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उपचुनाव में बुजुर्ग मतदाताओं ने बढ़ाई उम्मीदवारों की टेंशन, कोरोना काल में वोटिंग घटने की सता रही चिंता

मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है. जैसे- जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है. प्रत्याशियों की चिंता भी बढ़ती जा रही है. कोरोना काल में मतदाताओं के लिए जोखिम बढ़ गया है. ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा उन बुजुर्ग मतदाताओं के सामने है, जिनकी उम्र 60 से 79 साल की है. इस स्थिति को देखते हुए वोटिंग में गिरावट की आशंका भी बनी हुआ है.

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Published : Oct 30, 2020, 6:41 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए एक-एक वोट कीमती है. 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान और 10 नवंबर को मतगणना होनी है, लेकिन कोरोना काल में मतदाताओं के लिए जोखिम बढ़ गया है. सबसे ज्यादा खतरा उन बुजुर्ग मतदाताओं के सामने है, जिनकी उम्र 60 से 79 साल की है. 28 विधानसभा सीटों पर ऐसे मतदाताओं की संख्या 6 लाख 36 हजार 519 है. इन मतदाताओं को मतदान के दौरान जोखिम ज्यादा रहेगा. इस स्थिति को देखते हुए वोटिंग परसेंटेज में गिरावट की आशंका भी बनी हुई है, जिसने राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है. पार्टियों की चिंता उन 7 सीटों पर ज्यादा है, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर कम था.

प्रत्याशी की बढ़ी चिंता

इन सीटों पर हैं सबसे ज्यादा बुजुर्ग मतदाता
28 विधानसभा सीटों में 60 से 69 साल के सबसे ज्यादा मतदाता ग्वालियर पूर्व सीट पर हैं. यहां ऐसे मतदाताओं की संख्या 25,641 और 70 से 79 साल के 11,035 मतदाता हैं. इस तरह यहां 36 हजार 590 बुजुर्ग मतदाता हैं. इस सीट पर 2018 में जीत हार का अंतर सिर्फ 17,819 वोटों का रहा था. इस बार के उपचुनाव में बीजेपी के मुन्नालाल गोयल और कांग्रेस के सतीश सिकरवार पार्टी बदलकर चुनाव मैदान में हैं, लेकिन कोरोना के डर ने इनके राजनीतिक भविष्य पर भी संकट बढ़ा दिया है.

मेहगांव में 60 से 79 साल के कुल 32 हजार 448 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 21 हजार 730 और 70 से 79 साल के 10,718 वोटर हैं.
सुवासरा में 60 से 79 साल के कुल 32,590 वोटर हैं. इसमें 60 से 69 के 21,991 और 70 से 79 साल के 10,559 मतदाता हैं.
ग्वालियर में 60 से 79 साल के कुल 31,947 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 22,454 वहीं 70 से 79 साल के 9,493 मतदाता हैं.
ब्यावरा में 60 से 79 साल के कुल 28,243 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 19,019 और 70 से 79 साल के 9,224 हैं.
सांवेर विधानसभा में 60 से 79 साल के कुल 27 हजार 690 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 19,111 और 70 से 79 साल के 8,579 मतदाता हैं.

सिर्फ 80 से ज्यादा उम्र के मतदाताओं को डाक मतपत्र की सुविधा
कोरोना संक्रमण को देखते हुए 80 साल से ज्यादा उम्र के मतदाताओं को ही डाक मतपत्र से मतदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं. ऐसे में मतदाताओं को मतदान के लिए मतदान केन्द्र तक आने की जरूरत नहीं हैं. प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर ऐसे मतदाताओं की संख्या 71 हजार 332 है. यह पहला मौका है, जब बुजुर्ग मतदाताओं को डाक मतपत्र से मतदान की सुविधा दी गई है. कोरोना गाडइलाइन मुताबिक 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है. हालांकि चुनाव आयोग ने मतदान केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम इंतजाम किए हैं. इस मामले में डॉक्टर जेपी पालीवाल का कहना है कि, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए इनके कोरोना संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहती है. उपचुनाव के दौरान बुजुर्ग मतदाताओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क-सैनिटाइजर के उपयोग के साथ मतदान कराया जाए, तो इन्हें कोरोना से बचाना आसान होगा. वे कहते हैं कि, प्रशासन चाहे तो ऐसे मतदाताओं की वोटिंग के लिए 2 घंटे का समय निर्धारित कर सकता है.

इन सीटों पर चुनौती बनेंगे बुजुर्ग
कोरोना की वजह से बुजुर्गों के वोटिंग परसेंटेज कम होने की आशंका ने बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों को परेशानी में डाल दिया है. खासतौर से उन 7 सीटों पर जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर बमुश्किल 7 हजार वोटों तक का था. इनमें सुवासरा, ब्यावरा, नेपानगर, मुंगावली, सांवेर, अंबाह और पोहरी सीट शामिल हैं. इनमें से ब्यावरा को छोड़ बाकी सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते थे, जो इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

सीट जीत-हार का अंतर60 से 79 साल के वोट
सुवासरा35032590
ब्यावरा82628243
नेपानगर 126422282
मुंगावली 213618377
सांवेर 294527690
अंबाह 7547 20908
पोहरी 791822338


चुनाव आयोग ने किए इंतजाम

कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से उपचुनाव में चुनाव का खर्चा बढ़ गया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय चुनावी तैयारियों के लिए सरकार से अभी तक 80 करोड़ रुपए ले चुका है. कुल 9,361 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर कोरोना से बचाव के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं.

  • मतदान के एक दिन पहले पोलिंग स्टेशन का सेनेटाइजेशन किया जाएगा.
  • मतदान केन्द्र में प्रवेश द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था होगी.
  • 7 हजार से ज्यादा मतदान केन्द्रों पर पैरामेडिकल स्टॉफ और आशा कर्मी मौजूद रहेंगी.
  • पोलिंग बूथ पर बिना मास्क के आने वाले मतदाताओं के लिए मास्क रखे जाएंगे

भोपाल। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए एक-एक वोट कीमती है. 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान और 10 नवंबर को मतगणना होनी है, लेकिन कोरोना काल में मतदाताओं के लिए जोखिम बढ़ गया है. सबसे ज्यादा खतरा उन बुजुर्ग मतदाताओं के सामने है, जिनकी उम्र 60 से 79 साल की है. 28 विधानसभा सीटों पर ऐसे मतदाताओं की संख्या 6 लाख 36 हजार 519 है. इन मतदाताओं को मतदान के दौरान जोखिम ज्यादा रहेगा. इस स्थिति को देखते हुए वोटिंग परसेंटेज में गिरावट की आशंका भी बनी हुई है, जिसने राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है. पार्टियों की चिंता उन 7 सीटों पर ज्यादा है, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर कम था.

प्रत्याशी की बढ़ी चिंता

इन सीटों पर हैं सबसे ज्यादा बुजुर्ग मतदाता
28 विधानसभा सीटों में 60 से 69 साल के सबसे ज्यादा मतदाता ग्वालियर पूर्व सीट पर हैं. यहां ऐसे मतदाताओं की संख्या 25,641 और 70 से 79 साल के 11,035 मतदाता हैं. इस तरह यहां 36 हजार 590 बुजुर्ग मतदाता हैं. इस सीट पर 2018 में जीत हार का अंतर सिर्फ 17,819 वोटों का रहा था. इस बार के उपचुनाव में बीजेपी के मुन्नालाल गोयल और कांग्रेस के सतीश सिकरवार पार्टी बदलकर चुनाव मैदान में हैं, लेकिन कोरोना के डर ने इनके राजनीतिक भविष्य पर भी संकट बढ़ा दिया है.

मेहगांव में 60 से 79 साल के कुल 32 हजार 448 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 21 हजार 730 और 70 से 79 साल के 10,718 वोटर हैं.
सुवासरा में 60 से 79 साल के कुल 32,590 वोटर हैं. इसमें 60 से 69 के 21,991 और 70 से 79 साल के 10,559 मतदाता हैं.
ग्वालियर में 60 से 79 साल के कुल 31,947 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 22,454 वहीं 70 से 79 साल के 9,493 मतदाता हैं.
ब्यावरा में 60 से 79 साल के कुल 28,243 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 19,019 और 70 से 79 साल के 9,224 हैं.
सांवेर विधानसभा में 60 से 79 साल के कुल 27 हजार 690 मतदाता हैं. इनमें 60 से 69 साल के 19,111 और 70 से 79 साल के 8,579 मतदाता हैं.

सिर्फ 80 से ज्यादा उम्र के मतदाताओं को डाक मतपत्र की सुविधा
कोरोना संक्रमण को देखते हुए 80 साल से ज्यादा उम्र के मतदाताओं को ही डाक मतपत्र से मतदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं. ऐसे में मतदाताओं को मतदान के लिए मतदान केन्द्र तक आने की जरूरत नहीं हैं. प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर ऐसे मतदाताओं की संख्या 71 हजार 332 है. यह पहला मौका है, जब बुजुर्ग मतदाताओं को डाक मतपत्र से मतदान की सुविधा दी गई है. कोरोना गाडइलाइन मुताबिक 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है. हालांकि चुनाव आयोग ने मतदान केन्द्रों पर कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम इंतजाम किए हैं. इस मामले में डॉक्टर जेपी पालीवाल का कहना है कि, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए इनके कोरोना संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहती है. उपचुनाव के दौरान बुजुर्ग मतदाताओं को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क-सैनिटाइजर के उपयोग के साथ मतदान कराया जाए, तो इन्हें कोरोना से बचाना आसान होगा. वे कहते हैं कि, प्रशासन चाहे तो ऐसे मतदाताओं की वोटिंग के लिए 2 घंटे का समय निर्धारित कर सकता है.

इन सीटों पर चुनौती बनेंगे बुजुर्ग
कोरोना की वजह से बुजुर्गों के वोटिंग परसेंटेज कम होने की आशंका ने बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों को परेशानी में डाल दिया है. खासतौर से उन 7 सीटों पर जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर बमुश्किल 7 हजार वोटों तक का था. इनमें सुवासरा, ब्यावरा, नेपानगर, मुंगावली, सांवेर, अंबाह और पोहरी सीट शामिल हैं. इनमें से ब्यावरा को छोड़ बाकी सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते थे, जो इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

सीट जीत-हार का अंतर60 से 79 साल के वोट
सुवासरा35032590
ब्यावरा82628243
नेपानगर 126422282
मुंगावली 213618377
सांवेर 294527690
अंबाह 7547 20908
पोहरी 791822338


चुनाव आयोग ने किए इंतजाम

कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से उपचुनाव में चुनाव का खर्चा बढ़ गया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय चुनावी तैयारियों के लिए सरकार से अभी तक 80 करोड़ रुपए ले चुका है. कुल 9,361 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर कोरोना से बचाव के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं.

  • मतदान के एक दिन पहले पोलिंग स्टेशन का सेनेटाइजेशन किया जाएगा.
  • मतदान केन्द्र में प्रवेश द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था होगी.
  • 7 हजार से ज्यादा मतदान केन्द्रों पर पैरामेडिकल स्टॉफ और आशा कर्मी मौजूद रहेंगी.
  • पोलिंग बूथ पर बिना मास्क के आने वाले मतदाताओं के लिए मास्क रखे जाएंगे
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