भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला समेत 20 प्रोफेसर्स को ईओडब्ल्यू ने आर्थिक अनियमितता मामले में क्लीन चिट दे दी है. ईओडब्ल्यू(EOW) ने इस मामले में विशेष अदालत में खात्मा रिपोर्ट लगाई है, जिसमें कहा गया है कि कुठियाला समेत सभी प्रोफेसर्स पर द्वेषपूर्ण आरोप लगाए गए हैं. इनके खिलाफ जांच में आरोप सिद्ध नहीं हो पाए हैं.
कमलनाथ सरकार ने करवाई थी FIR दर्ज
करीब 2 साल पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आर्थिक अनियमितताओं को लेकर एक जांच कमेटी गठित की थी, इस कमेटी ने एक रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपी थी. इस रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पूर्व कुलपति बीके कुठियाला समेत माखनलाल के 20 प्रोफेसर के खिलाफ FIR की थी. इस मामले में ईओडब्ल्यू की टीम में प्रोफेसर कुठियाला से कई बार पूछताछ की, वही सभी प्रोफेसर के भी बयान दर्ज किए गए थे हालांकि इस मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी.
आर्थिक अनियमितता के थे आरोप
पूर्व कुलपति बीके कुठियाला पर आरोप लगे थे कि उन्होंने कुलपति रहते कई आर्थिक अनियमितताएं की है. कुठियाला पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अधिकारों से बाहर जाकर एबीवीपी को 8 लाख, राष्ट्रीय ज्ञान संगम को साढ़े 9 लाख और जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र को 3 लाख रुपये दिए हैं. इसके अलावा माखनलाल विश्वविद्यालय में नियुक्तियों और पदोन्नति को लेकर भी आरोप लगाए गए थे कि 20 से ज्यादा प्रोफेसर की नियुक्तियों और पदोन्नति में यूजीसी के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है.
ये भी पढ़े-मध्य प्रदेश के अनूठे सर्पलोक (Snake World of MP) में इंसानी दखल
वाइन केबिनेट और शराब का बिल लगाने के भी आरोप
ईओडब्ल्यू में FIR दर्ज होने के बाद प्रोफेसर कुठियाला पर यह आरोप भी लगे थे कि उन्होंने विश्वविद्यालय के पैसों से अपने घर के लिए वाइन केबिनेट भी खरीदा था. साथ ही दिल्ली के एक बार में शराब पीने का भी बिल माखनलाल विश्वविद्यालय में लगाया था. इसके अलावा विश्वविद्यालय के खर्च पर परिवार के साथ विदेश यात्रा करने के भी आरोप प्रोफेसर कुठियाला पर लगे थे.
बीजेपी सरकार आते ही ईओडब्ल्यू के अधिकारी बदले गए
कमलनाथ सरकार ने आर्थिक अनियमितताओं को लेकर प्रोफ़ेसर कुठियाला समेत 20 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी, लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही ईओडब्ल्यू के कई अधिकारियों को बदल दिया गया. अब ईओडब्ल्यू में पदस्थ अधिकारियों ने मामले की जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट विशेष अदालत में लगाई है.