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श्रम कानून में संशोधन पर दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल, सीएम को पत्र लिखकर उठाई चर्चा की मांग

भोपाल। प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने श्रम कानून में संशोधन को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक बार फिर से श्रम कानून की व्यवस्थाओं को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है.

Digvijay Singh raised questions on amendment in labor law in MP
दिग्विजय सिंह ने शिवराज को पत्र लिख श्रमिक संगठनों से चर्चा कर श्रम कानून में संशोधन करने की मांग उठाई है
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Published : May 9, 2020, 1:46 AM IST

भोपाल। प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने श्रम कानून में संशोधन को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक बार फिर से श्रम कानून की व्यवस्थाओं को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है.

Digvijay Singh raised questions on amendment in labor law in MP
दिग्विजय सिंह ने शिवराज को पत्र लिख श्रमिक संगठनों से चर्चा कर श्रम कानून में संशोधन करने की मांग उठाई है

उन्होंने इस पत्र के माध्यम से मांग की है कि श्रमिक संगठनों से पहले चर्चा की जाए, उसके बाद ही किसी प्रकार का संशोधन किया जाए क्योंकि जो संशोधन किया गया है, उससे श्रमिक वर्ग को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि प्रदेश के औद्योगिक विकास की दर को दोबारा गति देने के लिए आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी मीडिया के माध्यम से मुझे प्राप्त हुई है. उद्योगों को गति देने के बहाने आप उद्योगपतियों के हित में निर्णय लेकर मजदूर श्रमिक विरोधी नियमों को प्रदेश में लागू कर रहे हैं.

आपने उद्योगों कारखानों में काम करने वाले मजदूरों-श्रमिकों के लिए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने का फैसला कर लिया है. भले ही इस में मजदूरों की सहमति का प्रावधान रखा गया हो, लेकिन उद्योगपति और कारखाना मालिक इन नियमों की आड़ में उनका शोषण करेंगे.

यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानून के भी विरुद्ध होने के साथ साथ अमानवीय भी है. राज्य शासन के द्वारा ऐसा फैसला लेने से श्रमिक वर्ग के शोषण के साथ उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन भी होगा.

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि राज्य शासन का यह फैसला श्रमिकों के शोषण का एक नया रास्ता खोलेगा मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या मजदूर विरोधी ऐसे फैसले लेने से पहले आपने श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से कोई चर्चा की थी मुझे आश्चर्य है कि 6 मई 2020 को प्रदेश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों से तो चर्चा कर ली और उनकी इच्छा अनुसार नियम निर्देश बदलने का फैसला कर लिया गया.

लेकिन किसी भी श्रमिक संगठन से इतने बड़े फैसले को लेकर चर्चा करना भी उचित नहीं समझा और उनकी सहमति के बगैर उन पर यह अन्याय पूर्ण कानून लाद दिया गया .

भोपाल। प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने श्रम कानून में संशोधन को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक बार फिर से श्रम कानून की व्यवस्थाओं को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है.

Digvijay Singh raised questions on amendment in labor law in MP
दिग्विजय सिंह ने शिवराज को पत्र लिख श्रमिक संगठनों से चर्चा कर श्रम कानून में संशोधन करने की मांग उठाई है

उन्होंने इस पत्र के माध्यम से मांग की है कि श्रमिक संगठनों से पहले चर्चा की जाए, उसके बाद ही किसी प्रकार का संशोधन किया जाए क्योंकि जो संशोधन किया गया है, उससे श्रमिक वर्ग को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि प्रदेश के औद्योगिक विकास की दर को दोबारा गति देने के लिए आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी मीडिया के माध्यम से मुझे प्राप्त हुई है. उद्योगों को गति देने के बहाने आप उद्योगपतियों के हित में निर्णय लेकर मजदूर श्रमिक विरोधी नियमों को प्रदेश में लागू कर रहे हैं.

आपने उद्योगों कारखानों में काम करने वाले मजदूरों-श्रमिकों के लिए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने का फैसला कर लिया है. भले ही इस में मजदूरों की सहमति का प्रावधान रखा गया हो, लेकिन उद्योगपति और कारखाना मालिक इन नियमों की आड़ में उनका शोषण करेंगे.

यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानून के भी विरुद्ध होने के साथ साथ अमानवीय भी है. राज्य शासन के द्वारा ऐसा फैसला लेने से श्रमिक वर्ग के शोषण के साथ उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन भी होगा.

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि राज्य शासन का यह फैसला श्रमिकों के शोषण का एक नया रास्ता खोलेगा मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या मजदूर विरोधी ऐसे फैसले लेने से पहले आपने श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से कोई चर्चा की थी मुझे आश्चर्य है कि 6 मई 2020 को प्रदेश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों से तो चर्चा कर ली और उनकी इच्छा अनुसार नियम निर्देश बदलने का फैसला कर लिया गया.

लेकिन किसी भी श्रमिक संगठन से इतने बड़े फैसले को लेकर चर्चा करना भी उचित नहीं समझा और उनकी सहमति के बगैर उन पर यह अन्याय पूर्ण कानून लाद दिया गया .

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