भोपाल। कमलनाथ सरकार 20 फरवरी को अपना पहला बजट पेश करने जा रही है. हालांकि यह पूर्ण बजट न होकर केवल लेखानुदान होगा, जिसकी कार्यावधि महज चार महीने की होगी. इसके बाद कमलनाथ सरकार अपना पूर्ण बजट पेश करेगी.
आम तौर पर लेखानुदान चुनाव से ठीक पहले पेश किया जाता है, इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि जब सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा हो, तो वह अगले साल के लिये कोई नयी घोषणा नहीं कर सकती है. हालांकि मध्यप्रदेश में हाल ही में चुनाव हुये हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि देश में लोकसभा चुनाव है जिसके चलते कमलनाथ सरकार अभी केवल लेखानुदान बजट ला रही है. आप सोच रहे होंगे कि आकिर लेखानुदान है क्या और किस तरह से ये बजट से अलग होता है. तो आइए आपको बताते हैं क्या होता है लेखानुदान-
- लेखानुदान में सरकार कोई भी नया फैसला नहीं करती है, इसमें केवल राजस्व और खर्च का लेखा-जोखा होता है.
- लेखानुदान पूरे साल के लिए नहीं बल्कि दो-तीन महीने की छोटी अवधि के लिए होता है.
- लेखानुदान में कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी जरूरतों के लिये राजकोष से धन लेने का प्रस्ताव पटल पर रखा जाता है.
- सरकार को राजकोष से धन लेने के लिये सदन की अनुमति लेना जरुरी होता है, इसलिए बजट ना लाने पर सरकार को लेखानुदान लाना ही पड़ता है
- लेखानुदान बजट में कर दरों में बदलाव नहीं किये जाते हैं.
- जरुरी नहीं है कि लेखानुदान बजट में जो घोषणा होती है, उसे पूर्ण बजट में भी लागू किया जाये.
फिलहाल प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव से पहले 89 हजार करोड़ का लेखानुदान ला रही है, जिसमें उसका फोकस किसानों पर रहने की उम्मीद जताई जा रही है, खुद प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोत भी इस बात के संकेत दे चुके हैं.हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले लेखानुदान के रूप में आने वाला कमलनाथ सरकार का पहला बजट लोक-लुभावन होने की पूरी उम्मीद है क्योंकि विधानसभा चुनाव भले ही हो चुके हों, लेकिन चुनावी मैदान अभी खाली नहीं हुआ है.