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चार माह में ऊर्जा विभाग को 1713.24 करोड़ का घाटा, अनलॉक से भरपाई की उम्मीद - bhopal news

कोरोना काल में ऊर्जा विभाग को करोड़ों का नुकसान हुआ है. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह प्रदेश में बिजली की खपत कम हो गई. जिससे मार्च, अप्रैल, मई और जून में ऊर्जा विभाग को 1713.24 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है.

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चार माह में 1713.24 करोड़ का घाटा
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Published : Aug 10, 2020, 4:58 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया भर में हाकार मचा है, जिसका स्वास्थ्य और अन्य चीजों के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है. मध्यप्रदेश भी इस वक्त राजस्व के नुकसान से जूझ रहा है. कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए गए लॉकडाउन की वजह से व्यावसायिक गतिविधियां बंद रहीं, जिससे भारी भरकम राजस्व का नुकसान हुआ है. ऊर्जा विभाग की बात करें तो पिछले 4 महीने में ऊर्जा विभाग को 1713.24 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है.

चार माह में 1713.24 करोड़ का घाटा

जुलाई में बढ़ी 9 प्रतिशत बिजली की डिमांड

प्रदेशवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली से प्रदेश के ऊर्जा विभाग को राजस्व मिलता है और पिछले 4 महीने से प्रदेश में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी और कृषि क्षेत्र में भी बिजली की डिमांड बहुत कम रही. मार्च, अप्रैल, मई और जून की बात करें तो इन चार महीनों में पिछले साल की तुलना में मार्च में 7 प्रतिशत, अप्रैल में 15 प्रतिशत, मई में 10 प्रतिशत और जून में 17 प्रतिशत कम बिजली की खपत हुई है. जिसके चलते ऊर्जा विभाग को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है. हालांकि, जुलाई में 9 प्रतिशत बिजली की डिमांड बढ़ी है. जिससे सरकार को 313.74 करोड़ रुपए के राजस्व मिलने से राहत मिली है.

बिजली सप्लाई के साल 2019 और 2020 के आंकड़े

साल 2019 में बिजली की डिमांड

  • मार्च - 6508 से 6036 रही बिजली खपत
  • अप्रैल 6133 से 5210 रही बिजली खपत
  • मई 7616 से 6055 रही बिजली खपत
  • जून 6193 से 5149 रही बिजली खपत
  • जुलाई 5822 से 6320 रही बिजली खपत

2020 में बिजली की डिमांड

  • मार्च - 7 प्रतिशत
  • अप्रैल- 15 प्रतिशत
  • मई -10 प्रतिशत
  • जून- 17 प्रतिशत
  • जुलाई- 9 प्रतिशत

अनलॉक में बिजली खपत बढ़ने की उम्मीद

इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले साल बिजली की खपत कितनी ज्यादा थी, जुलाई में हुए अनलॉक में सरकार ने नियम अनुसार उद्योग खोलने की अनुमति दी थी. जिसके बाद जुलाई में 9 प्रतिशत डिमांड बढ़ी है. जिससे सरकार को राजस्व के रूप में 313.74 रूपए की आय हुई है, जबकि सिंचाई के रूप में मार्च, अप्रैल और मई के दिनों में भी बिजली की डिमांड बढ़ती है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इन महीनों में भी खपत कम हुई है. हालांकि, अब उम्मीद है कि सरकार से मिली छूट के बाद लोग कोरोना संक्रमण से बचते हुए अपने उद्योग धंधे और खेती के काम में फिर से लग गए हैं. अब देखना ये होगा कि क्या बिजली की डिमांड आगे भी बढ़ती रहेगी, अभी बारिश में बिजली की डिमांड नहीं बढ़ी तो एक बार फिर ऊर्जा विभाग को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही कारण है कि बिजली की डिमांड नहीं होने से प्रदेश के कई पावर प्लांट लॉकडाउन के समय बंद भी रहे.

एमपी में 40 निजी और सरकारी बिजली उत्पादन केंद्र

प्रदेश में बिजली उत्पादन की बात करें तो करीब 40 निजी और सरकारी बिजली उत्पादन केंद्र हैं. जहां से बिजली बनती है. जिनमें प्रमुख रूप से इंदिरा सागर परियोजना, बरगी विद्युत ताप केंद्र, एनटीपीसी, सिंगाजी पावर प्लांट, सिरमौर पावर प्लांट, कोरबा पावर प्लांट के अलावा कई अन्य बिजली उत्पादन केंद्र है, जहां से बिजली उत्पादन होता है. हालांकि, प्रदेश में अब औद्योगिक और व्यापारिक एक्टिविटीज शुरू हो रही है, जिससे सरकार को उम्मीद है कि अब एक बार फिर ऊर्जा विभाग प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ाने में सहायता करेगा. अब देखना होगा कि अगले एक महीने में प्रदेश में बिजली की डिमांड कितनी बढ़ती है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया भर में हाकार मचा है, जिसका स्वास्थ्य और अन्य चीजों के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है. मध्यप्रदेश भी इस वक्त राजस्व के नुकसान से जूझ रहा है. कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए गए लॉकडाउन की वजह से व्यावसायिक गतिविधियां बंद रहीं, जिससे भारी भरकम राजस्व का नुकसान हुआ है. ऊर्जा विभाग की बात करें तो पिछले 4 महीने में ऊर्जा विभाग को 1713.24 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है.

चार माह में 1713.24 करोड़ का घाटा

जुलाई में बढ़ी 9 प्रतिशत बिजली की डिमांड

प्रदेशवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली से प्रदेश के ऊर्जा विभाग को राजस्व मिलता है और पिछले 4 महीने से प्रदेश में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी और कृषि क्षेत्र में भी बिजली की डिमांड बहुत कम रही. मार्च, अप्रैल, मई और जून की बात करें तो इन चार महीनों में पिछले साल की तुलना में मार्च में 7 प्रतिशत, अप्रैल में 15 प्रतिशत, मई में 10 प्रतिशत और जून में 17 प्रतिशत कम बिजली की खपत हुई है. जिसके चलते ऊर्जा विभाग को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है. हालांकि, जुलाई में 9 प्रतिशत बिजली की डिमांड बढ़ी है. जिससे सरकार को 313.74 करोड़ रुपए के राजस्व मिलने से राहत मिली है.

बिजली सप्लाई के साल 2019 और 2020 के आंकड़े

साल 2019 में बिजली की डिमांड

  • मार्च - 6508 से 6036 रही बिजली खपत
  • अप्रैल 6133 से 5210 रही बिजली खपत
  • मई 7616 से 6055 रही बिजली खपत
  • जून 6193 से 5149 रही बिजली खपत
  • जुलाई 5822 से 6320 रही बिजली खपत

2020 में बिजली की डिमांड

  • मार्च - 7 प्रतिशत
  • अप्रैल- 15 प्रतिशत
  • मई -10 प्रतिशत
  • जून- 17 प्रतिशत
  • जुलाई- 9 प्रतिशत

अनलॉक में बिजली खपत बढ़ने की उम्मीद

इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले साल बिजली की खपत कितनी ज्यादा थी, जुलाई में हुए अनलॉक में सरकार ने नियम अनुसार उद्योग खोलने की अनुमति दी थी. जिसके बाद जुलाई में 9 प्रतिशत डिमांड बढ़ी है. जिससे सरकार को राजस्व के रूप में 313.74 रूपए की आय हुई है, जबकि सिंचाई के रूप में मार्च, अप्रैल और मई के दिनों में भी बिजली की डिमांड बढ़ती है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इन महीनों में भी खपत कम हुई है. हालांकि, अब उम्मीद है कि सरकार से मिली छूट के बाद लोग कोरोना संक्रमण से बचते हुए अपने उद्योग धंधे और खेती के काम में फिर से लग गए हैं. अब देखना ये होगा कि क्या बिजली की डिमांड आगे भी बढ़ती रहेगी, अभी बारिश में बिजली की डिमांड नहीं बढ़ी तो एक बार फिर ऊर्जा विभाग को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही कारण है कि बिजली की डिमांड नहीं होने से प्रदेश के कई पावर प्लांट लॉकडाउन के समय बंद भी रहे.

एमपी में 40 निजी और सरकारी बिजली उत्पादन केंद्र

प्रदेश में बिजली उत्पादन की बात करें तो करीब 40 निजी और सरकारी बिजली उत्पादन केंद्र हैं. जहां से बिजली बनती है. जिनमें प्रमुख रूप से इंदिरा सागर परियोजना, बरगी विद्युत ताप केंद्र, एनटीपीसी, सिंगाजी पावर प्लांट, सिरमौर पावर प्लांट, कोरबा पावर प्लांट के अलावा कई अन्य बिजली उत्पादन केंद्र है, जहां से बिजली उत्पादन होता है. हालांकि, प्रदेश में अब औद्योगिक और व्यापारिक एक्टिविटीज शुरू हो रही है, जिससे सरकार को उम्मीद है कि अब एक बार फिर ऊर्जा विभाग प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ाने में सहायता करेगा. अब देखना होगा कि अगले एक महीने में प्रदेश में बिजली की डिमांड कितनी बढ़ती है.

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