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ई-टेंडर घोटाला: मुश्किल में फंस सकते हैं बीजेपी के ये नेता, स्कैम में भूमिका की होगी जांच - इनकम टैक्स का छापा

ई-टेंडर घोटाले की जांच की जद में बीजेपी के तीन बड़े नेता आ सकते हैं. तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा, रामपाल सिंह, कुसुम महदेले की भूमिका की ईओडब्ल्यू जांच करेगा.

फंस सकते हैं बीजेपी के ये नेता
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Published : Apr 10, 2019, 9:12 PM IST

Updated : Apr 11, 2019, 6:06 PM IST

भोपाल: ई टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा, रामपाल सिंह, कुसुम महदेले की भूमिका की भी जांच करेगा. तीनों टेंडर में हुई गड़बड़ी के दौरान नरोत्तम मिश्रा के पास जल संसाधन, रामपाल सिंह के पास लोक निर्माण विभाग और कुसुम महदेले के पास लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग था, जिसमें जल निगम भी आता है.

ईओड्ब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी के मुताबिक मामले में वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति देने वालों की जांच की जा रही है. ई-टेंडर घोटाले में मामला दर्ज करने के बाद अब ईओडब्ल्यू जांच में जुट गई है. जांच में सबसे पहले पता लगाया जा रहा है कि ई टेंडर में किसने और कहां से टेम्परिंग की है.

टेंडर की वित्तीय बिड लॉक होने के बाद सिर्फ वही व्यक्ति उसे खोल सकता है, जिसे डिजिटल सिग्नेचर जारी किया गया हो. मामले में आरोपियों द्वारा डिजिटल सिग्नेचर के जरिये टेंडर ओपन होने के पहले वित्तीय बिड को खोलकर उस कंपनी के रेट सबसे कम कर दिए जाते थे, जिसे फायदा पहुंचाया जाना हो. जांच एजेंसी का मानना है कि मामले में बिना सांठगांठ के इतनी बडी गड़बड़ी संभव नहीं है.

मामले में प्रशासनिक स्वीकृति देने से लेकर वित्तीय अनुमोदन करने वाले जांच के दायरे में है. देखा जाए तो मुख्य रूप से गडबड़ी लोक निर्माण विभाग जल संसाधन विभाग और जल निगम में हुई है. जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा थे, पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री रामपाल सिंह और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जिसमें जल निगम आता है उसकी मंत्री कुसुम महदेले थी. लोक निर्माण विभाग के पीआईयू के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय सिंह वर्मा थे. इन सभी की भूमिका की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है.

सड़क विकास निगम के तत्कालीन एमडी मनीष रस्तोगी थे, जिन्होंने इस पूरी गड़बड़ी को उजागर किया था. मामला दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू टेंडर से जुड़ी फ़ाइलें जब्त करेगी और उसके आधार पर किन अधिकारियों ने मामले में क्या भूमिका निभाई यह जांच की जाएगी.

ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीन अधिकारी गिरफ्तार

ई टेंडरिंग घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही अब कार्रवाई भी शुरू हो गई है, पुलिस ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तार किए गए तीनों अधिकारियों से ईओडब्लू की टीम पूछताछ कर रही है.घोटाले की जांच के दौरान ईओडब्लू की टीम ने जिन आईपी एड्रेस को ट्रेस किया वो ऑस्मो कंपनी के निकले, जिसके बाद इस कंपनी के तीन अधिकारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.एक दिन पहले ही ऑस्पो कंपनी के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. जिसके बाद गिरफ्तारी का सिलसिला भी शुरू हो गया.

भोपाल: ई टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा, रामपाल सिंह, कुसुम महदेले की भूमिका की भी जांच करेगा. तीनों टेंडर में हुई गड़बड़ी के दौरान नरोत्तम मिश्रा के पास जल संसाधन, रामपाल सिंह के पास लोक निर्माण विभाग और कुसुम महदेले के पास लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग था, जिसमें जल निगम भी आता है.

ईओड्ब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी के मुताबिक मामले में वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति देने वालों की जांच की जा रही है. ई-टेंडर घोटाले में मामला दर्ज करने के बाद अब ईओडब्ल्यू जांच में जुट गई है. जांच में सबसे पहले पता लगाया जा रहा है कि ई टेंडर में किसने और कहां से टेम्परिंग की है.

टेंडर की वित्तीय बिड लॉक होने के बाद सिर्फ वही व्यक्ति उसे खोल सकता है, जिसे डिजिटल सिग्नेचर जारी किया गया हो. मामले में आरोपियों द्वारा डिजिटल सिग्नेचर के जरिये टेंडर ओपन होने के पहले वित्तीय बिड को खोलकर उस कंपनी के रेट सबसे कम कर दिए जाते थे, जिसे फायदा पहुंचाया जाना हो. जांच एजेंसी का मानना है कि मामले में बिना सांठगांठ के इतनी बडी गड़बड़ी संभव नहीं है.

मामले में प्रशासनिक स्वीकृति देने से लेकर वित्तीय अनुमोदन करने वाले जांच के दायरे में है. देखा जाए तो मुख्य रूप से गडबड़ी लोक निर्माण विभाग जल संसाधन विभाग और जल निगम में हुई है. जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा थे, पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री रामपाल सिंह और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जिसमें जल निगम आता है उसकी मंत्री कुसुम महदेले थी. लोक निर्माण विभाग के पीआईयू के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय सिंह वर्मा थे. इन सभी की भूमिका की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है.

सड़क विकास निगम के तत्कालीन एमडी मनीष रस्तोगी थे, जिन्होंने इस पूरी गड़बड़ी को उजागर किया था. मामला दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू टेंडर से जुड़ी फ़ाइलें जब्त करेगी और उसके आधार पर किन अधिकारियों ने मामले में क्या भूमिका निभाई यह जांच की जाएगी.

ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीन अधिकारी गिरफ्तार

ई टेंडरिंग घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही अब कार्रवाई भी शुरू हो गई है, पुलिस ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तार किए गए तीनों अधिकारियों से ईओडब्लू की टीम पूछताछ कर रही है.घोटाले की जांच के दौरान ईओडब्लू की टीम ने जिन आईपी एड्रेस को ट्रेस किया वो ऑस्मो कंपनी के निकले, जिसके बाद इस कंपनी के तीन अधिकारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.एक दिन पहले ही ऑस्पो कंपनी के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. जिसके बाद गिरफ्तारी का सिलसिला भी शुरू हो गया.

Intro:ई टेंडर घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा रामपाल सिंह कुसुम महदेले की भूमिका की भी जांच करेंगे। दरअसल तीनों टेंडर में हुई गड़बड़ी के समय संबंधित विभागों के मंत्री थे। नरोत्तम मिश्रा के पास जल संसाधन, रामपाल सिंह के पास लोक निर्माण विभाग और कुसुम महदेले के पास लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग था, जिसमें जल निगम भी आता है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के महानिदेशक केएन तिवारी के मुताबिक मामले में वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति देने वालों की जांच की जा रही है।


Body: ई टेंडर घोटाले में मामला दर्ज करने के बाद अब ईओडब्ल्यू मामले की जांच में जुट गई है। जांच में सबसे पहले पता लगाया जा रहा है कि ई टेंडर में किसने और कहाँ से टेम्परिंग की है। दरअसल टेंडर की वित्तीय बिड लॉक होने के बाद सिर्फ वही व्यक्ति उसे खोल सकता है जिसे डिजिटल सिगनेचर जारी किया गया हो। मामले में आरोपियों द्वारा डिजिटल सिग्नेचर की के जरिये टेंडर ओपन होने के पहले वित्तीय बिड को खोलकर उस कंपनी के रेट सबसे कम कर दिए जाते थे, जिसे फायदा पहुंचाया जाना हो। जांच एंजेंसी का मानना है कि मामले में बिना सांठगांठ के इतनी बडी गड़बड़ी संभव नहीं है लिहाजा मामले में प्रशासनिक स्वीकृति देने से लेकर वित्तीय अनुमोदन करने वाले जांच के दायरे में है। देखा जाए तो मुख्य रूप से गर बढ़िया लोक निर्माण विभाग जल संसाधन विभाग और जल निगम में हुई है। जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा थे वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री रामपाल सिंह और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जिसमें जल निगम आता है उसकी मंत्री कुसुम महदेले थी वहीं लोक निर्माण विभाग के पीआईयू के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय सिंह वर्मा थे। इन सभी की भूमिका की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। वहीं सड़क विकास निगम के तत्कालीन एमडी मनीष रस्तोगी थे, जिन्होंने इस पूरी गड़बड़ी को उजागर किया था। मामला दर्ज करने के बाद ईओडब्ल्यू टेंडर से जुड़ी फ़ाइलें जप्त करेगी और उसके आधार पर किन अधिकारियों ने मामले में क्या भूमिका निभाई यह जांच की जाएगी।


Conclusion:
Last Updated : Apr 11, 2019, 6:06 PM IST
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