भोपाल। गर्मियों में एक बार फिर बिजली के बढ़े बिल आपको झटका देने वाले हैं केंद्र सरकार ने फ्यूल कॉस्ट के नाम पर हर महीने बिजली के दाम तय किए जाने का अधिकार बिजली कंपनियों को दे दिया है, जिसका असर दिखने लगा है. इससे चुनावी साल में बिजली उपभोक्ताओं को झटका लग रहा है. बिजली कंपनियों ने अपने स्तर पर बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी करना शुरू कर दिया है. नई व्यवस्था बिजली कंपनियों ने 24 अप्रैल से लागू की है.
फ्यूल एंड पॉवर पर्चेस सरचार्ज से बिजली फिर मंहगी: बिजली कंपनियां हर महीने अब एफसीए की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज वसूल रही हैं. इसकी गणना हर महीने की जा रही है. इसके आधार पर आपके बिजली बिल हर महीने बढ़कर ही आएगा. अभी मार्च के महीने में जो बिजली बिल आया है, उसमें बिजली कंपनियों ने 5 फीसदी सरचार्ज वसूल लिया है. यह सरचार्ज बिजली कंपनियों ने 24 अप्रैल से लागू होगा, अगले महीने के बिल में यह सरचार्ज 8 फीसदी तक बढ़ सकता है. दरअसल केंद्र सरकार ने विद्युत नियम 2005 में संशोधन करते हुए बिजली कंपनियां को हर महीने फ्यूल कॉस्ट तय करने का अधिकार दिया है. इसके आधार पर यह मनमानी की जा रही है. बिजली कंपनियों ने पहली बार फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) की गणना की है. इस गणना के मुताबिक बिजली कंपनियों ने 6.80 फीसदी एफपीपीएएस वसूलना तय किया था, लेकिन पहली बार बिजली कंपनियों ने सरचार्ज 5 फीसदी ही वसूला है.
सरचार्ज से बिजली बिलों में 8 फीसदी बढोत्तरी होगी: इस पहले हर तिमाही में फ्यूल कॉस्ट एडजेस्टमेंट (एफसीए) नियामक आयोग तय करता था. इससे साल में चार बार एफसीए बिलों में जुड़ता था जनवरी 2023 से मार्च तक के लिए इसे 34 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया था यानी एक साल में 34 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हुई है. अब FCA की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज लगाया गया है. इससे अप्रैल मई में बिजली 36 पैसे (200 यूनिट तक) प्रति यूनिट तक महंगी कर दी है. यह सरचार्ज हर स्लैब के साथ बदलेगा, बिल में आने वाले एनर्जी और फिक्स चार्ज का 5% या इससे ज्यादा लिया जा सकता है. अब अप्रैल के एफपीपीएएस की गणना की जाएगी. पहली बार हुई गणना में एफपीपीएएस 6.80 फीसदी आया था. ऐसे में तय है कि अब अप्रैल के एफपीपीएएस की जब गणना होगी तो मई का बिजली बिल जब जून में आएगा, तो इसमें 8 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
बिजली कंपनियों ने मार्च में की थी 1.65 फीसदी की बढ़ोत्तरी: बिजली कंपनियों ने 49,530 करोड़ राजस्व की जरूरत बताते हुए बिजली की दरों में एकमुश्त 3.20 फीसदी का इजाफा किए जाने के लिए याचिका दायर की थी. कंपनी ने 1537 करोड़ रुपए की घाटे की भरपाई के लिए बिजली के टैरिफ में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था. इसके आधार पर विद्युत नियामक आयोग ने 1.65 फीसदी बढ़ोत्तरी को स्वीकार किया था. इसके बाद 01 अप्रैल से बिजली बिल में 1.65 फीसदी की बढ़ोत्तरी पहले ही हो चुकी है. अब एफपीपीएएस के नाम पर हर महीने 6 से 7 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी. यानी आपका बिल पहले के मुकावले 8 से 10 फीसदी तक ज्यादा आएगा.