भोपाल. मध्यप्रदेश के कॉलेजों में लंबे समय बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव (Students union election) कराए जा सकते थे. उच्च शिक्षा विभाग ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी हैं. इसमें रोचक तथ्य यह है कि प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव (Dr.Mohan Yadav) ने शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहते इसका प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भिजवाया था. इसलिए प्रदेश के कॉलेजों में इस बार प्रत्यक्ष प्रणाली (Direct election system) से चुनाव कराए जाना निश्चित माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि उच्च शिक्षा विभाग चुनाव का 15 दिन का कार्यक्रम तैयार कर रहा है.
छात्र राजनीति से ही निकले हैं प्रदेश के तमाम दिग्गज
मध्यप्रदेश के कई बड़े नेताओं ने छात्र राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरूआत की थी. प्रदेश की राजनीति में छात्र राजनीति से निकले नेताओं का ही बोलबाला है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से की थी. वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए. इसके अलावा चार बार के जबलपुर सांसद और मोहन सरकार में मंत्री राकेश सिंह, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित कई नेताओं ने छात्र राजनीति की और यहीं से प्रदेश व देश की राजनीति में कदम रखा.
एबीवीपी के आंदोलन के बाद फैसला
प्रदेश के छात्र संघ चुनावों में हुई हिंसा और जानलेवा घटनाओं के चलते कॉलेजों में प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनावों को बंद करा दिया गया था. साल 2003 में छात्र संघ चुनावों का स्वरूप बदल दिया गया. 2009 और 2010 में मेरिट के आधार पर चुनाव कराए गए. 2011 के चुनाव में भी मेरिट के आधार पर ही चुनाव कराए गए. हालांकि, इसे लेकर छात्र संगठनों ने आंदोलन किया. 2016 में एबीवीपी के आंदोलन के बाद सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ का चुनाव कराने का फैसला किया, लेकिन बाद में सरकार ने इस पर अमल नहीं किया।.
मोहन यादव ने सौंपा था प्रस्ताव
डॉ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के लिए पत्र लिखा था. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा भी की थी, लेकिन सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया था. अब इस प्रस्ताव पर शासन ने काम करना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि इस साल अक्टूबर माह में कॉलेजों में चुनाव कराए जा सकते हैं. प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव कराए जाने का अर्थ है कि छात्र संघ के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों को सीधे वोट से चुना जा सकेगा.