भोपाल| मंडी अधिनियम में संशोधन कर प्रदेश में निजी मंडियों को बढ़ावा देने के सरकार के निर्णय के खिलाफ मंडी समितियों के कर्मचारी अब लामबंद हो गए हैं. इसे देखते हुए सभी मंडियों की समितियों के द्वारा एक संयुक्त संघर्ष मोर्चा भी बना लिया गया है. इस संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपनी मांगों के संबंध में पत्र भी लिखा है, जिसमें बताया गया है कि मंडियों के कर्मचारियों और हम्मालों के हितों का प्रस्तावित अधिनियम में ध्यान नहीं रखा गया है. इसके साथ ही सरकार को चेतावनी भी दी गई है कि 2 सितंबर तक मांग पर विचार नहीं किया जाता है तो 3 सितंबर से प्रदेश की सभी मंडियों को बंद कर दिया जाएगा.
संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा सीएम को लिखे पत्र में बताया गया है कि प्रस्तावित अधिनियम में मंड़ियों का दायरा बेहद सीमित कर दिया गया है, मंडी शुल्क को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं रखा गया है. पूरी विपणन व्यवस्था को संचालक कृषि विपणन के नए पद के अधीन रखा गया है. कर्मचारी, हम्माल, तुलावटी को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई है, यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो 3 सितंबर से प्रदेश की सभी 259 मंडियों को अनिश्चितकालीन के लिए बंद करने का कदम उठाया जाएगा.
पत्र के माध्यम से सीएम से मांग की गई है कि संचालक कृषि विपणन को नियमन की व्यवस्था के समस्त अधिकार दे दिए गए हैं, जबकि मंडी समिति बोर्ड के पदस्थ अमले को कृषि विपणन में शामिल किया जाना चाहिए और संचालन की व्यवस्था का दायित्व भी सौंपा जाना चाहिए. जिससे कि शासन को अतिरिक्त हमले की आवश्यकता नहीं होगी तथा पूर्व में पदस्थ अनुभवी कर्मचारियों का सहयोग भी मिल सकेगा. इसके अलावा वर्तमान में 259 मंडी, 298 उप मंडी, सात आंचलिक कार्यालय, 13 तकनीकी संभाग व मंडी बोर्ड मुख्यालय में कुल 6,500 कर्मचारी अधिकारी कार्य तथा अनुमानित 25,000 कर्मचारी अधिकारी पेंशन भोगी श्रेणी में भी आते हैं.
मंडी बोर्ड को मंडियों के विकास कार्य व कर्मिक संबंधी गतिविधियों तक सीमित कर दिया गया है, परंतु इसमें अमले के वेतन भत्ते पेंशन इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के संबंध में किसी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. मंडी समिति व मंडी बोर्ड में पदस्थ समस्त अमले पेंशन भोगी कर्मचारियों के समस्त दायित्व का निर्वहन करने के लिए संपूर्ण अमले को संचालक कृषि विपणन में शामिल किया जाए.
वर्तमान में 259 मंडियों में से अ और ब श्रेणी को छोड़कर शेष की अधिकांश मंडियों में वेतन पेंशन की व्यवस्था अव्यवस्थित है, जिससे मंडी कर्मचारियों में वेतन प्राप्त नहीं होने पर असमानता की स्थिति दिखाई देती है. जिससे असंतोष भी बढ़ता जा रहा है, वर्तमान में जो प्रावधान किया गया है, उसके तहत 150 से अधिक मंडियों को वेतन नहीं मिल सकेगा तथा शेष को भविष्य में मिलना भी संभव नजर नहीं आता है. मंडियों में निर्मित दुकानों गोदामों की संरचनाएं भू आवंटन नियम के अंतर्गत आवंटित नहीं होने से मंडियों को आर्थिक हानि हो रही है, इससे वित्तीय योजना के अंतर्गत आवंटित करने का प्रावधान लागू किया जाए, जिससे मंडियों में व्यापारियों को सही सुविधा प्राप्त हो सके और व्यापार करने में भी सहजता आए.
इसके अलावा मंडियों में लिया जा रहा वर्तमान मंडी शुल्क भी कम किया जाए, क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में ये कहीं ज्यादा लिया जा रहा है, किसानों को मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाए तथा वर्तमान में मंडियों में सर्व सुविधा युक्त प्रांगण के साथ मासिक पुरस्कार योजना भी प्रारंभ की जाए. संयुक्त संघर्ष मोर्चा मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से कहा है कि समस्त मांगों का निराकरण 2 सितंबर तक नहीं होने पर प्रदेश में स्थित समस्त 259 मंडियां, 298 उप मंडी, तेरा तकनीकी संभाग, सात आंचलिक कार्यालय, एवं मंडी बोर्ड मुख्यालय के सभी अधिकारी- कर्मचारी समस्त कृषक बंधु व्यापारी वर्ग 3 सितंबर से अनिश्चितकालीन मंडी एवं कार्यालय को बंद कर देंगे और मुख्यालय भोपाल में सख्त आग्रह किया जाएगा.
इस दौरान अपनी मांगों को लेकर मंडी बोर्ड वल्लभ भवन मुख्यमंत्री निवास और मंत्रियों के निवास के साथ-साथ ही संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के आवासों का घेराव भी किया जाएगा. जिसकी सारी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी.