भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है. इस संकट से प्रदेश को उबारने कि लिए प्रदेश सरकार तमाम तरह के जरुरी कदम उठा रही है. इसी कड़ी में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में एस्मा (ESMA) लगाने की घोषणा की है. आखिर ये कब लगाया जाता है और इस कानून के मुख्य बिंदु क्या-क्या हैं, आइए जानते हैं...
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नागरिकों के हित को देखते हुए #COVID19outbreak के बेहतर प्रबंधन के लिए आज से सरकार ने मध्यप्रदेश में एसेंशियल सर्विसेज़ मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) जिसे ESMA या हिंदी में ‘अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून’ कहा जाता है, तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 8, 2020
क्या है ये कानून
एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) को कर्मचारियों और अधिकारियों की गैरजरूरी हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. संकट के समय में अगर किसी राज्य में किसी विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और काम बंद कर देते हैं, तो सरकार उनसे हड़ताल खत्म करने को कह सकती है. अगर उसके बाद भी हड़ताल खत्म नहीं होती तो इस कानून के तहत कार्रवाई कर सकती है. मतलब अगर राज्य में ये कानून लागू है तो हड़ताल नहीं की जा सकती है.
सरकारें क्यों लगाती हैं एस्मा
सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये जरुरी सेवाओं पर बुरा असर पड़ सकता है. खासकर संकट के दौर में. ऐसी स्थितियों निपटने के लिए इस कानून को 1968 में लागू किया गया था. इस कानून को अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है.
उल्लंघन करने पर क्या होगा
राज्य में अगर ये कानून लागू है और वहां किसी विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो ये कानून का उल्लंघन होगा. जिसके लिए 6 महीने तक की कैद या 250 रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकता है.
वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं. उल्लेखनीय है कि थोड़े-बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने खुद का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है.