ETV Bharat / state

'Lack' of oxygen cylinders: ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए बढ़ी 'OCM' की मांग - Demand for oxygen concentrator machine increased bhopal

भोपाल में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन (Oxygen concentrator machine) की डिमांड आक्सीजन की मांग को देखते हुए, लोग कोरोना के डर से घरों में भी ऑक्सीजन मशीन (Oxygen machine) रख रहे हैं ताकि ऑक्सीजन लेवल घटने पर काम आ सके. इस हालात में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की डिमांड बाजार में बढ़ गई है.

Design photo
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Apr 13, 2021, 8:33 PM IST

भोपाल। राजधानी में ऑक्सीजन की कमी (Lack of oxygen) के चलते 24 घंटे में 6 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है. एक निजी अस्पताल प्रबंधन (Private hospital management) ने खुद इस बात को माना है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही है. राज्य सरकार (state government) कितने भी दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल देती है. हाॅस्पिटल प्रबंधन ने सरकार से मांग की है कि ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen supply) जल्द बढ़ाएं, नहीं तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे.

भोपाल में बढ़ी 'OCM' की मांग

बाजार में बढ़ी 'ओसीएम' की मांग

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफा के कारण राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी (Lack of oxygen cylinders) सामने आ रही है. लोग कोरोना के डर से घरों में भी ऑक्सीजन मशीन रख रहे हैं ताकि ऑक्सीजन लेवल घटने पर काम आ सके. इस हालात में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन (Oxygen concentrator machine) की डिमांड बाजार में बढ़ गई है. ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने दो हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदने जा रही है.

बाजार में 40 से 60 हजार कीमत

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हवा से ऑक्सीजन खींचकर मरीज तक पहुंचाती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की लागत 30 से 35 हजार आती है लेकिन बाजार में यह मशीन इस समय 40 से 60 हजार रुपए की कीमत में मिल रही है. ऑक्सीजन मशीन के विक्रेता गुंजन अरोरा के मुताबिक मार्केट में आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की डिमांड बढ़ गई है. बाजार में यह उपलब्ध है. उनका कहना है कि पेनिक न बनाते हुए जिनको जरूरत है उनको ही मशीन खरीदना चाहिए.

MP में रेमडेसिविर इंजेक्शन का टोटा, सूरत के BJP कार्यालय में मिल रहा मुफ्त!

इस तरह काम करती ही मशीन

एक कंसंट्रेटर से हर मिनट पांच लीटर मेडीकल ऑक्सीजन बनती है और दो मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. एक मशीन को लगातार 23 घंटे तक उपयोग में लिया जा सकता है और फिर एक घंटे के रेस्ट के बाद दोबारा यह मशीन आक्सीजन जनरेट कर लेती है. ऑक्सीजन सिंलेडर को बार-बार रिफिल करना और लाना ले जाना पड़ता है लेकिन इसमें बार-बार रिफिल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसमें दो फिल्टर्स लगे होते है, जिनके जरिए वातावरण से मशीन ऑक्सीजन जनरेट कर लेती है.

oxygen cylinders
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन

AIIMS Bhopal: एम्स में नहीं हो रहा अन्य बीमारियों का इलाज, मरीज परेशान

'सरकार के डर से खुलकर नहीं बोल रहे'

यही हालत ज्यादातर अस्पतालों की है. सरकार के डर से कोई खुलकर नहीं बोल पा रहा है. अस्पताल के प्रवक्ता के मुताबिक पिछले 7 दिनों में अस्पताल में ऑक्सीजन का कोई डीलर नहीं आया है. पहले डीलर अपनी ही गाड़ी में खुद ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आता था. पिछले 10 दिनों से ऑक्सीजन के लिए हाॅस्पिटल की तीन एम्बुलेंस को लगाया गया है. अब एंबुलेंस भी ऑक्सीजन लाने - ले जाने के काम में लग गई हैं.

10-10 घंटे लगना पड़ रहा लाइन में

एक और निजी अस्पताल के डॉक्टर ने भी माना कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है. सरकार और प्रशासन ये सुनिश्चित करे कि प्राइवेट हाॅस्पिटल को भी समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर मिले. 10-10 घंटे लाइन में लगकर सिर्फ एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर मिल पा रहा है.

सावधान! 'सांची दूध' के पैकेट से फैल सकता है कोरोना!

ऑक्सीजन की कमी से हो चुकी है छह की मौत

एक निजी अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है. हर रोज 90 सिलेंडर की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 30 सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं. पिछले 24 घंटे में हमारे दो अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से छह मरीजों की जान जा चुकी है.

ऑक्सीजन सप्लाई बढ़कर 267 मीट्रिक टन हुई

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पर उन्होंने बताया कि, ऑक्सीजन की उपलब्धता 8 अप्रैल को 130 मीट्रिक टन थी. 9 अप्रैल को ये बढ़कर 180 मीट्रिक टन हुई और 12 अप्रैल को बढ़कर 267 मीट्रिक टन हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज ने tweet में बताया, कि मैं लगातार दिल्ली के संपर्क में हूं. मैं पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के संपर्क में हूं, ताकि ऑक्सीजन की कमी नहीं आए.

हर मिनट पांच लीटर मेडिकल ऑक्सीजन बन पाएगी

वहीं ऑक्सीजन की कमी सिर्फ भोपाल में ही नहीं है बल्कि धार जिले में भी यह समस्या बनी हुई है. धार कलेक्टर कहते हैं कि मरीजों के इलाज में जिला प्रशासन द्वारा कोई कंप्रोमाइज नहीं किया जाएगा. उन्हें स्वस्थ करने के लिए प्रशासन को जो-जो कदम उठाने पड़ेंगे, वह उठाएं जायेंगे. यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सांसों की डोर थामे रखने में सहायक सिद्ध होगा. एक कंसंट्रेटर से हर मिनट पांच लीटर मेडिकल ऑक्सीजन बन पाएगी, जो दो मरीजों के लिए इस्तमाल हो सकेगी.

भोपाल। राजधानी में ऑक्सीजन की कमी (Lack of oxygen) के चलते 24 घंटे में 6 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है. एक निजी अस्पताल प्रबंधन (Private hospital management) ने खुद इस बात को माना है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही है. राज्य सरकार (state government) कितने भी दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल देती है. हाॅस्पिटल प्रबंधन ने सरकार से मांग की है कि ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen supply) जल्द बढ़ाएं, नहीं तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे.

भोपाल में बढ़ी 'OCM' की मांग

बाजार में बढ़ी 'ओसीएम' की मांग

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफा के कारण राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी (Lack of oxygen cylinders) सामने आ रही है. लोग कोरोना के डर से घरों में भी ऑक्सीजन मशीन रख रहे हैं ताकि ऑक्सीजन लेवल घटने पर काम आ सके. इस हालात में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन (Oxygen concentrator machine) की डिमांड बाजार में बढ़ गई है. ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने दो हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदने जा रही है.

बाजार में 40 से 60 हजार कीमत

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हवा से ऑक्सीजन खींचकर मरीज तक पहुंचाती है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की लागत 30 से 35 हजार आती है लेकिन बाजार में यह मशीन इस समय 40 से 60 हजार रुपए की कीमत में मिल रही है. ऑक्सीजन मशीन के विक्रेता गुंजन अरोरा के मुताबिक मार्केट में आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की डिमांड बढ़ गई है. बाजार में यह उपलब्ध है. उनका कहना है कि पेनिक न बनाते हुए जिनको जरूरत है उनको ही मशीन खरीदना चाहिए.

MP में रेमडेसिविर इंजेक्शन का टोटा, सूरत के BJP कार्यालय में मिल रहा मुफ्त!

इस तरह काम करती ही मशीन

एक कंसंट्रेटर से हर मिनट पांच लीटर मेडीकल ऑक्सीजन बनती है और दो मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. एक मशीन को लगातार 23 घंटे तक उपयोग में लिया जा सकता है और फिर एक घंटे के रेस्ट के बाद दोबारा यह मशीन आक्सीजन जनरेट कर लेती है. ऑक्सीजन सिंलेडर को बार-बार रिफिल करना और लाना ले जाना पड़ता है लेकिन इसमें बार-बार रिफिल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसमें दो फिल्टर्स लगे होते है, जिनके जरिए वातावरण से मशीन ऑक्सीजन जनरेट कर लेती है.

oxygen cylinders
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन

AIIMS Bhopal: एम्स में नहीं हो रहा अन्य बीमारियों का इलाज, मरीज परेशान

'सरकार के डर से खुलकर नहीं बोल रहे'

यही हालत ज्यादातर अस्पतालों की है. सरकार के डर से कोई खुलकर नहीं बोल पा रहा है. अस्पताल के प्रवक्ता के मुताबिक पिछले 7 दिनों में अस्पताल में ऑक्सीजन का कोई डीलर नहीं आया है. पहले डीलर अपनी ही गाड़ी में खुद ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आता था. पिछले 10 दिनों से ऑक्सीजन के लिए हाॅस्पिटल की तीन एम्बुलेंस को लगाया गया है. अब एंबुलेंस भी ऑक्सीजन लाने - ले जाने के काम में लग गई हैं.

10-10 घंटे लगना पड़ रहा लाइन में

एक और निजी अस्पताल के डॉक्टर ने भी माना कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है. सरकार और प्रशासन ये सुनिश्चित करे कि प्राइवेट हाॅस्पिटल को भी समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर मिले. 10-10 घंटे लाइन में लगकर सिर्फ एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर मिल पा रहा है.

सावधान! 'सांची दूध' के पैकेट से फैल सकता है कोरोना!

ऑक्सीजन की कमी से हो चुकी है छह की मौत

एक निजी अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है. हर रोज 90 सिलेंडर की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 30 सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं. पिछले 24 घंटे में हमारे दो अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से छह मरीजों की जान जा चुकी है.

ऑक्सीजन सप्लाई बढ़कर 267 मीट्रिक टन हुई

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पर उन्होंने बताया कि, ऑक्सीजन की उपलब्धता 8 अप्रैल को 130 मीट्रिक टन थी. 9 अप्रैल को ये बढ़कर 180 मीट्रिक टन हुई और 12 अप्रैल को बढ़कर 267 मीट्रिक टन हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज ने tweet में बताया, कि मैं लगातार दिल्ली के संपर्क में हूं. मैं पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के संपर्क में हूं, ताकि ऑक्सीजन की कमी नहीं आए.

हर मिनट पांच लीटर मेडिकल ऑक्सीजन बन पाएगी

वहीं ऑक्सीजन की कमी सिर्फ भोपाल में ही नहीं है बल्कि धार जिले में भी यह समस्या बनी हुई है. धार कलेक्टर कहते हैं कि मरीजों के इलाज में जिला प्रशासन द्वारा कोई कंप्रोमाइज नहीं किया जाएगा. उन्हें स्वस्थ करने के लिए प्रशासन को जो-जो कदम उठाने पड़ेंगे, वह उठाएं जायेंगे. यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सांसों की डोर थामे रखने में सहायक सिद्ध होगा. एक कंसंट्रेटर से हर मिनट पांच लीटर मेडिकल ऑक्सीजन बन पाएगी, जो दो मरीजों के लिए इस्तमाल हो सकेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.