भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए कालेधन के लेन-देन को लेकर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. फिर भी ईओडब्ल्यू के सामने कई मुश्किलें हैं. दरअसल ईओडब्ल्यू को 4 अधिकारियों के खिलाफ जांच करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. लिहाजा अब ईओडब्ल्यू सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है.
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत लेनी होगी अनुमति
दरअसल चुनाव आयोग की सिफारिश पर ईओडब्ल्यू ने मध्यप्रदेश कैडर के 3 आईपीएस अफसर और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत किसी भी लोक सेवक के खिलाफ जांच करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति देनी होती है.राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही इन चार अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाएगी.
26 दिसम्बर को ही राज्य सरकार ने किया था परिपत्र जारी
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में 26 दिसंबर को सरकार के अधीन आने वाली जांच एजेंसियां जैसे ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त को धारा 17 ए का हवाला देते हुए एक परिपत्र जारी किया था. जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ था कि, उन्हें किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच करने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग को जांच के लिए प्रस्ताव भेजना होगा. सामान्य प्रशासन विभाग इस प्रस्ताव की जांच करेगा. अनुमोदन के लिए समन्वय समिति को भेज देगा.
4 अधिकारियों पर हैं आरोप
चुनाव आयोग के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने 3 आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. इस लिस्ट में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा भी शामिल हैं. इन चारों पुलिस अधिकारियों पर आरोप हैं कि इन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहन से भोपाल से दिल्ली रुपए पहुंचाए हैं. आयकर विभाग की जो रिपोर्ट ईओडब्ल्यू के पास पहुंची है, उसमें आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के सामने 25 लाख की राशि लिखी हुई है. वही संजय माने के नाम के सामने 30 लाख, वी मधुकुमार के नाम के आगे 12.50 करोड़ और अरुण मिश्रा के नाम के सामने 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है.
यह है पूरा मामला
दरअसल मध्यप्रदेश में पूर्व की कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी, प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त कीं थीं. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे. जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक की जांच दर्ज करने के आदेश दिए.