भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर का असर कम होने के बाद अब सरकार धीरे-धीरे कर्फ्यू को अनलॉक कर रही हैं. जरूरी सामान और सार्वजनिक स्थलों के लिए कुछ राहत दी जा रही है. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना भी उतना ही जरूरी होगा, ताकि संक्रमण का दौर सामान्य जनजीवन को दोबारा प्रभावित न करें. इसके लिए शासन द्वारा गाइडलाइन तय की गई हैं. सभी को दिशा-निर्देश जारी किए गए है. लिहाजा फिर मुसीबत गले न पड़े, इसका ध्यान सभी को रखना होगा.
इसी प्रोटोकॉल के बीच अब भगवान के दर्शन भी हो सकेंगे. मंदिरों में पूजा-पाठ के नियम-कायदे निर्धारित है. श्रद्धालुओं को भीड़ भाड़ न करने की सख्त हिदायत शासन ने दी हैं. भोपाल में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां लोगों की आस्था और विश्वास जुड़े हुए हैं, लेकिन दूसरी लहर ने सबको एक सीमा में बांध दिया था. अब धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं. मंदिरों में पूजा-पाठ की शुरुआत तो हो रही है, लेकिन कोरोना महामारी के मद्देनजर सावधानी बेहद जरूरी हैं.
पुजारियों ने बताया कि जिस तरह संकट का समय प्रोटोकॉल के तहत बीता हैं. आगे ऐसा न हों, इसलिए ईश्वर से बस यही प्रार्थना है कि यह प्रोटोकॉल का बंधन जल्द ही टूट जाएं. भगवान के दर्शन करने का लाभ श्रद्धालुओं को उसी आस्था और विश्वास के साथ मिल सकें.
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कर्फ्यू वाली माता का मंदिर, सोमवारा भोपाल
यह मंदिर कर्फ्यू वाली माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इतिहास बताता है कि यह मंदिर अपने नाम का पहला और आखरी मंदिर है. यहां पर जो देवी मां की प्रतिमा है, उसकी स्थापना भोपाल में उस समय हुई थी, जब कर्फ्यू के हालात थे. सांप्रदायिक दंगों के दरमियान इस मंदिर का निर्माण हुआ था. मां शक्ति की प्रतिमा को रात में स्थापित करने के बाद मंदिर तैयार किया गया है. करीब चार दशक पुराना यह मंदिर सोमवारा क्षेत्र में स्थापित है.
ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी आता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हालांकि, कोरोना कर्फ्यू के चलते इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना बंद हो गया था. कोरोना की दूसरी लहर में सभी मंदिरों की तरह इसके दरवाजे भी लॉक हो गए थे, लेकिन अब सरकारी आदेश के बाद यहां स्थितियां बदलने वाली हैं.
पुजारियों ने बताया कि शासन के नियमानुसार भक्तों को मां के दर्शन करने होंगे. प्रोटोकॉल के तहत चार से ज्यादा लोग यहां जमा नहीं हो पायेंगे. साथ ही मंदिर प्रबंधन समिति ने भी अपनी तरफ से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं. मां शक्ति से प्रार्थना करते हैं कि यह महामारी पूरे भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया से समाप्त हो जाएं.
हनुमान मंदिर, 1100 क्वार्टर क्षेत्र भोपाल
करीब चार दशक पुराना यह मंदिर नए भोपाल के 1100 क्वार्टर क्षेत्र में स्थित है. पुजारी बताते हैं कि यहां बरसों से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. झोलियां भर कर जाते हैं. यह मंदिर भगवान हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है. भोपाल ही नहीं आसपास के जिलों से भी यहां भक्त आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया था. हालांकि, गाइडलाइन के अनुसार एक जून से कुछ राहत सरकार ने दी हैं. मंदिर प्रबंधन समिति भी प्रोटोकॉल के तहत श्रद्धालुओं की पूजा-पाठ का इंतजाम कर रही है. वहीं श्रद्धालुओं को बताया जा रहा है कि बिना मास्क के मंदिर में प्रवेश नहीं करना हैं. पूजन-पाठ के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना है. श्रद्धा और विश्वास के साथ सावधानी भी बरतना है.
सभी धार्मिक स्थलों पर गाइडलाइन का पालन
राजधानी में ऐसे कई धार्मिक स्थान हैं, जहां साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता हैं. बड़ी संख्या में भक्त इन मंदिरों में पहुंचते हैं. खासकर धार्मिक आयोजनों और विशेष तिथियों पर यहां काफी भीड़ होती है, लेकिन कोरोना काल में तस्वीर बदल गई. महीनों से यहां प्रवेश द्वारों पर ताले लगे हुए हैं. बिरला मंदिर और महाकाली मंदिर में श्रद्धालुओं की पूजन और अनुष्ठान पर पूर्णता प्रतिबंध लगा हुआ है. अब धीरे-धीरे हालात सुधरने से शासन ने भी ढील दे दी है.