भोपाल। शनिवार का दिन शनि देव की भक्ति को समर्पित होता है.पीपल के वृक्ष को जल डालने और बजरंगबली की अराधना से संकट टल जाते हैं. नौ ग्रहों में श्रेष्ठ का वरदान पाने वाले शनि देव दंडाधिकारी कहलाते हैं. यानी जीवन में अगर किसी व्यक्ति ने कुछ गलत किया तो उसका दंड शनि देव अवश्य देते हैं. अकसर शनिदेव को भयाक्रांत होकर लोग पूजते हैं. उन्हें संतुष्ट करने के टोटकों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है लेकिन जानकार मानते हैं कि ऐसा नहीं है क्योंकि सूर्य पुत्र शनिदेव कर्म को महत्व देते हैं, मतलब कर्म करें और फल की इच्छा शनिदेव पर छोड़ दें.
- शनिदेव की उपासना से कठिन परिश्रम, अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उन्हें ही अपने जीवन में विघ्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
- शनिदेव कर्म प्रधान देवता हैं और उनका न्याय निष्पक्ष होता है. शनिदेव को पूरे जगत का असाधारण देव माना जाता है.
- शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है. शनिदेव को मंदा, कपिलाक्क्षा और सौरी नाम से भी जाना जाता है.
- शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त हैं. भगवान शिव की अथक उपासना के बाद ही उन्हें परम वरदान मिला और उन्होंने नवग्रहों में स्थान बनाया. शायद यही वजह है कि शनिदेव कठिन परिश्नम को अनदेखा नहीं करते.
- हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था. हनुमान जी की उपासना करने वाले जातकों को शनिदेव कभी नहीं सताते.
- शनिदेव की गति मंद है. इसी कारण एक राशि में वह करीब साढ़े सात साल तक रहते हैं. शनिदेव की उपासना से रोग मुक्त जीवन तथा आयु में वृद्धि होती है.
- शनिवार को पीपल पर जल और तेल अर्पित करने और श्वान को भोजन कराने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.