भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर पत्र लिखा है. इस पत्र में जहां उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार द्वारा बनाए गए रामालय ट्रस्ट को जारी रखने की मांग की है. वहीं उन्होंने इस ट्रस्ट में कुछ लोगों के नाम पर आपत्ति जताई है. साथ ही उन्होंने कहा है कि इस ट्रस्ट में किसी शंकराचार्य पीठ के प्रमुख को अध्यक्ष बनाया जाना था. दिग्विजय सिंह ने ट्रस्ट में सरकारी अधिकारियों के होने पर भी आपत्ति जताई है.
इसके अलावा भगवान राम की 200 मीटर ऊंची मूर्ति बनाए जाने पर भी उन्होंने एतराज जताया है. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी रामालय ट्रस्ट को देनी चाहिए. भले ही राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर विवाद समाप्त करने की कोशिश की हो,लेकिन अब ट्रस्ट को लेकर विवाद सामने आ रहा हैं.
राम मंदिर बनने के फैसले पर किसी को नहीं हैं आपत्ति
दिग्विजय ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में भगवान राम के मंदिर बनने के फैसले पर किसी को आपत्ति नहीं है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट का गठन किया था, जिसमें केवल धर्म आचार्यों को रखा गया था और किसी राजनीतिक व्यक्ति का मनोनयन नहीं किया गया था. उस समय मुझे ट्रस्ट को सहयोग करने के लिए कहा गया था और मैंने भरपूर सहयोग किया था.
प्रमाणित जगतगुरु शंकराचार्य को नहीं मिला ट्रस्ट में स्थान
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जब पहले ही भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट मौजूद है तो अलग से ट्रस्ट बनाने का कोई औचित्य नहीं है. जो अभी ट्रस्ट बनाया गया है, उसमें किसी प्रमाणित जगतगुरु शंकराचार्य को स्थान नहीं दिया गया है. वासुदेवानंद जी वो न्यायालय द्वारा पृथक किए गए हैं और उनके बारे में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज जी ने जो वक्तव्य दिया है, वो संलग्न है. देश में सनातन धर्म के पांच शंकराचार्य के पीठ हैं, उनमें से ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना उपयुक्त होगा,जो नहीं किया गया है.
करोड़ों लोगों ने लिया था भाग
उन्होंने ट्रस्ट में बाबरी मस्जिद प्रकरण के आरोपियों को मनोनयन करने पर भी चिंता जताई है. दिग्विजय सिंह ने चंपत राय (बीएचपी के प्रांतीय उपाध्यक्ष)अनिल मिश्रा(आरएसएस के प्रांत कार्यवाहक) कामेश्वर चौपाल (बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता) गोविंद देव गिरि (संघ के पूर्व प्रचारक) के नाम पर ऐतराज जताया है. दिग्विजय सिंह ने इस ट्रस्ट में सरकारी अधिकारियों के मनोनयन पर भी एतराज जताया है. इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भगवान रामचंद्र के मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन में करोड़ों लोगों ने भाग लिया था. साथ ही भारी मात्रा में चंदा दिया था. इसका हिसाब आज तक जनता के सामने नहीं रखा गया है.
RSS नहीं मानती राजा राम को भगवान
जब आयकर विभाग ने नोटिस दिया था, तो नोटिस देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई थी. जिन करोड़ों दानदाताओं ने मंदिर निर्माण के लिए दान दिया है, उसका 28 वर्षों का ब्याज सहित हिसाब उन्हें मिलना चाहिए. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि आरएसएस भगवान राम को भगवान का अवतार नहीं मानती, उन्हें मर्यादा पुरुष मानती है और उनका स्मारक बनाना चाहती है. सनातन धर्म में भगवान राम भगवान के अवतार हैं, ये करोड़ों लोगों की आस्था है.
मूर्ति बनाना सनातन धर्म की परंपराओं के विपरीत
वहीं उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 200 मीटर ऊंची भगवान राम की मूर्ति बनाने के ऐलान पर कहा है कि ये सनातन धर्म की परंपराओं के विपरीत है. अपने पत्र के अंत में दिग्विजय सिंह ने कहा है कि रामालय ट्रस्ट ने कहा है कि वो मंदिर निर्माण के लिए एक भी पैसा सरकार से नहीं लेगी, इसलिए रामालय ट्रस्ट को ये काम सौंपा जाना चाहिए. आशा है कि आप सही निर्णय लेकर मुझे अवगत कराएंगे.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नहीं होनी चाहिए राजनीति
वहीं इस मामले में मप्र कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने सैकड़ों साल से चले आ रहे राम मंदिर विवाद को समाप्त किया है और सरकार को इस दिशा में निर्देश दिया है कि किस तरह ट्रस्ट बनाया जाए और राम मंदिर के मालिकाना हक को लेकर भी पूरा निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. अब सरकार का दायित्व बनता है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए इस पर राजनीति ना होने दें. ऐसे लोगों को ट्रस्ट में लिया जाए, जो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े ना हो. साथ ही धार्मिक व्यक्ति चाहे जगद्गुरु शंकराचार्य हो या अन्य किसी भी हिंदू धर्म के शंकराचार्य को ट्रस्ट में लेना चाहिए. क्योंकि हिंदू धर्म के लोगों की इनसे आस्था जुड़ी हुई है.
दिग्विजय सिंह के सुझावों पर सरकार को करना चाहिए अध्ययन
इस मामले पर राजनीति भी नहीं होना चाहिए, कुछ लोगों को देखा गया है, जो बीजेपी से परोक्ष और अपरोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, उन्हें ट्रस्ट में लिया गया है. इसलिए ऐसे लोगों को ट्रस्ट से दूर किया जाना चाहिए. दिग्विजय सिंह वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने जो सुझाव दिए हैं, उन सुझावों का सरकार को अध्ययन करना चाहिए और अमल करना चाहिए. राम मंदिर न्यास का विवाद हमेशा के लिए समाप्त हुआ है और सरकार को इस मामले में कोई गलती नहीं करना चाहिए.