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एग्जिट पोल पर बोले दीपक बावरिया, EVM हैक कर सकती है बीजेपी

लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल पर कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बीजेपी ईवीएम हैक कर सकती है.

दीपक बावरिया
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Published : May 20, 2019, 3:29 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 के एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त मिलता दिखाई दे रहा है. इसे लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने एग्जिट पोल के साथ-साथ ईवीएम पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.दीपक बावरिया कहा है कि पिछले कुछ चुनाव में जिस तरह के चुनाव परिणाम देखने मिल रहे हैं, उन पर विश्वास नहीं हो रहा है और उन्हें शंका है कि इस चुनाव में बीजेपी ईवीएम हैक कर सकती है.

दीपक बावरिया

उन्होंने कहा कि बीजेपी को एग्जिट पोल में 300 और 350 तक सीटें मिलने का दावा किया गया है. उन्होंने इस पर तंज कसते हुए कहा कि कहता भी दीवाना है और सुनता भी दीवाना है. मप्र कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि एग्जिट पोल के मामले में कांग्रेस पार्टी का अधिकृत बयान एआईसीसी की तरफ से आएगा.

दीपक बावरिया ने कहा कि सोशल मीडिया पर भी खबरें मिलती हैं कि करीब 9 लाख मशीनें गायब हैं. इन मशीनों के बारे में कहा जाता है कि यह बीजेपी के दफ्तर या उनके समर्थकों के पास जाती हैं और उनमें छेड़छाड़ की जाती है.उन्होंने कहा कि ईवीएम हैकिंग को लेकर आज तक सुप्रीम कोर्ट ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. चुनाव आयोग की सापेक्षता पर तो इसलिए सवाल उठते हैं, क्योंकि उनकी नियुक्ति सरकार करती है, लेकिन कई बार देखने में आया है कि छोटी-छोटी चीजों पर भी सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेती है, लेकिन ईवीएम को लेकर देश के कई बड़े राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे किनारे कर दिया.

भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 के एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त मिलता दिखाई दे रहा है. इसे लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने एग्जिट पोल के साथ-साथ ईवीएम पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.दीपक बावरिया कहा है कि पिछले कुछ चुनाव में जिस तरह के चुनाव परिणाम देखने मिल रहे हैं, उन पर विश्वास नहीं हो रहा है और उन्हें शंका है कि इस चुनाव में बीजेपी ईवीएम हैक कर सकती है.

दीपक बावरिया

उन्होंने कहा कि बीजेपी को एग्जिट पोल में 300 और 350 तक सीटें मिलने का दावा किया गया है. उन्होंने इस पर तंज कसते हुए कहा कि कहता भी दीवाना है और सुनता भी दीवाना है. मप्र कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि एग्जिट पोल के मामले में कांग्रेस पार्टी का अधिकृत बयान एआईसीसी की तरफ से आएगा.

दीपक बावरिया ने कहा कि सोशल मीडिया पर भी खबरें मिलती हैं कि करीब 9 लाख मशीनें गायब हैं. इन मशीनों के बारे में कहा जाता है कि यह बीजेपी के दफ्तर या उनके समर्थकों के पास जाती हैं और उनमें छेड़छाड़ की जाती है.उन्होंने कहा कि ईवीएम हैकिंग को लेकर आज तक सुप्रीम कोर्ट ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. चुनाव आयोग की सापेक्षता पर तो इसलिए सवाल उठते हैं, क्योंकि उनकी नियुक्ति सरकार करती है, लेकिन कई बार देखने में आया है कि छोटी-छोटी चीजों पर भी सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेती है, लेकिन ईवीएम को लेकर देश के कई बड़े राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे किनारे कर दिया.

Intro:भोपाल। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के बाद एग्जिट पोल से मिल रहे रुझानों को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने एग्जिट पोल के साथ साथ ईवीएम पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ चुनाव में जिस तरह के चुनाव परिणाम देखने मिल रहे हैं,उन पर विश्वास नहीं हो रहा है और उन्हें शंका है कि इस चुनाव में बीजेपी ईवीएम हैक कर सकती है। चुनावी परिस्थितियों को लेकर उन्होंने कहा है कि आप भी माहौल देख रहे हैं और हम भी माहौल देख रहे हैं और इन परिस्थितियों में भी अगर बीजेपी को 350 और 300 सीटें देने का दावा किया जा रहा है। तो मैं तो इतना ही कहूंगा कि कहता भी दीवाना है सुनता भी दीवाना है।


Body:मप्र कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि एग्जिट पोल के मामले में कांग्रेस पार्टी का अधिकृत बयान एआईसीसी की तरफ से आएगा। जहां तक मेरा बयान है और मैं पिछले डेढ़ साल से कह रहा हूं और मध्यप्रदेश विधानसभा के जो नतीजे आए थे, उसमें आपने देखा होगा कि विंध्य और बुंदेलखंड के अलावा पूरे राज्य में कांग्रेस को 42% वोट मिले थे, लेकिन इन दोनों जगहों पर 10% वोट का अंतर था। 2013 से भी हमारे वोट काम आए थे। 2014 के चुनाव के बारे में कहा जाता है कि हैकर्स ने बीजेपी के लिए काम किया था, बाद में उन्होंने प्रेस वार्ता भी की थी, लेकिन बीजेपी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसके अलावा यूपी में 2017 में हुए चुनाव में 17% वोट शेयर वाली बीजेपी का वोट से सीधा 42% होना। यह असंभव है क्योंकि इंदिरा जी के जमाने में बांग्लादेश के गठन के बाद इंदिरा जी की लहर थी। उस समय भी सिर्फ तीन चार प्रतिशत वोट स्विंग हुआ था। 1984 में इंदिरा जी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर थी, तब भी इतना बड़ा वोट स्विंग देखने नहीं मिला, जो 2017 में यूपी में देखने मिला था। जो एग्जिट पोल आ रहे हैं,उसमें मप्र में सिर्फ तीन सीटें कांग्रेस को मिलने का रुझान मिल रहा है।जमीन से आप सब जुड़े हैं, मोदी जी और अमित शाह को जनता का कैसा रिस्पांस मिलता है, सबको पता है। विधानसभा चुनाव में एक वीडियो वायरल हो चुका है, जिसमें विधायक कह रहा था कि जनता को बुलाने के लिए पैसे देने पड़ते हैं। लेकिन रूझान कह रहे हैं कि इनको 300- 350 सीट मिलेंगी, इनको सुनकर मेरा कहना है कहता भी दीवाना है सुनता भी दीवाना है।


Conclusion:मेरा यह कहना है कि अमेरिका में 2014 के भारत के चुनाव को हैक करने के डॉक्यूमेंट डिकोड हुए हैं। ईवीएम के मामले में लगातार आपत्ति खड़ी हो रही है। दुनिया के सभी विकसित देश जिनके पास भारत से बेहतर तकनीक है, वहां भी ईवीएम का उपयोग नहीं होता है। उन सभी देशों का कहना है कि अगर भारत को अपनी चुनाव चुनाव पद्धति शंका से परे रखना है, तो बैलेट पेपर जरूरी है, ईवीएम को अलग करना चाहिए। क्योंकि उसे हैक किया जा सकता है। 2014 के बाद चुनाव आयोग ने M2 से M3 मशीन बनाने का ऐलान किया। हमें जानकारी मिली है कि M3 मशीन में एक ऐसा हार्डवेयर डाला गया है, जिसे बिना इंटरनेट की मदद से पुरानी तकनीक के जरिए हैक किया जा सकता है। आज हमें सोशल मीडिया पर भी खबरें मिलती हैं कि करीब 9 लाख मशीनें गायब हैं। इन मशीनों के बारे में कहा जाता है कि यह भाजपा के दफ्तर या उनके समर्थकों के पास जाती हैं और उन में छेड़छाड़ की जाती है। मैं यूपी के चुनाव में एआईसीसी का पर्यवेक्षक था। मोदी जी सातवें चरण के में वाराणसी में 3 दिन बिताए और माहौल बनाया। उनके पहले कोई माहौल नहीं था, उसके बाद जब नतीजे आए तो बीजेपी को बहुत वोट मिल रहे थे यहां तक कि अल्पसंख्यक इलाकों में जहां बीजेपी को मामूली वोट मिलता था, वहां भी भारी वोट मिले।

दुखद पहलू यह है कि इस मामले में आज तक सुप्रीम कोर्ट ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। चुनाव आयोग की सापेक्षता पर तो इसलिए सवाल उठते हैं, क्योंकि उनकी नियुक्ति सरकार करती है। लेकिन कई बार देखने में आया है कि छोटी छोटी चीजों पर भी सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेती है।लेकिन ईवीएम को लेकर देश के कई बड़े राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे किनारे कर दिया। यह दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट पर हम भले सवाल नहीं खड़ा कर सकते हैं, लेकिन मन में संदेह पैदा होता है कि आखिर यह हो क्या रहा है।
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