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अनुमानः कोरोना की तीसरी लहर में 14 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादा खतरा

वैज्ञानिकों ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई है कि इस लहर का ज्यादा प्रभाव 14 वर्ष तक के बच्चों पर होगा. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दौरान राजधानी में हर दिन जितने नए केस मिलेंगे उनमें से 30 से 40 फीसद पॉजिटिव 14 साल तक के बच्चे ही होंगे.

Effect of corona on children
बच्चों पर कोरोना का प्रभाव
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Published : May 12, 2021, 8:27 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने वैज्ञानिकों को तीसरी लहर से बचाव की योजना पर काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के लिए भी तैयारियों के साथ ही अनुमानों पर विशेषज्ञ काम कर रहे है. चिकित्सा जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि कोरोना की सेकंड वेव में अधिकतर युवा संक्रमित हुए, लेकिन थर्ड वेव का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होगा. माना जा रहा है कि इस दौरान राजधानी में हर दिन जितने नए केस मिलेंगे उनमें से 30 से 40 फीसद पॉजिटिव 14 साल तक के बच्चे ही होंगे.

बच्चों पर कोरोना का प्रभाव
  • बच्चों के लिए केवल 1,300 बेड

अगर ये अनुमान सही रहा तो थर्ड वेव में दो हजार से अधिक बेड की जरूरत बच्चों के लिए हो सकती है, क्योंकि राजधानी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बच्चों के लिए केवल 1,300 बेड ही हैं. इनमें 500 बेड एनआईसीयू और पीआईसीयू के हैं. जानकारी के मुताबिक दूसरी लहर में भोपाल में 2,500 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं और इनमें से अधिकतर घर पर ही रहकर स्वस्थ्य हो गए हैं.

बच्चों पर कोरोना का कितना है प्रभाव? जानिए...

  1. थर्ड वेव में बच्चों के संक्रमण का खतरा ज्यादा
  2. विशेषज्ञ मानते हैं कि 30 से 40 फीसदी बच्चों पर हो सकता है प्रभाव
  3. दो हजार से अधिक बेड की होगी जरूरत
  4. फिलहाल 1,300 बैड बच्चों के लिए
  • 20 फीसद बच्चों को ही भर्ती करने की होगी जरूरत

भोपाल एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक (बाप) के अध्यक्ष डॉ. जीके अग्रवाल के मुताबिक तीसरी लहर को लेकर भोपाल में तैयारियां शुरु हो गई हैं. सरकारी स्तर पर और निजी अस्पतालों में भी बच्चों पर होने वाले प्रभाव को देखते हुए व्यवस्थाएं की जा रही है. डॉ. अग्रवाल का मानना है कि तीसरी लहर में 30 से 40 फीसदी बच्चों पर प्रभाव होने का अनुमान है. इनमें से 20 फीसद को भर्ती करने की जरूरत होगी.

  • राजधानी में बच्चों के लिए वर्तमान स्थिति
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर250
डेडिकेटिड चाइल्ड हॉस्पिटल27
बच्चों के इलाज वाले अस्पताल121
एसएनसीयू और पीआईसीयू
बेड की संख्या
500
जनरल वार्ड में बच्चों के बेड800
बच्चों के लिए वेंटिलेटर125
  • चाहिए होंगे एक हजार से अधिक बेड

डॉ. अग्रवाल का मानना है कि फिलहाल भोपाल में उनकी संस्था में रजिस्टर्ड स्पेशलिस्ट को मिलाकर कुल 250 डाक्टर हैं, जो बच्चों का इलाज कर रहे हैं. वर्तमान में सभी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखने बाद भी तीसरी लहर के दौरान भोपाल में दो हजार से अधिक बेड और उपकरणों की जरूरत होगी.

कोरोना काल: उच्च शिक्षा की परीक्षाएं प्रभावित, अब तक नहीं जारी हुई गाइडलाइन

  • दूसरी लहर में ढ़ाई हजार से अधिक बच्चे हुए संक्रमित

जानकारी के मुताबिक ये सारे अनुमान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी को ध्यान में रखकर विशेषज्ञों द्वारा जताए गए हैं. इसमें बताया गया था कि तीसरी लहर भी दूसरी की तरह ही होगी, जिसमें 50 फीसदी बच्चे मरीज हो सकते हैं. भोपाल में अब तक 2,500 से अधिक बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि इनमें से करीब 60 फीसदी बच्चे घर पर ही रहकर स्वस्थ्य हो चुके हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने वैज्ञानिकों को तीसरी लहर से बचाव की योजना पर काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के लिए भी तैयारियों के साथ ही अनुमानों पर विशेषज्ञ काम कर रहे है. चिकित्सा जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि कोरोना की सेकंड वेव में अधिकतर युवा संक्रमित हुए, लेकिन थर्ड वेव का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होगा. माना जा रहा है कि इस दौरान राजधानी में हर दिन जितने नए केस मिलेंगे उनमें से 30 से 40 फीसद पॉजिटिव 14 साल तक के बच्चे ही होंगे.

बच्चों पर कोरोना का प्रभाव
  • बच्चों के लिए केवल 1,300 बेड

अगर ये अनुमान सही रहा तो थर्ड वेव में दो हजार से अधिक बेड की जरूरत बच्चों के लिए हो सकती है, क्योंकि राजधानी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बच्चों के लिए केवल 1,300 बेड ही हैं. इनमें 500 बेड एनआईसीयू और पीआईसीयू के हैं. जानकारी के मुताबिक दूसरी लहर में भोपाल में 2,500 से अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं और इनमें से अधिकतर घर पर ही रहकर स्वस्थ्य हो गए हैं.

बच्चों पर कोरोना का कितना है प्रभाव? जानिए...

  1. थर्ड वेव में बच्चों के संक्रमण का खतरा ज्यादा
  2. विशेषज्ञ मानते हैं कि 30 से 40 फीसदी बच्चों पर हो सकता है प्रभाव
  3. दो हजार से अधिक बेड की होगी जरूरत
  4. फिलहाल 1,300 बैड बच्चों के लिए
  • 20 फीसद बच्चों को ही भर्ती करने की होगी जरूरत

भोपाल एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक (बाप) के अध्यक्ष डॉ. जीके अग्रवाल के मुताबिक तीसरी लहर को लेकर भोपाल में तैयारियां शुरु हो गई हैं. सरकारी स्तर पर और निजी अस्पतालों में भी बच्चों पर होने वाले प्रभाव को देखते हुए व्यवस्थाएं की जा रही है. डॉ. अग्रवाल का मानना है कि तीसरी लहर में 30 से 40 फीसदी बच्चों पर प्रभाव होने का अनुमान है. इनमें से 20 फीसद को भर्ती करने की जरूरत होगी.

  • राजधानी में बच्चों के लिए वर्तमान स्थिति
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर250
डेडिकेटिड चाइल्ड हॉस्पिटल27
बच्चों के इलाज वाले अस्पताल121
एसएनसीयू और पीआईसीयू
बेड की संख्या
500
जनरल वार्ड में बच्चों के बेड800
बच्चों के लिए वेंटिलेटर125
  • चाहिए होंगे एक हजार से अधिक बेड

डॉ. अग्रवाल का मानना है कि फिलहाल भोपाल में उनकी संस्था में रजिस्टर्ड स्पेशलिस्ट को मिलाकर कुल 250 डाक्टर हैं, जो बच्चों का इलाज कर रहे हैं. वर्तमान में सभी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखने बाद भी तीसरी लहर के दौरान भोपाल में दो हजार से अधिक बेड और उपकरणों की जरूरत होगी.

कोरोना काल: उच्च शिक्षा की परीक्षाएं प्रभावित, अब तक नहीं जारी हुई गाइडलाइन

  • दूसरी लहर में ढ़ाई हजार से अधिक बच्चे हुए संक्रमित

जानकारी के मुताबिक ये सारे अनुमान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी को ध्यान में रखकर विशेषज्ञों द्वारा जताए गए हैं. इसमें बताया गया था कि तीसरी लहर भी दूसरी की तरह ही होगी, जिसमें 50 फीसदी बच्चे मरीज हो सकते हैं. भोपाल में अब तक 2,500 से अधिक बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि इनमें से करीब 60 फीसदी बच्चे घर पर ही रहकर स्वस्थ्य हो चुके हैं.

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