भोपाल। मध्य प्रदेश के साढे चार लाख अधिकारी कर्मचारियों को अब उच्च पद का प्रभार पदनाम दिया जाएगा. प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कोर्ट में मामला पेंडिंग होने की वजह से सरकार ने नया रास्ता निकाला है. राज्य सरकार ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. यह कमेटी 15 जनवरी तक अपनी अनुशंसाए सरकार को सौंपेगी.
समिति का अध्यक्ष महानिदेशक प्रशासन अकादमी को बनाया गया है. समिति में जल संसाधन ग्रह और सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव सदस्य होंगे. सदस्य सचिव की जिम्मेवारी, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई है. अन्य दो सदस्यों में राजस्व विधि विभाग के प्रमुख सचिव को शामिल किया गया है. यह कमेटी अधिकारी कर्मचारियों को उच्च पद पर प्रभार दिए जाने कि अपनी अनुशंसा शासन को 15 जनवरी तक सौंपेगी.
इसके बाद राज्य सरकार इस पर निर्णय लेगी. प्रदेश में पिछले 4 साल में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी बिना प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो चुके हैं. प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा पूर्व में विधानसभा में भी उठ चुका है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने राज्य शासन को निर्देश दिए थे कि सरकार इसका रास्ता निकालें. क्योंकि इसको लेकर कर्मचारी अधिकारी मानसिक रूप से तनाव में है. यह तनाव घर में तब और बढ़ जाता है जब बच्चे अपने पिता या मां से इसको लेकर सवाल पूछते हैं.
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मध्यप्रदेश देश का ऐसा एकलौता राज्य है, जहां पिछले 4 साल से राज्य सरकार के कर्मचारी-अधिकारियों को पदोन्नति हासिल नहीं हुई है. ऐसी स्थिति इसलिए बनी, क्योंकि प्रमोशन में आरक्षण के विवाद के चलते हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश की पदोन्नति की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था. सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया. लेकिन पिछले 4 साल में इस मामले पर किसी तरह की सुनवाई ना होने के कारण प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी बिना पदोन्नति के रिटायर हो रहे हैं और जो सेवारत हैं वह पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं.
प्रमोशन में आरक्षण के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार को स्थगन आदेश दे दिया था. ये स्थगन आदेश मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दिया गया था. जिसमें एमपी हाईकोर्ट ने सरकार की पदोन्नति प्रक्रिया को खारिज कर दिया था. 2016 में सुप्रीम कोर्ट में स्टे दिए जाने के बाद मप्र में एक भी विभाग में कर्मचारी-अधिकारियों का प्रमोशन नहीं हुआ है. एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक करीब 50 हजार कर्मचारी-अधिकारी पदोन्नति का इंतजार करते-करते रिटायर हो गए हैं और हर साल 15 से 20 हजार कर्मचारी पदोन्नति के इंतजार करते हुए रिटायर हो जाते हैं.