भोपाल। शैक्षणिक संस्थानों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ना हो गया है. ऐसे में ऑनलाइन क्लास शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक स्वाभाविक विकल्प साबित हुआ है. प्रदेश में स्कूल खुल जाने के बाद भी 70% छात्र ऑनलाइन कक्षाएं ही ले रहे हैं. वहीं कुछ छात्र ऐसे भी हैं, जो संसधानों के अभाव में ऑनलाइन कक्षाओं से नहीं जुड़ पा रहे हैं.
ऑनलाइन क्लास ने निभाई अहम भूमिका
कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानें पिछले दस माह से बंद है. ऐसे में छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ऑनलाइन क्लास का सहारा लिया गया. प्रदेश में शासकीय और आशासकिय स्कूलों में ऑनलाइन क्लास मार्च माह से शुरू हुई. शुरुआत में ऑनलाइन के पैटर्न को समझने में छात्रों को वक्त लगा लेकिन अब वक्त के साथ विधार्थियों को ऑनलाइन क्लास की आदत हो गई हैं. यहीं वजह है कि स्कूल खुलने के बाद भी ज्यादातर छात्र ऑनलाइन क्लास के भरोसे ही पढ़ाई कर रहे हैं.
छात्रों का ऑनलाइन क्लास पर फोकस
प्रदेश के स्कूलों की अगर हम बात करें तो शासकीय स्कूलों में संसाधनों के अभाव में छात्र ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे, जबकि आशासकीय स्कूलों में 70% छात्र ऑनलाइन क्लास के सहारे ही पढ़ाई कर रहे हैं. सरकारी स्कूलों में 60% छात्रों के पास ऑनलाइन क्लास से जुड़ने के लिए स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार ने छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए तरह तरह की योजनाएं चलाई और कक्षा 9वीं-12वी के स्कूल सितंबर माह से खोलने की इज़ाज़त दी ताकि जो बच्चे ऑनलाइन कक्षाएं नहीं ले पा रहे हैं, वो स्कूल आकर पढ़ाई कर सके.
ऑनलाइन शिक्षा आज की हकीकत
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऑनलाइन कक्षाएं वास्तविक कक्षाओं का विकल्प नहीं हो सकती. क्योंकि एक शिक्षक की उपस्थिति में कुछ सीखना ओर उसकी वर्चुअल उपस्थिति में कुछ सीखना दोनों दो अलग-अलग परिस्थियां है लेकिन इस कोरोना काल मे ऑनलाइन कक्षाएं बेहतर विकल्प साबित हुई है. ऐसे में अब पेरेंट्स ओर स्टूडेंट्स ने भी ऑनलाइन क्लास को स्वीकार कर लिया है. यही वजह है कि आज छात्र कोचिंग, स्कूल और कॉलेज में भी ऑनलाइन क्लास के विकल्प को पसंद कर रहे हैं.
ऑनलाइन क्लास में ऐसे करें समय का सही उपयोग
एजुकेशन एक्सपर्ट और काउंसलर शबनम खां ने बताया कि जब तक स्कूल पूरी तरह से नहीं खुल जाते और पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं होते तब तक ऑनलाइन क्लास ही एक मात्र विकल्प है. ऐसे में बच्चे जब ऑनलाइन क्लास में बैठे तो वे पहले से प्रिपेयर रहे उन्हें जो डाउट्स है उसे पहले ही लिखकर रखे जब क्लास स्टार्ट हो तो अपने डाउट क्लियर करें. इससे उनका समय व्यस्त नही होगा और वे कक्षा का सही उपयोग करेंगे, पेरेंट्स को ध्यान रखना होगा जब बच्चा ऑनलाइन क्लास में है तो उसे डिस्टर्ब न हो जितनी देर की क्लास है. उस दौरान उसे अकेला छोड़े जिससे बच्चा क्लास में कंसन्ट्रेट कर सके.
उनका कहना है कि बच्चा ऑनलाइन क्लास में बैठ तो रहा है पर उसे इस बात की समझ होना भी ज़रूरी है कि क्लास में अपने समय का सही उपयोग कैसे करें. कोरोना काल ने भारत को सही मायने में डिजिटल बनाया है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है शेक्षणिक संस्थानों में चल रही ऑनलाइन कक्षाएं. आज लॉकडाउन के इतने महीने बाद भी ज्यादातर छात्र ऑनलाइन कक्षाओं एक बेहतर विकल्प मान रहे हैं. एक्सपर्ट ने बताया कैसे करें ऑनलाइन क्लास में समय का सही उपयोग कर सकते हैं.