भोपाल। सोयाबीन (Soybean), गेहूं (Wheat) और धान (Paddy) के बाद अब बांस (Bamboo) मध्य प्रदेश (MP) की पहचान बनेगा. प्रदेश में बांस से जुड़े प्रोडक्ट बनाने के लिए पिछले 3 सालों में करीब 48 इंडस्ट्री (Industry) स्थापित हुई है. इसमें सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट देवास में ऑडिशन कंपनी ने करीब 600 करोड़ का किया है. यहां पार्टीशन बंबू बोर्ड से अलग-अलग प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं.
12 लाख से अधिक बांस खेतों में रोपे
उधर, बांस की बढ़ती डिमांड के चलते प्रदेश में बड़ी संख्या में किसानों द्वारा खेतों में अन्य फसलों के स्थान पर बांस लगाया जा रहा है. इस साल किसानों ने साढ़े 12 लाख बांस खेतों में रोपा है.
प्रदेश में पिछले 3 सालों में करीब 48 इंडस्ट्रीज स्थापित हुई हैं. दरअसल, प्रदेश में अगरबत्ती की काड़ी अभी तक दूसरे राज्यों और चीन से बुलाई जाती थी, लेकिन अब प्रदेश में ही अगरबत्ती काड़ी बनाने के लिए कई स्मॉल इंडस्ट्री (Small Industry) स्थापित हुई हैं. इसी तरह एक्टिवेटेड चारकोल, चारकोल, हस्तशिल्प से बने प्रोडक्ट, फर्नीचर बनाने का काम इन इंडस्ट्री में किया जा रहा है. इस दिशा में मध्यप्रदेश के देवास में पार्टीशन कंपनी ने बड़ा निवेश किया है. प्रदेश सरकार ने कंपनी को करीब 100 एकड़ जमीन आवंटित की है. यहां बांस से इंजीनियरिंग पार्टीशन बंबू बोर्ड बनाने का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.
बांस की डिमांड में वृद्धि
यहां बांस से कई तरह की फर्नीचर बनाए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश स्टेट बंबू मिशन के सीईओ डॉ यूके सुबुद्धि कहते हैं कि प्रदेश में बांस से जुड़े उद्योग आने से बांस की डिमांड तेजी से बढ़ी है. यही वजह है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान खेतों में बांस लगाने के लिए आगे आ रहे हैं.
प्रदेश में हर साल 6000 हेक्टेयर में बांस लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस साल करीब साढे 7 हजार हेक्टेयर भूमि में बांस के पौधे रोपे गए हैं. प्रदेश के किसानों ने करीब 12.50 लाख बांस के पौधे अपने खेतों में लगाए हैं. इसी तरह पिछले साल 14.50 लाख बांस के पौधे किसानों ने रोपे थे.
पीएम के सुझाव पर विशेषज्ञों ने जताई सहमति, कहा- 20 साल का सब्र हो तो चंदन बना देगा करोड़पति
बांस से एथेनॉल बनाने का प्रयास
मध्य प्रदेश स्टेट बंबू मिशन के सीईओ डॉ यूके सुबुद्धि कहते हैं कि प्रदेश में स्थापित हो रहे उद्योगों की जरूरत के हिसाब से अभी बांस की उपलब्धता बेहद ही कम है. यही वजह है कि कई उद्योग बांस रोपने के साथ ही किसानों के साथ लंबे समय का अनुबंध तक कर रहे हैं. उनके मुताबिक प्रदेश में एथेनॉल पॉलिसी लागू होने के बाद अब प्रदेश में बांस से एथेनॉल बनाने को लेकर भी प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए उद्योगों से बात की जा रही है.
बांस के पौधे पर 120 रु का अनुदान
बांस रोकने के लिए केंद्र सरकार एक बांस के पौधे पर 120 रु का अनुदान देती है. वहीं बांस से जुड़े उद्योग स्थापित करने पर भी 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जा रहा है.