ETV Bharat / state

इस बार सादगी से होगा चांद का दीदार, ताकि कोरोना को हराना हो जाए आसान - MP news

ईद पर नए कपड़े और खरीददारी नहीं करने को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि ईद पर बाजार खुलेंगे तो भीड़ होगी, सोशल डिस्टेंसिंग टूटेगी, इससे बेहतर है कि इस साल बाजार न जाया जाए और सादगी से इस ईद मनाई जाए.

eid will be celebrate in a simple way
चांद का दीदार सादगी से इस बार
author img

By

Published : Apr 28, 2020, 6:04 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 6:20 PM IST

भोपाल। कोरोना संकट से जूझ रही राजधानी भोपाल के मुस्लिम समाज ने इस बार सादगी से ईद मनाने का मन बना लिया है कि ईद पर नए कपड़े नहीं बनाएंगे. फिजूल की खरीदारी नहीं करेंगे. इसकी वजह देश में कोरोना वायरस का संकट और लॉकडाउन के बढ़ने की संभावना को बताया जा रहा है, लोगों का कहना है कि जो थोड़ी बहुत बचत है, उसे बचाकर रखना ही इस वक्त का सबसे सही फैसला है.

चांद का दीदार सादगी से इस बार

मुस्लिम समाज इस बार ईद पर नए कपड़े नहीं पहनेगा और फिजूल की खरीदारी भी नहीं करेगा, ये कहना है भोपाल निवासी जावेद खान का उन्होंने कहा है कि एक मध्यमवर्गीय परिवार को ऐसे वक्त में पैसे की बहुत किल्लत होती है. ज्यादा से ज्यादा 10-15 दिन की सेविंग होती है. लॉकडाउन कब तक चलेगा मालूम नहीं. हमे फिजूलखर्ची से बचना होगा क्योंकि आने वाला वक्त कहकर नहीं आएगा कि वह किस तरह का होगा.

जावेद का कहना है कि फिजूलखर्ची न कर ईद सादगी से मनाएंगे, नए कपड़ों की जगह पुराने कपड़ों को साफ-सुथरा कर पहनेंगे. सोशल वर्कर सबा खान ने कहा कि देश में महामारी के चलते तकलीफ का माहौल है, इस तकलीफ के माहौल में ईद की खुशी को अलग से जाहिर करने का कोई मतलब नहीं है. इस बार खरीददारी कर इसे उत्सव की शक्ल नहीं देना चाहिए. हम इस बार ईद सादगी से मनाना चाहते हैं.

बुजुर्ग मोहम्मद हनीफ खान कहते हैं, पूरा भारत इस वक्त मौत के घेरे में है, कोई गारंटी नहीं लॉकडाउन कब खुलेगा, 6 महीने भी बढ़ सकता है. अभी भी लोग भूख, परेशानियों और बीमारियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में नए कपड़े वगैरह का बिल्कुल ख्याल न रखें. हनीफ कहते हैं कि जब नमाज ही सही से नहीं पढ़ पा रहे हैं, मस्जिदें भी बंद हैं. लॉकडाउन है तो ये पैसा आगे काम आएगा, इसे बचाकर रखें.

भोपाल। कोरोना संकट से जूझ रही राजधानी भोपाल के मुस्लिम समाज ने इस बार सादगी से ईद मनाने का मन बना लिया है कि ईद पर नए कपड़े नहीं बनाएंगे. फिजूल की खरीदारी नहीं करेंगे. इसकी वजह देश में कोरोना वायरस का संकट और लॉकडाउन के बढ़ने की संभावना को बताया जा रहा है, लोगों का कहना है कि जो थोड़ी बहुत बचत है, उसे बचाकर रखना ही इस वक्त का सबसे सही फैसला है.

चांद का दीदार सादगी से इस बार

मुस्लिम समाज इस बार ईद पर नए कपड़े नहीं पहनेगा और फिजूल की खरीदारी भी नहीं करेगा, ये कहना है भोपाल निवासी जावेद खान का उन्होंने कहा है कि एक मध्यमवर्गीय परिवार को ऐसे वक्त में पैसे की बहुत किल्लत होती है. ज्यादा से ज्यादा 10-15 दिन की सेविंग होती है. लॉकडाउन कब तक चलेगा मालूम नहीं. हमे फिजूलखर्ची से बचना होगा क्योंकि आने वाला वक्त कहकर नहीं आएगा कि वह किस तरह का होगा.

जावेद का कहना है कि फिजूलखर्ची न कर ईद सादगी से मनाएंगे, नए कपड़ों की जगह पुराने कपड़ों को साफ-सुथरा कर पहनेंगे. सोशल वर्कर सबा खान ने कहा कि देश में महामारी के चलते तकलीफ का माहौल है, इस तकलीफ के माहौल में ईद की खुशी को अलग से जाहिर करने का कोई मतलब नहीं है. इस बार खरीददारी कर इसे उत्सव की शक्ल नहीं देना चाहिए. हम इस बार ईद सादगी से मनाना चाहते हैं.

बुजुर्ग मोहम्मद हनीफ खान कहते हैं, पूरा भारत इस वक्त मौत के घेरे में है, कोई गारंटी नहीं लॉकडाउन कब खुलेगा, 6 महीने भी बढ़ सकता है. अभी भी लोग भूख, परेशानियों और बीमारियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में नए कपड़े वगैरह का बिल्कुल ख्याल न रखें. हनीफ कहते हैं कि जब नमाज ही सही से नहीं पढ़ पा रहे हैं, मस्जिदें भी बंद हैं. लॉकडाउन है तो ये पैसा आगे काम आएगा, इसे बचाकर रखें.

Last Updated : Apr 28, 2020, 6:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.