भोपाल। ई-टेंडर, माखनलाल और सिंहस्थ घोटाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद EOW ने शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले की जांच शुरू कर दी है. इस शिकायत में मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल पर घोटाले का आरोप है. साथ ही उन पर अपने बेटे की कंपनी को भी लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं. फिलहाल EOW ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है.
अप्रैल 2017 में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने के लिए एचपीई कंपनी को टेंडर दिया गया था. ये टेंडर कुल 300 करोड़ रुपए का था. आरोप है कि BSNL ने 250 करोड़ का टेंडर डाला था. इसके बावजूद ये टेंडर एचपीई कंपनी को दिया गया. चौंकाने वाली बात तो ये है कि स्मार्ट सिटी की कंसलटेंट कंपनी पीडब्ल्यूसी में ही विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल सीनियर अधिकारी हैं.
टेंडर जारी होने के महज 6 दिन पहले ही कोलकाता में पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी के बीच साथ में काम करने का करार हुआ था. 6 दिन बाद ही एचपीई कंपनी को ये बड़ा टेंडर जारी कर दिया गया. नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव पर ये टेंडर एचपीई कंपनी को दिलाने और फायदा पहुंचाने के आरोप लगे हैं. इसके अलावा ये भी आरोप है कि प्रजेंटेशन में भी एचपीई कंपनी को 200 में से 175 मार्क दे दिए गए.
फिलहाल EOW ने स्मार्ट सिटी घोटाले को लेकर सिर्फ शिकायत पंजीबद्ध किया है. अब बारीकी से इसकी जांच की जा रही है. जांच के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही EOW इसे लेकर एफआईआर भी दर्ज कर सकती है. जिसके बाद सीनियर IAS अफसर विवेक अग्रवाल और कंपनियों से जुड़े अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.