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MP में चुनावों के पहले कथावाचकों की डिमांड बढ़ी, नेता और मंत्री बुला रहे हैं, धर्मिक आयोजन ही लगाएंगे नैया पार! - प्रदीप मिश्रा

एमपी विधानसभा चुनावों से पहले कथावाचकों को अपने क्षेत्र में बुलाने और कथा करवाने के लिए तमाम नेताओं में होड़ लगी है. सभी इन कथावाचकों के समर्थकों का वोटबैंक अपने पक्ष में करने में जुटे हैं ऐसे चुनावी महौल में कथावाचकों की भी बल्ले-बल्ले हो गई है.

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एमपी कथावाचकों की बल्ले बल्ले
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Published : Apr 4, 2023, 10:16 PM IST

एमपी कथावाचकों की बल्ले बल्ले

भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी माहौल के बीच सियासी पार्टियों के नेता चुनाव जीतने के जतन में लग गए हैं, कोई कथा करा करा रहे हैं तो कोई रामलीला कराकर जनता का दिल जीतना चाहता है. मकसद एक ही है कि किसी भी तरह से यदि टिकट मिल गया तो जनता का आशीर्वाद मिल जाए और यदि विधायक या मंत्री हैं तो ऐन केन प्रकार से जनता उन्हें फिर वोट कर दे. पिछले 1 साल से नेताओं ने जमीनी फील्डिंग अपने इलाकों में भी कर ली है. इस बार ट्रेंडिंग है कथा और कथावाचकों की कथाएं. मंत्री अपने इलाके में माहौल भांपकर गुरुजी से आशीर्वाद लेकर जनता के सामने उनकी तारीफ कर देते हैं फिर क्या नेता जी के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाता है.

एमपी के कथावाचकों की बल्ले बल्ले: अभी सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग बागेश्वर धाम हैं तो इसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा आते हैं हालांकि दोनों बाबाओं की टीआरपी की बात करें तो कभी कोई ऊपर तो कभी कोई नीचे आता है लेकिन इन इन बाबाओं के प्रति लगातार श्रद्धा देखी जा रही है. कथा वाचिका जया किशोरी भी पीछे नहीं है उन्हें भी सुनने और देखने लाखों भक्त आते हैं इसी को देखते हुए अब सियासी पार्टियों के नेता इन कथा वाचकों को वरीयता में रख रहे हैं. दरअसल बीजेपी पूरी तरह से माइक्रो प्लानिंग करके वोटर का मन टटोल रही है.

बीजेपी की चाल: एमपी में बूथ स्तर पर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के साथ-साथ चर्च से जुड़े हर पहलू का डाटा एकत्रित किया जा रहा है. बीजेपी धार्मिक आयोजन कर कार्यकर्ता का मन टटोल रही है और उन्हें धर्म का पाठ पढ़ा कर खुश रखना चाहती है. हालांकि बीजेपी इससे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती बल्कि उसका कहना है कि धर्म और राजनीति बिल्कुल अलग हैं, दोनो को जोड़ना गलत है. कांग्रेस हो या बीजेपी के लोग कथा कराते हैं क्योंकि जनता उन्हें सेंटर के रूप में देखती है और समाज से जुड़े हुए होने के कारण इस तरह की कथा करवाते हैं.

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कांग्रेस ने कहा स्वार्थ नहीं है: कांग्रेस का कहना है कि उनकी पार्टी कभी भी धर्म और राजनीति को एक चश्मे में नहीं चलती. उनके नेता क आयोजन कराते हैं तो उसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है लेकिन बीजेपी आयोजन में भी वोट बैंक तलाशती है. अब हमारे कमलनाथ जी को देख लीजिए वह बागेश्वर धाम भी जाते हैं साईं दरबार भी जाते हैं लेकिन इसके पीछे कोई वोट बैंक का स्वार्थ नहीं होता.

बड़े कथावाचकों की एंट्री: बीजेपी सरकार में ज्यादातर मंत्री कथावाचकों को अपने क्षेत्र में बुला चुके हैं और उनका आशीर्वाद भी ले चुके हैं. पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय विकास और प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, अरविंद भदौरिया, मोहन यादव सहित कई और मंत्री ऐसे हैं जो बड़ी-बड़ी कथाएं अपने यहां करा चुके हैं. इनके यहां पर बागेश्वर धाम से लेकर धर्मेंद्र शास्त्री और जया किशोरी आ चुकी हैं.

बागेश्वर धाम से नेपाली बाबा तक कर चुके हैं कथा: पिछले कुछ महीनों में पंडित प्रदीप मिश्रा की बड़ी कथा कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी करा चुके हैं. वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बागेश्वर धाम को दतिया बुला चुके हैं. परिवहन मंत्री गोविंद सिंह अपने क्षेत्र में अयोध्या के नेपाली बाबा को लेकर पहुंचे थे तो वही इंदौर में रमेश मेंदोला बीजेपी विधायक सहित कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला भी बड़ी कथाएं अपने क्षेत्रों में करा चुके हैं.

एमपी कथावाचकों की बल्ले बल्ले

भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी माहौल के बीच सियासी पार्टियों के नेता चुनाव जीतने के जतन में लग गए हैं, कोई कथा करा करा रहे हैं तो कोई रामलीला कराकर जनता का दिल जीतना चाहता है. मकसद एक ही है कि किसी भी तरह से यदि टिकट मिल गया तो जनता का आशीर्वाद मिल जाए और यदि विधायक या मंत्री हैं तो ऐन केन प्रकार से जनता उन्हें फिर वोट कर दे. पिछले 1 साल से नेताओं ने जमीनी फील्डिंग अपने इलाकों में भी कर ली है. इस बार ट्रेंडिंग है कथा और कथावाचकों की कथाएं. मंत्री अपने इलाके में माहौल भांपकर गुरुजी से आशीर्वाद लेकर जनता के सामने उनकी तारीफ कर देते हैं फिर क्या नेता जी के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाता है.

एमपी के कथावाचकों की बल्ले बल्ले: अभी सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग बागेश्वर धाम हैं तो इसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा आते हैं हालांकि दोनों बाबाओं की टीआरपी की बात करें तो कभी कोई ऊपर तो कभी कोई नीचे आता है लेकिन इन इन बाबाओं के प्रति लगातार श्रद्धा देखी जा रही है. कथा वाचिका जया किशोरी भी पीछे नहीं है उन्हें भी सुनने और देखने लाखों भक्त आते हैं इसी को देखते हुए अब सियासी पार्टियों के नेता इन कथा वाचकों को वरीयता में रख रहे हैं. दरअसल बीजेपी पूरी तरह से माइक्रो प्लानिंग करके वोटर का मन टटोल रही है.

बीजेपी की चाल: एमपी में बूथ स्तर पर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के साथ-साथ चर्च से जुड़े हर पहलू का डाटा एकत्रित किया जा रहा है. बीजेपी धार्मिक आयोजन कर कार्यकर्ता का मन टटोल रही है और उन्हें धर्म का पाठ पढ़ा कर खुश रखना चाहती है. हालांकि बीजेपी इससे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखती बल्कि उसका कहना है कि धर्म और राजनीति बिल्कुल अलग हैं, दोनो को जोड़ना गलत है. कांग्रेस हो या बीजेपी के लोग कथा कराते हैं क्योंकि जनता उन्हें सेंटर के रूप में देखती है और समाज से जुड़े हुए होने के कारण इस तरह की कथा करवाते हैं.

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बड़े कथावाचकों की एंट्री: बीजेपी सरकार में ज्यादातर मंत्री कथावाचकों को अपने क्षेत्र में बुला चुके हैं और उनका आशीर्वाद भी ले चुके हैं. पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय विकास और प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, अरविंद भदौरिया, मोहन यादव सहित कई और मंत्री ऐसे हैं जो बड़ी-बड़ी कथाएं अपने यहां करा चुके हैं. इनके यहां पर बागेश्वर धाम से लेकर धर्मेंद्र शास्त्री और जया किशोरी आ चुकी हैं.

बागेश्वर धाम से नेपाली बाबा तक कर चुके हैं कथा: पिछले कुछ महीनों में पंडित प्रदीप मिश्रा की बड़ी कथा कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी करा चुके हैं. वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बागेश्वर धाम को दतिया बुला चुके हैं. परिवहन मंत्री गोविंद सिंह अपने क्षेत्र में अयोध्या के नेपाली बाबा को लेकर पहुंचे थे तो वही इंदौर में रमेश मेंदोला बीजेपी विधायक सहित कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला भी बड़ी कथाएं अपने क्षेत्रों में करा चुके हैं.

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