भोपाल। एक ओर सरकार प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर फिल्मों को लेकर आए दिन विवाद होते रहते हैं. ताजा मामला वेब सीरीज आश्रम-3 की शूटिंग के दौरान तोड़फोड़ का है. इसके पहले भी कई विवाद हो चुके हैं. ऐसे में सरकार का फिल्म सिटी बनाने का सपना अधर में लटकता नजर आ रहा है. वहीं थिएटर और फिल्मी दुनिया से जुड़े कई कलाकार मानते हैं कि प्रकाश झा को हिंदू भावनाओं का ध्यान रखते हुए फिल्म का नाम परिवर्तित करना चाहिए. भूतनाथ फिल्म के डायरेक्टर विवेक शर्मा ने कहा कि हिंदू धर्म का मजाक न बनाएं फिल्म डायरेक्टर.
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आश्रम नाम हिंदू धर्म को आहत करता है
प्रकाश झा अपनी वेब सीरीज आश्रम-3 की शूटिंग भोपाल में कर रहे हैं, इस दौरान फिल्म के नाम को लेकर हिंदू संगठन बजरंग दल ने आपत्ति जताते हुए शूटिंग के सेट पर तोड़फोड़ की, इसको लेकर अब विवाद बढ़ गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि प्रदेश में शूटिंग के सरकार के सपने के प्रयास का क्या होगा. इसके लिए शूटिंग हब बनाने की कोशिशें जारी हैं, ऐसे में शूटिंग विवाद बड़ा रोड़ा बन सकता है. कई कलाकार और थिएटर आर्टिस्ट भी मानते हैं कि फिल्मों को लेकर भले ही माहौल बना है, लेकिन कलाकारों की सुरक्षा और यूनिट की सुरक्षा की जिम्मेदारी पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. कुछ कलाकारों का मानना है कि प्रकाश झा ने फिल्म को हिट कराने के लिए ऐसा किया है, ऐसे में उन्हें इस फिल्म का नाम बदलना चाहिए क्योंकि यह नाम हिंदू भावनाओं को आहत करता है.
आश्रम वेब सीरीज का नाम बदला जाए
वरिष्ठ रंगकर्मी और फिल्म कलाकार संजय मेहता कहते हैं कि हिंदू भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रकाश झा को इस फिल्म का नाम परिवर्तित करना चाहिए क्योंकि इससे पहले भी प्रकाश झा लगातार कई बार फिल्म को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी पैदा कर चुके हैं, ऐसे में यह बेहतर होगा कि फिल्म का नाम परिवर्तित किया जाए. उधर अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म भूतनाथ के डायरेक्टर विवेक शर्मा जोकि जबलपुर के रहने वाले हैं, उनका कहना है कि डायरेक्टर फिल्म तो बनाएं, लेकिन इसका मजाक न बनाएं, हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने में लगे हैं, जबकि वरिष्ठ रंगकर्मी केजी त्रिवेदी का कहना है की प्रदेश में फिल्मों को लेकर एक ओर सरकार बेहतर प्रयास कर रही है, इस तरह से विवाद उत्पन्न होने से फिल्म और कलाकार दोनों की छवि पर असर पड़ता है. इस ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
फिल्मों को लेकर एमपी में कब-कब हुआ विवाद
इससे पहले प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल-2 और और राजनीति पर भी विवाद हुआ था. फिल्म राजनीति में भोपाल सहित अन्य जगहों के दृश्यों के नाम बदलने को लेकर विवाद हुआ था, जबकि प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म गंगाजल-2 में होशंगाबाद के नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर रात को महाआरती के दृश्य के दौरान प्रोडक्शन यूनिट ने नगर पालिका को शुल्क नहीं दिया था, जिस पर विवाद हुआ था. इसको लेकर तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने यह कहकर विवाद किया था कि प्रकाश झा ने शूटिंग के दौरान नगर पालिका को घाट का शुल्क नहीं दिया है.
अक्षय की फिल्म में विवाद
अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म OMG-2 की शूटिंग उज्जैन में चल रही है, इसको लेकर भी विवाद उत्पन्न हो गया है, एक ओर महंतों ने महाकाल मंदिर परिसर में शूटिंग का विरोध किया है तो वहीं पहले दिन शूटिंग के लिए अक्षय कुमार जिस गाड़ी में बैठकर गए थे, उस पर काले रंग की फिल्म शीशों पर चढ़ी थी, जबकि महाकाल मंदिर नियमों के अनुसार गाड़ियों में पारदर्शिता वाले शीशे होने चाहिए, ताकि उसमें बैठा व्यक्ति साफ दिख सके. यह प्रतिबंध मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए लगाया गया है. इसके बाद विवाद बढ़ा तो उज्जैन एसपी अमरेंद्र सिंह ने नियमानुसार कार्रवाई की बात कही.
टॉयलेट एक प्रेम कथा की शूटिंग पर विवाद
इससे पहले अक्षय कुमार की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा की शूटिंग भी होशंगाबाद के सेठानी घाट पर हुई थी, जिसमें गानों के दृश्य फिल्माए गए थे. ऐसे में घाट को गंदा करने और पर्यावरण के खिलाफ गुलाल और पॉलिथीन आदि का उपयोग करने पर विवाद हुआ था, जिसके बाद यूनिट को वहां सफाई करवाने के बाद उसका हर्जाना भी देना पड़ा था. स्थानीय महिलाएं अक्षय कुमार को देखने के लिए पहुंची थी, ऐसे में अक्षय कुमार के साथ मौजूद बाउंसर ने उन महिलाओं के साथ बदसलूकी की थी, जिसके बाद हंगामा हुआ था. बाद में डायरेक्टर को माइक पर माफी मांगनी पड़ी, तब मामला शांत हुआ था.
फिल्म शेरनी की शूटिंग पर विवाद
मध्यप्रदेश के बालाघाट में शूट हुई फिल्म शेरनी की शूटिंग के दौरान भी विवाद हुआ था, फिल्म की मुख्य अभिनेत्री विद्या बालन को प्रदेश के वन मंत्री ने डिनर की पेशकश की थी, अभिनेत्री ने डिनर का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, जिस पर मंत्री ने शूटिंग रुकवा दी थी. इसके बाद मंत्री का बयान आया था कि विद्या बालन से मुलाकात की बात सही है, लेकिन डिनर की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई थी. फिल्म यूनिट की गाड़ियों को रोकने के सवाल पर कहा था कि शूटिंग के लिए सिर्फ दो जनरेटर ले जाने की अनुमति थी, उस दिन अलग अलग गाड़ियों पर लगे कई जनरेटर टाइगर रिजर्व में ले जाए जा रहे थे, इसलिए डीएफओ ने उन्हें प्रवेश से रोका था.
प्रदेश के सपनों का क्या होगा?
ऐसे में साफ है कि मध्यप्रदेश को फिल्म सिटी बनाने के सपने पर संशय लग रहा है, कई कलाकार पहले भी यहां सुरक्षा की मांग को लेकर फिल्म बनाने से मना कर चुके हैं. शूटिंग पर पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा का बयान ने कहा है कि प्रदेश सरकार फिल्म सिटी बनाने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है, फिल्म डायरेक्टर फिल्में भी प्रदेश में बना रहे हैं, लेकिन हिंदू भावनाओं का भी ध्यान रखें डायरेक्टर. हमारा नाम को लेकर विरोध है. गांधी जी भी तो रुके थे आश्रम में.