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ी योजनाओं में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं करने वाली है.
लागू नहीं होगा नया टैक्स
प्रदेश के वित्त मंत्री मार्च के तीसरे सप्ताह में विधानसभा में कमलनाथ सरकार का दूसरा बजट प्रस्तुत करेंगे आर्थिक मंदी के इस दौर में प्रदेश सरकार जनता पर किसी भी प्रकार का नया कर लगाने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है माना जा रहा है कि फिलहाल किसी भी प्रकार का कोई नया टैक्स प्रदेश में लागू नहीं होगा लेकिन उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का उपयोग इसी तरह करने की रणनीति बनाई गई है कि जिससे अधिक से अधिक जनता को दिए गए वचनों की पूर्ति हो सके. बताया जा रहा है कि प्रदेश के बजट में किसानों की कर्ज माफी के लिए 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बजट का प्रावधान किया जा सकता है कर्मचारियों और पेंशनर्स के बढ़े हुए 5 प्रतिशत महंगाई भत्ते (डीए) के लिए बजट में प्रावधान रखे जाएंगे.
बजट में क्या क्या
इसके अलावा कमलनाथ सरकार के द्वारा बजट में ही यह घोषणा भी की जा सकती है कि जुलाई 2018 से कर्मचारियों और पेंशनर्स को 5 प्रतिशत वृद्धि के साथ 17 फ़ीसदी डीए/ डीआर दिया जाएगा. कुछ ऐसी योजनाएं जो सामान्य स्वरूप की है या काफी समय से चल रही है उन्हें बंद करने का निर्णय भी लिया जा सकता है.
साल 2019 के बजट में 125 से ज्यादा योजनाओं को समाहित या फिर बंद किया गया था. यही वजह है कि वित्त मंत्री ने अन्य मंत्रियों को बता दिया है कि वह 4 दिनों में विभागीय अधिकारियों के साथ योजनाओं की समीक्षा करके आगामी कार्यक्रमों की प्राथमिकताएं तय कर लें.
28 फरवरी तक उन्हें प्रतिवेदन उपलब्ध करा दें ताकि मार्च के प्रथम सप्ताह में बजट को अंतिम रूप दिया जा सके.