भोपाल। अगर आपके पास वाहन है तो बिना कागजात के आप घर से बाहर जाने का जोखिम नहीं उठाएगें, लेकिन एमपी पुलिस गजब है. यहां पर डायल 100 के नाम से जो गाडियां चल रही हैं, उनका बीमा पिछले एक साल से नहीं किया गया है. लेकिन हैरानी की बात है कि जिन पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी है, उन्हीं को पता नहीं है कि दूसरों की सेवा के लिए चलाई जा रही डायल 100 के पास सड़क पर दौड़ने के कागजात भी नही हैं.
पिछले एक साल से डायल 100 के पास बीमा नहीं
जरा सोचिए कि आप घर से बाहर जा रहे हैं और चेकिंग पॉइट पर पुलिस वाले आपसे तमाम तरह के कागजात मांगता है और यदि उनमें से एक कागज भी कम हुआ तो आपको चालानी कार्रवाई से गुजरना होगा. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस डायल 100 को आप बुला रहे हैं. उसके पास तो खुद के कागजात ही नहीं हैं. इनका बीमा एक साल पहले खत्म हो चुका है. ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो पता चला कि डायल 100 के पास पिछले एक साल से बीमा नहीं है. अब मामला पुलिस महकमे से जुड़ा है. तो भला कौन इनकी चेकिंग करने वाला है.
कहा जाता है कि '100 लगाओ पुलिस बुलाओ'. जी हां ये पुलिस की गाड़ी आपकी मदद के लिए आ जाएगी. लेकिन सड़कों पर ये गाड़ी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं. दूसरों की मदद करने वाली गाड़ी खुद ही अधूरी है. इसकी गजब कहानी है. गाड़ी के अंदर बैठे पुलिस कर्मी और ड्रायवर को ही नहीं पता कि उनके पास तो कागज भी नहीं हैं, चलिए अब जानते हैं कि बगैर बीमा के क्या आप गाड़ी चला सकते हैं.
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नए मोटर व्हीकल एक्ट के नियम
नए मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक अब सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जरूरी हो गया है. अगर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं करवाया तो जुर्माने के साथ जेल जाने का भी प्रावधान रखा गया है. नए मोटर व्हीकल एक्ट में बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर जुर्माने की रकम दोगुना हो गई है. यानी बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी चलाने पर पहले जुर्माना 1,000 रुपये था, जो कि अब 2,000 रुपये कर दिया गया है.
अभी तक जिन गाड़ियों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं था और उनसे सड़क हादसे में तीसरे पक्ष की दुर्घटना के दौरान मृत्यु या गंभीर चोट लग जाती थी, तो ऐसे में उस तीसरे पक्ष को कवर देने के लिए कुछ नहीं होता था. इसी वजह से अब थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य कर दिया गया है.
MP में चल रही हैं एक हजार डायल 100
हैरान करने वाली बात है कि यहां तो मध्यप्रदेश की डायल 100 गाडियों का बीमा पिछले एक साल से नहीं हुआ. सवाल उठता है कि जिम्मैदार अधिकारी क्या कर रहे हैं. जब ईटीवी भारत ने अधिकारियों से जवाब मांगा तो वे कैमरे के सामने नहीं आए, लेकिन पुष्टी कर दी है कि डायल 100 का इंशोरेंस नहीं कराया गया है.
बता दें कि प्रदेश में एक हजार डायल 100 चल रही है. मेसर्स बीवीजी इंडिया लिमिटेड, पुणे की कंपनी से 1000 टाटा सफारी गाडि़यां किराए पर ली हैं. एक गाड़ी की कीमत करीब 10 लाख रुपए है. 70 करोड़ 67 लाख सालाना किराया सरकार कंपनी को देती है. पांच साल तक का कांट्रैक्ट है. जितनी गाड़ी चलेगी उसके डीजल का अलग से भुगतान किया जाएगा.
नवंबर 2015 को 51 जिलों में 800 वाहनों से करीब 633 करोड़ की लागत से '100 लगाओ पुलिस बुलाओ' की योजना शुरु की गई थी. अब 1000 वाहन की सेवा प्रदेश में चल रही है. पुलिस महकमे का टेलीकम्यूनिकेशन विभाग इन गाड़ियों की मॉनटरिंग करता है, लेकिन अफसोस, क्या इस तरह मानिटिरिंग कर गाड़ी में चलने वाले और सड़कों पर चलने वालों की सुरक्षा पुलिस विभाग करेगा.